श्राद्ध से होने वाले लाभ !

Sooraj Krishna Shastri
By -
0
प्रस्तुत आलेख "!! श्राद्ध से होने वाले लाभ !!" अत्यंत उपयोगी, शास्त्रसम्मत और श्रद्धाजन्य है। इसे  प्रभावशाली एवं सुव्यवस्थित रूप में इस प्रकार प्रस्तुत किया जा रहा है:
श्राद्ध से होने वाले लाभ !
श्राद्ध से होने वाले लाभ !



🌼 !! श्राद्ध से होने वाले लाभ !! 🌼

“ॐ पितृदेवताभ्यः नमः”


🔷 श्राद्ध का महत्व

🔹 श्राद्ध पितरों के प्रति श्रद्धा, कृतज्ञता और कर्तव्य का शुद्धतम भाव है।
🔹 यह केवल एक कर्मकांड न होकर, पितृऋण से मुक्त होने की आध्यात्मिक साधना है।
🔹 पितरों की शान्ति हेतु श्राद्ध से बढ़कर कोई कल्याणकारी मार्ग नहीं है।
🔹 ऋषि-मुनियों एवं पुराणों में श्राद्ध के असंख्य लाभों का विस्तृत वर्णन मिलता है।


📚 शास्त्रों में वर्णित श्राद्ध के लाभ

🔸 कुर्मपुराण

"श्राद्धकर्म में एकाग्र होकर जो भी श्रद्धा से संलग्न होता है, वह समस्त पापों से मुक्त हो मोक्ष को प्राप्त करता है।"

🔸 गरुड़ पुराण

"पितर श्राद्ध से प्रसन्न होकर संतान को आयु, पुत्र, यश, स्वर्ग, पुष्टि, बल, वैभव, धन-धान्य आदि प्रदान करते हैं।"

🔸 मार्कण्डेय पुराण

"श्राद्ध से तृप्त पितर श्राद्धकर्ता को दीर्घायु, संतान, विद्या, राज्य एवं मोक्ष तक प्रदान करते हैं।"

🔸 ब्रह्मपुराण

"श्रद्धा से किया गया शाकाहारी श्राद्ध भी परिवार को दुःखमुक्त कर देता है।"
"पिण्डों पर गिरने वाली जल-बूँदें पशु-पक्षी योनि में पड़े पितरों का पोषण करती हैं।"

🔸 विष्णु पुराण

"श्रद्धा से किया गया श्राद्ध केवल पितरों को ही नहीं, ब्रह्मा, इंद्र, रुद्र, सूर्य, अग्नि, वायु, पशु-पक्षी आदि समस्त प्राणियों को तृप्त करता है।"

🔸 हेमाद्रि (नागरखंड)

"एक दिन किया गया श्राद्ध पितरों को पूरे वर्ष संतुष्टि देता है।"

🔸 यमस्मृति

"देवता, अग्नि, ब्राह्मण और पितरों की सेवा वास्तव में परमात्मा विष्णु की सेवा ही है।"

🔸 देवल स्मृति

"श्राद्धकर्ता दीर्घायु, स्वस्थ, धनवान, सन्तानवान तथा स्वर्ग एवं लक्ष्मी का अधिकारी होता है।"

🔸 अत्रिसंहिता

"जो पुत्र, पौत्र या भाई पितृकर्म में संलग्न रहते हैं, वे परम गति को प्राप्त करते हैं।"


🕉️ श्राद्धकर्म की सरल विधि

श्रद्धा, प्रेम और शुद्ध आचरण से ही श्राद्ध सफल होता है।
केवल जल, तिल, यव, कुश, पुष्प और गो-ग्रास आदि से किया गया श्राद्ध भी पितरों की तृप्ति के लिए पर्याप्त है।


📌 निष्कर्ष:

🔸 श्राद्ध न केवल पितरों को तृप्त करता है, बल्कि श्राद्धकर्ता को भी आध्यात्मिक, दैविक और सांसारिक लाभ प्रदान करता है।
🔸 यह हमारे जीवन में संतुलन, सुख और समृद्धि लाने वाला श्रेष्ठ कर्म है।
🔸 पितृऋण से मुक्त होकर जीवन को पवित्र बनाने हेतु श्राद्ध एक आवश्यक दायित्व है।


🪔 🌸 अपने पितरों की मृत्युतिथि पर श्राद्ध अवश्य करें 🌸

यथासंभव ब्राह्मण को भोजन, गो-सेवा, और दान देकर पितरों को तृप्त करें। यही सच्ची श्रद्धांजलि है।


🙏 "ॐ पितृ देवतायै नमः" 🙏

पितृ कृपा से जीवन में शांति, समृद्धि, स्वास्थ्य और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है।

Post a Comment

0 Comments

Post a Comment (0)

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!