अक्सर हम देखते हैं कि दो अलग-अलग पंचांगों में तिथि, नक्षत्र, योग या मुहूर्त के समयों में अंतर दिखाई देता है। कहीं तिथि पहले बदलती है, तो कहीं वही तिथि थोड़ी देर बाद — आखिर ऐसा क्यों होता है?
दरअसल, यह अंतर पंचांगों की गणना-पद्धति के भेद के कारण उत्पन्न होता है।
दृक पंचांग (Drik Panchang) आधुनिक खगोलीय गणनाओं पर आधारित होता है, जिसमें सूर्य और चन्द्रमा की वास्तविक स्थिति (real astronomical positions) से तिथि-नक्षत्र-योग का निर्धारण किया जाता है।
वहीं पारंपरिक पंचांग (जैसे काशी पंचांग) सूर्य-सिद्धान्त और वाक्य-ग्रंथों पर आधारित है, जिसमें गणना पुराने सूत्रों और अनुमानित ग्रह-स्थितियों के आधार पर की जाती है।
इसके अतिरिक्त, सूर्योदय के स्थानीय समय में अंतर, अयनांश की भिन्नता, और तिथि परिवर्तन की परिभाषा (सूर्योदय-पूर्व या बाद) भी इन भेदों को बढ़ाते हैं।
इस लेख में विस्तार से बताया गया है कि पंचांगों में यह समयांतर क्यों होता है और कौन-सा पंचांग अधिक खगोलीय दृष्टि से शुद्ध माना जाता है।
Why Two Panchangs Show Different Dates? एक ही दिन, दो अलग तिथियाँ! जानिए पंचांगों में समयांतर का रहस्य
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Why Two Panchangs Show Different Dates? एक ही दिन, दो अलग तिथियाँ! जानिए पंचांगों में समयांतर का रहस्य |
🌕 1. पंचांग क्या दर्शाता है?
- तिथि (चन्द्रमा की स्थिति)
- वार (सप्ताह का दिन)
- नक्षत्र (चन्द्रमा जिस नक्षत्र में है)
- योग (सूर्य-चन्द्र के दीर्घांशों का योग)
- करण (तिथि का आधा भाग)
इन सबकी गणना सूर्य और चन्द्र के सटीक दीर्घांशों (longitudes) से होती है।
🌞 2. विभिन्न पंचांगों में अंतर के मुख्य कारण
(1) स्थानीय देशान्तर (Longitude Difference)
लेकिन केवल यही कारण नहीं — मुख्य कारण गणनापद्धति भी है।
(2) गणनापद्धति में अंतर (Calculation System Difference)
भारत में पंचांग दो प्रमुख परंपराओं पर आधारित हैं —
🔹 (A) दृक सिद्धान्त (Drik Siddhanta)
🔹 (B) सौर सिद्धान्त (Surya Siddhanta)
(3) सूर्योदय की परिभाषा में अंतर
- एक पंचांग सूर्योदय 6:00 AM पर मानता है,
- दूसरा 6:30 AM पर।इससे तिथि का प्रारंभ या समाप्ति समय भिन्न दिखेगा।
(4) अयनांश (Ayanamsa) का भेद
- लाहिरी अयनांश (सर्वाधिक प्रचलित)
- रामन अयनांश
- कृष्णमूर्ति अयनांश इनमें मात्र कुछ आर्क-मिनिट का अंतर होने पर भीचन्द्रमा के दीर्घांश में कुछ डिग्री का भेद आता है,जो तिथि, नक्षत्र, योग में कई घंटों का अंतर उत्पन्न कर देता है।
🪔 5 घंटे तक अंतर क्यों दिखता है?
यह तब होता है जब —
- एक पंचांग सौर सिद्धान्तीय गणना और अलग अयनांश प्रयोग करता हो,
- दूसरा पंचांग दृक गणना से तैयार किया गया हो,और
- दोनों के देशान्तर में भी कुछ डिग्री का भेद हो।
इन तीन कारणों का संयुक्त प्रभाव तिथि या ग्रहस्थिति में 4 से 5 घंटे तक का अंतर दे सकता है।
🔭 6. कौन-सा पंचांग “सटीक” है?
- खगोलीय सटीकता के लिए — दृक सिद्धान्त पंचांग
- पारम्परिक धार्मिक आचरण हेतु — स्थानीय मान्य परंपरा (जैसे काशी, उज्जैन, दक्षिण भारतीय, आदि)
इसलिए मंदिरों, मठों, और धार्मिक संस्थाओं में अपने क्षेत्रीय पंचांग की परंपरा मान्य होती है।
✨ संक्षेप में निष्कर्ष
कारण | विवरण | प्रभाव |
---|---|---|
देशान्तर भिन्नता | विभिन्न स्थानों के आधार | 30–60 मिनट |
गणनापद्धति (दृक/सौर) | वास्तविक बनाम पारंपरिक | 2–4 घंटे |
अयनांश भेद | लाहिरी, रामन आदि | 30–90 मिनट |
सूर्योदय आधार | स्थानीय समय या मध्यान्ह | 30–60 मिनट |
कुल अनुमानित अंतर | — | 4–5 घंटे तक |
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