संस्कृत श्लोक: "उद्धरेदात्मनात्मानं नात्मानमवसादयेत्" का अर्थ और हिन्दी अनुवाद
🙏 जय श्री राम 🌷सुप्रभातम् 🙏
प्रस्तुत श्लोक भगवद्गीता के छठे अध्याय का सातवाँ श्लोक (ध्यानयोग) है, और यह आत्म-विकास तथा आत्म-प्रेरणा का अत्यंत शक्तिशाली और प्रेरक सन्देश प्रदान करता है।
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संस्कृत श्लोक: "उद्धरेदात्मनात्मानं नात्मानमवसादयेत्" का अर्थ और हिन्दी अनुवाद |
📜 श्लोक:
उद्धरेदात्मनात्मानं नात्मानमवसादयेत्।आत्मैव ह्यात्मनो बन्धुरात्मैव रिपुरात्मनः॥(भगवद्गीता – अध्याय 6, श्लोक 5)
📘 1. शाब्दिक अर्थ:
पद | अर्थ |
---|---|
उद्धरेत् | उठाए / उन्नति करे |
आत्मना | अपने द्वारा (अपने ही मन से) |
आत्मानं | अपने आप को |
न अवसादयेत् | पतन न करे / हताश न करे |
हि | निश्चय ही |
बन्धुः | मित्र |
रिपुः | शत्रु |
आत्मनः | आत्मा का (स्वयं का) |
💡 2. भावार्थ:
"मनुष्य को अपने ही प्रयासों से अपने को ऊपर उठाना चाहिए और अपने को नीचे नहीं गिराना चाहिए; क्योंकि वह स्वयं ही अपना मित्र है और स्वयं ही अपना शत्रु भी है।"
🧠 3. गूढ़ अर्थ / व्याख्या:
🔹 यह श्लोक "आत्म-निर्भरता" का महानतम घोष है।
🔹 यह हमें सिखाता है कि:
- उद्धार या पतन बाहर से नहीं आता, वह भीतर से होता है।
- हमारी सोच, दृष्टिकोण, और आत्म-संवाद (self-talk) ही हमारी प्रगति या पतन का कारण बनते हैं।
🔄 4. प्रेरक व्याख्या (सरल रूप में):
विषय | स्पष्टीकरण |
---|---|
“उद्धरेदात्मना” | अपने ही मन, विवेक, और प्रयत्नों से अपने को ऊपर उठाना |
“नात्मानमवसादयेत्” | नकारात्मक विचारों से, आलस्य से, हीन भावना से अपने को गिराना नहीं |
“बन्धुः” | यदि हम सकारात्मक सोचें, अनुशासन में रहें, तो मन हमारा मित्र है |
“रिपुः” | लेकिन यदि हम आलसी, लोभी या हतोत्साहित हो जाएं, तो मन ही हमारा शत्रु बन जाता है |
🪔 5. आधुनिक सन्दर्भ में शिक्षा:
🔸 "Believe in yourself" — यह वाक्य इस श्लोक की ही संक्षिप्त झलक है।🔸 सफलता के लिए बाहरी साधनों से पहले आत्म-प्रेरणा और आत्म-विश्वास की आवश्यकता होती है।🔸 यह श्लोक बच्चों, युवाओं और हर संघर्षशील व्यक्ति के लिए जीवन-सूत्र है।
📚 6. नैतिक कहानी (संक्षेप में):
एक बार एक छात्र पढ़ाई में असफल हुआ और निराश होकर सब छोड़ने का सोचने लगा। गुरु ने कहा –
"पुत्र! नाव को बाहर की लहरें नहीं, अंदर का छेद डुबोता है। तुम अपनी हिम्मत खुद हो। उठो, अपने को उठाओ।"
उस छात्र ने यही श्लोक याद किया और फिर आत्म-प्रेरणा से सफलता पाई।
🧘♂️ 7. अभ्यास हेतु प्रश्न (बालकों के लिए):
- "आत्मा ही आत्मा का बन्धु और शत्रु कैसे हो सकता है?"
- "इस श्लोक से क्या शिक्षा मिलती है?"
- "आप अपने जीवन में इसे कैसे लागू करेंगे?"
🌟 8. पोस्टर शैली में सार:
✨ "अपने को स्वयं उठाओ — क्योंकि न तुमसे बड़ा मित्र है, न तुमसे बड़ा शत्रु!"✨ "उठो, जागो, और अपने ही प्रयासों से महान बनो।"