प्रश्न 1. एकपदेन उत्तरं लिखत (एक शब्द में उत्तर)
| क्र. | प्रश्न | उत्तर |
| (क) | जीमूतवाहनः कस्य पुत्रः अस्ति? | जीमूतकेतोः |
| (ख) | संसारेऽस्मिन् कः अनश्वरः भवति? | परोपकारः |
| (ग) | जीमूतवाहनः परोपकारैकफलसिद्धये कम् आराधयति? | कल्पपादपम् |
| (घ) | जीमूतवाहनस्य सर्वभूतानुकम्पया सर्वत्र किं प्रथितम्? | यशः |
| (ङ) | कल्पतरुः भुवि कानि अवर्ष? | वसूनि |
प्रश्न 2. संस्कृतभाषया पूर्णवाक्येन उत्तरत (पूर्ण वाक्य में उत्तर)
| क्र. | प्रश्न | उत्तर |
| (क) | कञ्चनपुरं नाम नगरं कुत्र विभाति स्म? | कञ्चनपुर नाम नगर हिमवतः सानोपरि विभाति स्म। |
| (ख) | जीमूतवाहनः कीदृशः आसीत्? | जीमूतवाहनः महान् दानवीरः सर्वभूतानुकम्पी च आसीत्। |
| (ग) | कल्पतरोः वैशिष्ट्यमाकर्ण्य जीमूतवाहनः किम् अचिन्तयत्? | कल्पतरोः वैशिष्ट्यमाकर्ण्य जीमूतवाहनः अचिन्तयत् यत् "अहो ! ईदृशम् अमरपादपं प्राप्यापि पूर्वैः पुरुषैः अस्माकं तादृशं फलं किमपि न प्राप्तम्। किन्तु केवलं कैश्विदेव कृपणैः कश्चिदपि अर्थः अर्थितः। तदहमस्मात् कल्पतरोः अभीष्टं साधयामि" इति। |
| (घ) | हितैषिणः मन्त्रिणः जीमूतवाहनं किम् उक्तवन्तः? | हितैषिणः मन्त्रिणः जीमूतवाहनं उक्तवन्तः- “युवराज! योऽयं सर्वकामदः कल्पतरुः तवोद्याने तिष्ठति स तव सदा पुज्यः। अस्मिन् अनुकूले स्थिते सति शक्रोऽपि अस्मान् बाधितुं न शक्नुयात्।" |
| (ङ) | जीमूतवाहनः कल्पतरुम् उपगम्य किम् उवाच? | जीमूतवाहनः कल्पतरुम् उपगम्य उवाच - "देव! त्वया अस्मत्पूर्वेषाम् अभीष्टाः कामाः पूरिताः तन्ममैक कामं पूरय। यथापृथिवीम् अदरिद्राम् पश्यामि तथा करोतु देव" इति। |
प्रश्न 3. स्थूलपदानि कस्मै प्रयुक्तानि? (किसके लिए प्रयुक्त?)
| क्र. | वाक्य (स्थूल पद सहित) | उत्तर (किसके लिए) |
| (क) | तस्य सानोरुपरि विभाति कञ्चनपुरं नाम नगरम्। | हिमवते (हिमालयाय) |
| (ख) | राजा सम्प्राप्तयौवनं तं यौवराज्ये अभिषिक्तवान्? | राजपुत्राय (जीमूतवाहनाय) |
| (ग) | अयं तव सदा पूज्यः। | कल्पतरवे |
| (घ) | तात! त्वं तु जानासि यत् धनं वीचिवच्चञ्चलम्। | पित्रे (जीमूतकेतवे राज्ञे) |
प्रश्न 4. पर्यायपदानि (पर्यायवाची शब्द)
| क्र. | शब्द | पर्यायपद (उत्तर) |
| (क) | पर्वतः | नगेन्द्रः |
| (ख) | भूपतिः | राजा |
| (ग) | इन्द्रः | शक्रः |
| (घ) | धनम् | अर्थः |
| (ङ) | इच्छितम् | अभीष्टम् / अर्थितः |
| (च) | समीपम् | अन्तिकम् |
| (छ) | धरित्रीम् | पृथ्वीम् |
| (ज) | कल्याणम् | स्वस्ति / सुखम् |
| (झ) | वाणी | वाक् |
| (ञ) | वृक्षः | तरुः |
प्रश्न 5. विशेषण-विशेष्य मिलान
| क्र. | 'क' स्तम्भः (विशेषण) | 'ख' स्तम्भः (विशेष्य) |
| 1 | कुलक्रमागतः | कल्पतरुः |
| 2 | दानवीरः | जीमूतवाहनः |
| 3 | हितैषिभिः | मन्त्रिभिः |
| 4 | वीचिवच्चञ्चलम् | धनम् |
| 5 | अनश्वरः | परोपकारः |
प्रश्न 6. प्रश्ननिर्माणं कुरुत
| क्र. | वाक्य (रेखांकित पद) | प्रश्नवाचक शब्द (उत्तर) |
| (क) | तरोः कृपया सः पुत्रम् अप्राप्नोत्। | कस्य |
| (ख) | सः कल्पतरवे न्यवेदयत्। | कस्मै |
| (ग) | धनवृष्ट्या कोऽपि दरिद्रः नातिष्ठत्। | कया |
| (घ) | कल्पतरुः पृथिव्यां धनानि अवर्षत्। | कस्याम् |
| (ङ) | जीवानुकम्पया जीमूतवाहनस्य यशः प्रासरत्। | कया |
प्रश्न 7. रिक्तस्थानानि पूरयत (विभक्ति प्रयोग)
| क्र. | शब्द / वाक्य | अपेक्षित विभक्ति | उत्तर |
| (अ) | (क) स्वस्ति ..... (राजा) | चतुर्थी | राज्ञे |
| (ख) स्वस्ति ..... (प्रजा) | चतुर्थी | प्रजाभ्यः / प्रजाये |
| (ग) स्वस्ति ..... (छात्र) | चतुर्थी | छात्राय / छात्रेभ्यः |
| (घ) स्वस्ति ..... (सर्वजन) | चतुर्थी | सर्वजनेभ्यः |
| (आ) | (क) तस्य ..... उद्याने कल्पतरुः आसीत्। (गृह) | षष्ठी | गृहस्य |
| (ख) सः ..... अन्तिकम् अगच्छत्। (पितृ) | षष्ठी | पितुः |
| (ग) ..... सर्वत्र यशः प्रथितम्। (जीमूतवाहन) | षष्ठी | जीमूतवाहनस्य |
| (घ) अयं ..... तरुः? (किम्) | षष्ठी | कस्य |
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