शब्द-रूप (Declension of Nominals) Sanskrit Shabd-Roop Formation: सुबन्त-प्रक्रिया का विश्लेषण

Sooraj Krishna Shastri
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संस्कृत व्याकरण में शब्द-रूप बनने की सुबन्त प्रक्रिया को सरल और वैज्ञानिक ढंग से समझें। प्रातिपदिक, सुप्-प्रत्यय, लोप-आगम-आदेश, सभी नियमों का Complete Guide।

 संस्कृत व्याकरण में शब्द-रूप (Śabda-rūpa) वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा किसी प्रातिपदिक (Base Word/Stem) को विभक्ति और वचन के अनुसार रूपांतरित किया जाता है। ये शब्द-रूप ही वाक्य में कारक-संबंध दर्शाते हैं। 

Sanskrit Shabd-Roop Formation: सुबन्त-प्रक्रिया का Complete Scientific Guide

शब्द-रूप (Declension of Nominals) 📚


२.१ शब्द-रूप के निर्धारक तत्व (Determinants of Śabda-Rūpa)

हर शब्द-रूप तीन प्रमुख आधारों पर निर्भर करता है:


(क) लिङ्ग (Gender – Liṅga)

संस्कृत में तीन लिंग होते हैं:

लिङ्ग उदाहरण English
पुंल्लिङ्ग रामः, बालकः Masculine
स्त्रीलिङ्ग लता, नदी Feminine
नपुंसकलिङ्ग फलम्, गृहम् Neuter

(ख) वचन (Number – Vacana)

वचन अर्थ English
एकवचन एक Singular
द्विवचन दो Dual
बहुवचन दो से अधिक Plural

(ग) विभक्ति एवं कारक (Cases and Syntactic Roles)

संस्कृत में ७ विभक्तियाँ + १ सम्बोधन होती हैं।

क्रम विभक्ति कारक हिन्दी चिह्न उदाहरण
प्रथमा कर्ता ने रामः पठति।
द्वितीया कर्म को रामः रावणम् मारयति।
तृतीया करण से/द्वारा हस्तेन लिखति।
चतुर्थी सम्प्रदान के लिए भिक्षुकाय धनं ददाति।
पञ्चमी अपादान से (वियोग) वृक्षात् पत्रं पतति।
षष्ठी सम्बन्ध का/के/की रामस्य पुस्तकम्।
सप्तमी अधिकरण में/पर गृहे तिष्ठति।
सम्बोधन सम्बोधन हे, भो हे राम! आगच्छ।

नीचे पूरी “सुबन्त-प्रक्रिया (Nominal Declension Process)” को अत्यंत व्यवस्थित, चरणबद्ध, सरल और वैज्ञानिक रूप में प्रस्तुत किया गया है।

शब्द-रूप (Declension of Nominals) Sanskrit Shabd-Roop Formation: सुबन्त-प्रक्रिया का विश्लेषण
शब्द-रूप (Declension of Nominals) Sanskrit Shabd-Roop Formation: सुबन्त-प्रक्रिया का विश्लेषण

📚 संस्कृत व्याकरण में शब्द-रूप (Subanta Forms) बनने की व्यवस्थित प्रक्रिया

(Systematic Process of Nominal Form Formation in Sanskrit)

संस्कृत में संज्ञा या सर्वनाम के रूप (Declensions) अत्यंत वैज्ञानिक और पाणिनीय नियमों पर आधारित होते हैं।
शब्द-रूप बनने की पूरी प्रक्रिया को “सुबन्त-प्रक्रिया (Subanta Prakriyā)” कहा जाता है — क्योंकि शब्द के अंत में सुप्-प्रत्यय जुड़ते हैं।


🧩 सुबन्त-प्रक्रिया के तीन मुख्य चरण


१. प्रातिपदिक का चयन (Selecting the Base – Prātipadika)

सबसे पहले उस मूल शब्द का चयन किया जाता है जिसके रूप बनाने हैं।

✔️ प्रातिपदिक की परिभाषा (Panini 1.2.45–46)

  • अर्थवदधातुरप्रत्ययः प्रातिपदिकम्
    धातु या प्रत्यय रहित अर्थवान शब्द = प्रातिपदिक
  • कृत्तद्धितसमासाश्च
    कृदन्त, तद्धित, और समास से बने शब्द भी प्रातिपदिक होते हैं।

✔️ प्रातिपदिक के निर्धारक तत्व

शब्द-रूप बनाने से पहले दो बातें तय की जाती हैं—

  1. लिङ्ग — पुंल्लिङ्ग / स्त्रील्लिङ्ग / नपुंसकलिङ्ग
  2. अन्त्याक्षर
    • अकारान्त
    • इकारान्त
    • उकारान्त
    • ऋकारान्त
    • हलन्त इत्यादि

👉 इन्हीं से तय होता है कि कौन-से सुप्-प्रत्यय और कौन-से नियम लागू होंगे।


२. सुप्-प्रत्ययों का विधान (Application of Sup Affixes)

संख्या (वचन) एवं कारक (विभक्ति) के लिए 21 सुप्-प्रत्यय होते हैं।

📘 २१ सुप्-प्रत्ययों की सारणी (7 cases × 3 numbers)

विभक्ति एकवचन द्विवचन बहुवचन
प्रथमा सु जस्
द्वितीया अम् औट् शस्
तृतीया टा भ्याम् भिस्
चतुर्थी ङे भ्याम् भ्यस्
पञ्चमी ङसि भ्याम् भ्यस्
षष्ठी ङस् ओस् आम्
सप्तमी ङि ओस् सुप्

✔️ सुप् प्रत्यय जोड़ने की मूल प्रक्रिया

उदाहरण — राम (अकारान्त पुंल्लिङ्ग):

राम + सु (प्रथमा एकवचन)


३. आगम, आदेश और लोप (Phonological Rules)

प्रत्यय जोड़ने के बाद ध्वनि-परिवर्तन किए जाते हैं। यही वास्तविक पाणिनीय प्रक्रिया है।

📘 परिवर्तन के मुख्य प्रकार

परिवर्तन अर्थ उदाहरण
लोप (Lopa) किसी वर्ण का मिटना सु में लोप → स्
आगम (Āgama) नया वर्ण जुड़ना नदी + भिस् → ‘न’ आगम
आदेश (Ādeśa) वर्ण-प्रतिस्थापन स् → र् → ः आदेश
सन्धि (Sandhi) मिलन से ध्वन्यंतर हरि + औ → ह‌र्यौ (यण् सन्धि)

उदाहरण: ‘रामः’ (Rāmaḥ) रूप बनना

(Step-by-step Subanta Prakriyā)

चरण प्रक्रिया
1 प्रातिपदिक: राम
2 प्रत्यय: राम + सु
3 लोप: सु का उ-लोप → राम + स्
4 आदेश: स् → रुत्व (र्)राम + र्
5 आदेश: र् → विसर्ग (ः)
6 अंतिम रूप: रामः

२.२ शब्द-रूपों के प्रकार (Types of Declensions)

शब्द-रूप आखिरी अक्षर (End Letter) पर निर्भर करते हैं।
दो प्रमुख वर्ग:


(क) अजन्त शब्द (Vowel-ending Bases – Ajanta)

जिन शब्दों का अंत स्वर पर हो।

प्रकार उदाहरण लिंग सामान्य रूप
अकारान्त (a-ending) राम, बालक पुंल्लिङ्ग रामः, रामौ, रामाः
आकारान्त (ā-ending) लता स्त्रीलिङ्ग लता, लते, लताः
इकारान्त (i-ending) हरि पुंल्लिङ्ग हरिः, हरी, हरयः
ईकारान्त (ī-ending) नदी स्त्रीलिङ्ग नदी, नद्यौ, नद्यः
उकारान्त (u-ending) साधु पुंल्लिङ्ग साधुः, साधू, साधवः
ऋकारान्त (ṛ-ending) पितृ पुंल्लिङ्ग पिता, पितरौ, पितरः

(ख) हलन्त शब्द (Consonant-ending Bases – Halanta)

प्रकार उदाहरण लिंग सामान्य रूप
नकारान्त राजन् पुंल्लिङ्ग राजा, राजानौ, राजानः
तकारान्त जगत् नपुंसक जगत्, जगती, जगन्ति
चकारान्त वाच् स्त्रीलिङ्ग वाक्, वाचौ, वाचः

२.३ उदाहरण (Illustrative Example)

अकारान्त पुंल्लिङ्ग – “बालक” (Bālaka)

विभक्ति एकवचन द्विवचन बहुवचन
प्रथमा बालकः बालकौ बालकाः
द्वितीया बालकम् बालकौ बालकान्
तृतीया बालकेन बालकाभ्याम् बालकैः
चतुर्थी बालकाय बालकाभ्याम् बालकेभ्यः
पञ्चमी बालकात् बालकाभ्याम् बालकेभ्यः
षष्ठी बालकस्य बालकयोः बालकानाम्
सप्तमी बालके बालकयोः बालकेषु
सम्बोधन हे बालक! हे बालकौ! हे बालकाः!

२. संज्ञा (Nouns) और सर्वनाम (Pronouns) – रूप (Declensional Forms)

संज्ञा और सर्वनाम दोनों ही तीनों लिंगों (पुंल्लिङ्ग, स्त्रीलिङ्ग, नपुंसकलिङ्ग),
तीनों वचनों (एकवचन, द्विवचन, बहुवचन) तथा
सात विभक्तियों में चलते हैं।

ये रूप वाक्य में शब्दों का आपसी संबंध निश्चित करते हैं।


२.१ संज्ञा (Nouns) के रूप

संज्ञा शब्द किसी व्यक्ति, वस्तु, स्थान, गुण या भाव का नाम बताते हैं।
इनके रूप निम्न आधारों पर निर्भर करते हैं:
✔ प्रातिपदिक का अंतिम स्वर/व्यंजन (अजन्त/हलन्त)
✔ लिंग
✔ विभक्ति


१. अकारान्त पुंल्लिङ्ग – 'राम' (Rāma)

विभक्ति एकवचन द्विवचन बहुवचन
प्रथमा रामः रामौ रामाः
द्वितीया रामम् रामौ रामान्
तृतीया रामेण रामाभ्याम् रामैः
चतुर्थी रामाय रामाभ्याम् रामेभ्यः
पञ्चमी रामात् रामाभ्याम् रामेभ्यः
षष्ठी रामस्य रामयोः रामाणाम्
सप्तमी रामे रामयोः रामेषु
सम्बोधन हे राम! हे रामौ! हे रामाः!

२. आकारान्त स्त्रीलिङ्ग – 'लता' (Latā)

विभक्ति एकवचन द्विवचन बहुवचन
प्रथमा लता लते लताः
द्वितीया लताम् लते लताः
तृतीया लतया लताभ्याम् लताभिः
चतुर्थी लतायै लताभ्याम् लताभ्यः
पञ्चमी लतायाः लताभ्याम् लताभ्यः
षष्ठी लतायाः लतयोः लतानाम्
सप्तमी लतायाम् लतयोः लतासु
सम्बोधन हे लते! हे लते! हे लताः!

३. अकारान्त नपुंसकलिङ्ग – 'फल' (Phala)

विभक्ति एकवचन द्विवचन बहुवचन
प्रथमा फलम् फले फलानि
द्वितीया फलम् फले फलानि
तृतीया फलेन फलाभ्याम् फलैः
चतुर्थी फलाय फलाभ्याम् फलेभ्यः
पञ्चमी फलात् फलाभ्याम् फलेभ्यः
षष्ठी फलस्य फलयोः फलानाम्
सप्तमी फले फलयोः फलेषु
सम्बोधन हे फल! हे फले! हे फलानि!

💡 विशेष ध्यान:
नपुंसकलिङ्ग में प्रथमा और द्वितीया के सभी रूप समान होते हैं।


२.२ सर्वनाम (Pronouns) के रूप

सर्वनाम संज्ञा के स्थान पर प्रयोग होते हैं।
इनके रूप सामान्य संज्ञा की अपेक्षा अधिक विशेष और अलग होते हैं।
सामान्यतः इनमें सम्बोधन-विभक्ति नहीं होती।


१. 'तत्' (Tat – वह / That) सर्वनाम

(अ) पुंल्लिङ्ग रूप (Masculine)

विभक्ति एकवचन द्विवचन बहुवचन
प्रथमा सः तौ ते
द्वितीया तम् तौ तान्
तृतीया तेन ताभ्याम् तैः
चतुर्थी तस्मै ताभ्याम् तेभ्यः
पञ्चमी तस्मात् ताभ्याम् तेभ्यः
षष्ठी तस्य तयोः तेषाम्
सप्तमी तस्मिन् तयोः तेषु

(ब) स्त्रीलिङ्ग रूप (Feminine)

विभक्ति एकवचन द्विवचन बहुवचन
प्रथमा सा ते ताः
द्वितीया ताम् ते ताः
तृतीया तया ताभ्याम् ताभिः
चतुर्थी तस्यै ताभ्याम् ताभ्यः
पञ्चमी तस्याः ताभ्याम् ताभ्यः
षष्ठी तस्याः तयोः तासाम्
सप्तमी तस्याम् तयोः तासु

२. 'अस्मद्' (Asmad – I / We) सर्वनाम

(तीनों लिंगों में समान)

विभक्ति एकवचन (I) द्विवचन (We two) बहुवचन (We all)
प्रथमा अहम् आवाम् वयम्
द्वितीया माम् / मे आवाम् / नौ अस्मान् / नः
तृतीया मया आवाभ्याम् अस्माभिः
चतुर्थी मह्यम् / मे आवाभ्याम् / नौ अस्मभ्यम् / नः
पञ्चमी मत् आवाभ्याम् अस्मत्
षष्ठी मम / मे आवयोः / नौ अस्माकम् / नः
सप्तमी मयि आवयोः अस्मासु

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