संस्कृत श्लोक: "अकृतं दुष्कृतं श्रेयः पश्चात्तपति दुष्कृतम्" का अर्थ और हिन्दी अनुवाद

Sooraj Krishna Shastri
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संस्कृत श्लोक: "अकृतं दुष्कृतं श्रेयः पश्चात्तपति दुष्कृतम्" का अर्थ और हिन्दी अनुवाद

🙏 जय श्री राम 🌹सुप्रभातम् 🙏
 प्रस्तुत यह नीति-श्लोक अत्यंत गहन नैतिक शिक्षाओं से परिपूर्ण है, जो मनुष्य के कर्म, पश्चात्ताप, और धर्म-आचरण की सूक्ष्मता को उजागर करता है। आइए इसे विस्तारपूर्वक विवेचित करें:
Thought of the day Sanskrit
संस्कृत श्लोक: "अकृतं दुष्कृतं श्रेयः पश्चात्तपति दुष्कृतम्" का अर्थ और हिन्दी अनुवाद



📜 श्लोक:

अकृतं दुष्कृतं श्रेयः पश्चात्तपति दुष्कृतम्।
कृतं च सुकृतं श्रेयो यत्कृत्वा नानुतप्यते ॥


📘 1. शाब्दिक अर्थ:

पद अर्थ
अकृतं न किया हुआ
दुष्कृतं पापकर्म / बुरा कार्य
श्रेयः श्रेयस्कर / उत्तम
पश्चात्तपति पछताता है / पश्चात्ताप करता है
कृतं किया हुआ
सुकृतं पुण्यकर्म / अच्छा कार्य
यत् जो
कृत्वा करके
न अनुतप्यते कभी पछताना न पड़े

💡 2. भावार्थ:

जो पाप (बुरे कार्य) न किया गया हो, वह उत्तम है; क्योंकि पाप करके अंत में पश्चात्ताप ही प्राप्त होता है। और जो पुण्यकर्म किया गया हो, वही श्रेष्ठ है; क्योंकि उसे करने के बाद कभी पछतावा नहीं होता।


🔍 3. गूढ़ व्याख्या:

🔸 दुष्कृतम् (पापकर्म)

  • जब मनुष्य बुरे कामों के लिए लालच या क्रोधवश प्रेरित होता है,
    तो उस समय उसे शायद लाभ दिखे, परंतु अंततः पश्चात्ताप उसका परिणाम होता है।
  • अतः "बुरा काम न करना" ही श्रेष्ठ है।

🔸 सुकृतम् (पुण्यकर्म)

  • दया, सेवा, सत्य, धर्म जैसे कर्म —
    तत्काल में कठिन या त्यागपूर्ण लग सकते हैं,
    पर दीर्घकाल में शांति और संतोष देते हैं।
  • इन्हें करने के बाद कोई पछताता नहीं।

🧠 4. आधुनिक सन्दर्भ में:

प्रसंग शिक्षा
नैतिक शिक्षा झूठ, चोरी, अन्याय — भले ही क्षणिक लाभ दें, अंत में वे आत्मग्लानि और सामाजिक तिरस्कार का कारण बनते हैं।
विद्यार्थी जीवन नकल करना, पढ़ाई से बचना — इनसे परीक्षा तो पास हो सकती है, पर आत्मविश्वास और चरित्र कमजोर हो जाता है।
प्रौढ़ जीवन नैतिक निर्णय और ईमानदारी — प्रारंभ में कठिन लगते हैं, पर जीवन को गरिमा देते हैं।

📚 5. नीति-कथा (संक्षेप में):

"राजकुमार और दो मार्ग"
एक राजकुमार को दो रास्ते दिखाए गए —

पहला – फूलों से सजा, सरल लेकिन छल-धोखे से भरा।
दूसरा – कांटों वाला, पर सत्य-धर्म का मार्ग।

राजकुमार ने पहले मार्ग को चुना, पर अंत में धोखा और हार मिली।
वह पछताया – “काश मैंने सही मार्ग चुना होता!”
यह कथा बताती है कि जो पाप नहीं किया, वही श्रेष्ठ है।


🗣️ 6. संवादात्मक शैली:

👦 बालक: “पिताजी, मैं झूठ बोलकर नंबर बढ़ा सकता हूँ।”
👨 पिता: “बेटा, वह झूठ आज भले अंक दिला दे, पर जीवन में पछताना पड़ेगा।
जो बुरा कार्य न किया जाए, वही श्रेयस्कर है।


🖋️ 7. सार-सूत्र वाक्य:

“न किया गया पाप सौ पुण्य से श्रेष्ठ है।
और किया गया पुण्य कभी पछताता नहीं।”


🌸 8. प्रेरक वाक्य (Poster/Board के लिए):

🔸 "अवसर मिले तो पाप मत करो —
यही तुम्हारी सच्ची जीत है।"
🔸 "पुण्यकर्म ही शांति का आधार है।"

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