संस्कृत श्लोक "अनिर्वेदम् असिद्धेषु, साधितेषु अनहङ्कृतिम्" का हिन्दी अनुवाद और विश्लेषण

Sooraj Krishna Shastri
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संस्कृत श्लोक "अनिर्वेदम् असिद्धेषु, साधितेषु अनहङ्कृतिम्" का हिन्दी अनुवाद और विश्लेषण 

🌞 🙏 जय श्रीराम 🌷 सुप्रभातम् 🙏

 प्रस्तुत श्लोक अत्यंत उत्कृष्ट आत्म-प्रार्थना का रूप है। इसमें तीन अत्यंत महत्वपूर्ण मानव दुर्बलताओं को दूर करने की कामना की गई है:

  1. निराशा (अनिर्वेद)
  2. अहंकार (अनहङ्कृति)
  3. आलस्य (अनालस्य)
संस्कृत श्लोक "अनिर्वेदम् असिद्धेषु, साधितेषु अनहङ्कृतिम्" का हिन्दी अनुवाद और विश्लेषण
संस्कृत श्लोक "अनिर्वेदम् असिद्धेषु, साधितेषु अनहङ्कृतिम्" का हिन्दी अनुवाद और विश्लेषण 



श्लोक

अनिर्वेदम् असिद्धेषु, साधितेषु अनहङ्कृतिम् ।
अनालस्यं च साध्येषु, कृत्येषु अनुगृहाण नः ॥

anirvedam asiddheṣu, sādhiteṣu anahaṅkṛtim ।
anālasyam ca sādheṣu, kṛtyeṣu anugṛhāṇa naḥ ॥


🔍 शब्दार्थ / व्याकरणीय विश्लेषण:

पद अर्थ व्याकरणिक विवरण
अनिर्वेदम् निराशा न होना “निर्वेद” = उदासी, + “अन” (नकारात्मक उपसर्ग)
असिद्धेषु जो कार्य सिद्ध नहीं हुए “सिद्ध” = सिद्ध/सफल कार्य; सप्तमी बहुवचन
साधितेषु जो कार्य सिद्ध हो चुके सप्तमी बहुवचन
अनहङ्कृतिम् अहंकार न होना “अहङ्कार” + “कृति” = अभिव्यक्ति; “अन” उपसर्ग
अनालस्यं आलस्य का अभाव नपुंसकलिंग, कर्म रूप
साध्येषु जो कार्य अभी साधने योग्य हैं सप्तमी बहुवचन
कृत्येषु जो करने योग्य हैं “कर्तव्य” के समान अर्थ
अनुगृहाण कृपा करके प्रदान करो विधिलिङ् लकार, मध्यम पुरुष
नः हमें सप्तमी एकवचन, उकारान्त

🪷 भावार्थ (प्रार्थना रूप में):

“(हे प्रभो!)
– जो कार्य अभी तक सफल नहीं हुए हैं, उनके प्रति हमें निराश न होने दीजिए।
– जो कार्य हमने सफल कर लिए हैं, उनके कारण हमें अहंकारी न होने दीजिए।
– जो कार्य अभी करने योग्य हैं, उनमें हमें आलसीपन न आने दीजिए।”


🌿 प्रेरणादायक दृष्टांत: “त्रिविध वरदान” 🌿

एक समय एक महान ऋषि ने तीन शिष्यों को जीवन सिद्धि के तीन सूत्र दिए —
पर केवल वही शिष्य सफल हुआ, जिसने ये तीनों स्वीकार किए:

  1. असफलता के बाद भी निराश नहीं हुआ,
  2. सफलता के बाद अहंकारी नहीं हुआ,
  3. और अपने लक्ष्य की ओर निरंतर सक्रिय रहा

ऋषि बोले:

जीवन एक यज्ञ है —
अग्नि में आहुति डालते रहो, चाहे अभी फल मिले या नहीं।
जब फल मिले, तब गर्व मत करो।
और जब लक्ष्य दूर हो, तब थको मत।
यह त्रिवेणी तुम्हें परमपद तक ले जाएगी।


🌟 शिक्षा / प्रेरणा:

  • निराशा, अहंकार और आलस्य — ये तीन "शत्रु" आत्मविकास के सबसे बड़े बाधक हैं।
  • जो व्यक्ति असफलता में भी उत्साही रहे, सफलता में विनम्र, और प्रयास में न थके — वही सच्चा साधक है।
  • यह श्लोक केवल प्रार्थना नहीं, आत्म-प्रबंधन का आदर्श सूत्र है।

📿 जीवन-सूत्र:

"असफलता – सहनशीलता माँगती है।
सफलता – विनम्रता माँगती है।
प्रयास – निरंतरता माँगता है।"

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