5.1 परिकल्पना का अर्थ एवं प्रकार
(Null & Alternative Hypothesis)
प्रस्तावना: शोध शुरू करने से पहले हमारे पास समस्या का कोई पक्का उत्तर नहीं होता, बस एक 'अनुमान' होता है। इसी समझदार अनुमान (Educated Guess) को परिकल्पना कहते हैं। यह शोध की दिशा तय करती है।
"परिकल्पना एक पुल है"
जो सिद्धांत (Theory) और अनुसंधान (Research) को आपस में जोड़ता है।
यह "समस्या" और "समाधान" के बीच की कड़ी है।
A. परिकल्पना के मुख्य प्रकार (Types of Hypothesis)
सांख्यिकीय शोध (Statistical Research) में परिकल्पना के दो मुख्य स्तंभ होते हैं:
(Null Hypothesis)
यह मानती है कि चरों (Variables) के बीच कोई अंतर या संबंध नहीं है। यह 'यथास्थिति' (Status Quo) को दर्शाती है। शोधकर्ता का उद्देश्य इसे गलत साबित (Reject) करना होता है।
(Alternative Hypothesis)
यह शोधकर्ता का असली दावा है। यह मानती है कि चरों के बीच सार्थक अंतर या संबंध है। जब H₀ खारिज होती है, तो H₁ स्वीकार होती है।
इसे समझना बहुत आसान है:
H₀ (शून्य): "आरोपी निर्दोष है" (जब तक सबूत न मिले, कोर्ट यही मानती है)।
H₁ (वैकल्पिक): "आरोपी दोषी है" (वकील इसे साबित करना चाहता है)।
शोधकर्ता वकील की तरह डेटा (सबूत) लाता है ताकि H₀ को खारिज कर सके।
B. H₀ और H₁ में अंतर (Comparison)
| तुलना बिंदु | शून्य परिकल्पना (H₀) | वैकल्पिक परिकल्पना (H₁) |
|---|---|---|
| अर्थ | अंतर का अभाव (No Difference) | अंतर की उपस्थिति (Difference Exists) |
| उद्देश्य | इसे अस्वीकार (Reject) करना। | इसे स्वीकार (Accept) करवाना। |
| परीक्षण (Testing) | सांख्यिकीय टेस्ट हमेशा H₀ पर लगता है। | H₁ पर सीधा टेस्ट नहीं लगता। |
| गणितीय रूप | μ₁ = μ₂ (बराबर हैं) | μ₁ ≠ μ₂ (बराबर नहीं हैं) |
हम तकनीकी भाषा में कहते हैं: "We Reject the Null Hypothesis" (शून्य परिकल्पना अस्वीकृत) या "We Fail to Reject the Null Hypothesis" (शून्य परिकल्पना अस्वीकृत करने में विफल)।
