Learn the complete declensions of Ajanta (vowel-ending) nouns in Sanskrit—Akaranta, Ikaranta, Ukaranta, Ikārānta, Ŗkārānta forms with full tables, examples, and grammar notes. Perfect for students and Sanskrit learners.
अजन्त (स्वरान्त) संस्कृत शब्दों के रूप—अकारान्त, इकाऱन्त, उकारान्त, ऋकारान्त आदि सभी शब्द-रूपों की विस्तृत तालिकाएँ, उदाहरण और व्याकरणिक नियम। Complete guide for Sanskrit declensions.
अजन्त (स्वरान्त) शब्दों के रूप: Detailed Declensions of Vowel-Ending (Ajanta) Nouns in Sanskrit
अजन्त शब्द वे हैं जिनका अंत किसी स्वर (Vowel) पर होता है। नीचे प्रत्येक प्रमुख अजन्त वर्ग से एक Representative Word लेकर उसके तीनों वचनों और सभी विभक्तियों में पूरे रूप दिए गए हैं।
१. अकारान्त पुंल्लिङ्ग — ‘राम’ (Rāma)
(देव, बालक, सूर्य आदि के लिए मानक रूप)
| विभक्ति | एकवचन | द्विवचन | बहुवचन |
|---|---|---|---|
| प्रथमा | रामः | रामौ | रामाः |
| द्वितीया | रामम् | रामौ | रामान् |
| तृतीया | रामेण | रामाभ्याम् | रामैः |
| चतुर्थी | रामाय | रामाभ्याम् | रामेभ्यः |
| पञ्चमी | रामात् | रामाभ्याम् | रामेभ्यः |
| षष्ठी | रामस्य | रामयोः | रामाणाम् |
| सप्तमी | रामे | रामयोः | रामेषु |
| सम्बोधन | हे राम! | हे रामौ! | हे रामाः! |
२. ईकारान्त स्त्रीलिङ्ग — ‘नदी’ (Nadī)
(जननी, देवी, लेखनी आदि के लिए मानक रूप)
| विभक्ति | एकवचन | द्विवचन | बहुवचन |
|---|---|---|---|
| प्रथमा | नदी | नद्यौ | नद्यः |
| द्वितीया | नदीम् | नद्यौ | नद्यः |
| तृतीया | नद्या | नदीभ्याम् | नदीभिः |
| चतुर्थी | नद्यै | नदीभ्याम् | नदीभ्यः |
| पञ्चमी | नद्याः | नदीभ्याम् | नदीभ्यः |
| षष्ठी | नद्याः | नद्योः | नदीनाम् |
| सप्तमी | नद्याम् | नद्योः | नदीषु |
| सम्बोधन | हे नदि! | हे नद्यौ! | हे नद्यः! |
३. इकारान्त पुंल्लिङ्ग — ‘हरि’ (Hari)
(कवि, मुनि, गिरि आदि के लिए मानक रूप)
| विभक्ति | एकवचन | द्विवचन | बहुवचन |
|---|---|---|---|
| प्रथमा | हरिः | हरी | हरयः |
| द्वितीया | हरिम् | हरी | हरीन् |
| तृतीया | हरिणा | हरिभ्याम् | हरिभिः |
| चतुर्थी | हरये | हरिभ्याम् | हरिभ्यः |
| पञ्चमी | हरेः | हरिभ्याम् | हरिभ्यः |
| षष्ठी | हरेः | हर्योः | हरीणाम् |
| सप्तमी | हरौ | हर्योः | हरिषु |
| सम्बोधन | हे हरे! | हे हरी! | हे हरयः! |
४. ऋकारान्त पुंल्लिङ्ग — ‘पितृ’ (Pitṛ)
(संबंधवाचक शब्दों का विशेष रूप)
| विभक्ति | एकवचन | द्विवचन | बहुवचन |
|---|---|---|---|
| प्रथमा | पिता | पितरौ | पितरः |
| द्वितीया | पितरम् | पितरौ | पितॄन् |
| तृतीया | पित्रा | पितृभ्याम् | पितृभिः |
| चतुर्थी | पित्रे | पितृभ्याम् | पितृभ्यः |
| पञ्चमी | पितुः | पितृभ्याम् | पितृभ्यः |
| षष्ठी | पितुः | पित्रोः | पितॄणाम् |
| सप्तमी | पितरि | पित्रोः | पितृषु |
| सम्बोधन | हे पितः! | हे पितरौ! | हे पितरः! |
५. ओकारान्त (विशेष) — ‘गो’ (Go)
(गाय/बैल — पुंल्लिङ्ग-स्त्रीलिङ्ग दोनों में)
| विभक्ति | एकवचन | द्विवचन | बहुवचन |
|---|---|---|---|
| प्रथमा | गौः | गावौ | गावः |
| द्वितीया | गाम् | गावौ | गाः |
| तृतीया | गवा | गोभ्याम् | गोभिः |
| चतुर्थी | गवे | गोभ्याम् | गोभ्यः |
| पञ्चमी | गोः | गोभ्याम् | गोभ्यः |
| षष्ठी | गोः | गवोः | गवाम् |
| सप्तमी | गवि | गवोः | गोषु |
| सम्बोधन | हे गौः! | हे गावौ! | हे गावः! |
📚 मति —इकारान्त स्त्रीलिङ्ग रूप
| विभक्ति | एकवचन (Singular) | द्विवचन (Dual) | बहुवचन (Plural) |
|---|---|---|---|
| प्रथमा | मतिः | मती | मतयः |
| द्वितीया | मतिम् | मती | मतीः |
| तृतीया | मत्या | मतिभ्याम् | मतिभिः |
| चतुर्थी | मत्यै / मतये | मतिभ्याम् | मतिभ्यः |
| पञ्चमी | मत्याः / मतेः | मतिभ्याम् | मतिभ्यः |
| षष्ठी | मत्याः / मतेः | मत्योः | मतीनाम् |
| सप्तमी | मत्याम् / मतौ | मत्योः | मतिषु |
| सम्बोधन | हे मते! / हे मति! | हे मती! | हे मतयः! |
📚 साधु —उकारान्त पुंल्लिङ्ग रूप
| विभक्ति | एकवचन (Singular) | द्विवचन (Dual) | बहुवचन (Plural) |
|---|---|---|---|
| प्रथमा | साधुः | साधू | साधवः |
| द्वितीया | साधुम् | साधू | साधून् |
| तृतीया | साधुना | साधुभ्याम् | साधुभिः |
| चतुर्थी | साधवे | साधुभ्याम् | साधुभ्यः |
| पञ्चमी | साधोः | साधुभ्याम् | साधुभ्यः |
| षष्ठी | साधोः | साध्वोः | साधूनाम् |
| सप्तमी | साधौ | साध्वोः | साधुषु |
| सम्बोधन | हे साधो! | हे साधू! | हे साधवः! |
💡 विशेष नोट्स (Important Notes)
✔ (१) उकारान्त पुंल्लिङ्ग के मानक रूप
- ‘साधु’ के रूप बिल्कुल गुरु, वायु, शत्रु, भानु आदि जैसे ही चलते हैं।
- बहुवचन प्रथमा: साधवः → यही स्वर-परिवर्तन (उ → अव) उकारान्त शब्दों की विशेषता है।
