संस्कृत श्लोक "गुरुरग्निर्द्विजातीनां वर्णानां ब्राह्मणो गुरुः" का हिन्दी अनुवाद और विश्लेषण

Sooraj Krishna Shastri
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संस्कृत श्लोक "गुरुरग्निर्द्विजातीनां वर्णानां ब्राह्मणो गुरुः" का हिन्दी अनुवाद और विश्लेषण 

🌸 जय श्रीराम – सुप्रभातम् 🌸

आज का श्लोक हमें विभिन्न वर्गों और संबंधों में "गुरु" या पूज्य का स्वरूप समझाता है।


📜 संस्कृत मूल

गुरुरग्निर्द्विजातीनां वर्णानां ब्राह्मणो गुरुः ।
पतिरेको गुरुः स्त्रीणां सर्वत्राभ्यागतो गुरुः ॥


🔤 IAST Transliteration

gurur agnir dvijātīnām varṇānām brāhmaṇo guruḥ |
patir eko guruḥ strīṇām sarvatrābhyāgato guruḥ ||


🇮🇳 हिन्दी अनुवाद

  • द्विजातियों (ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य) के लिए अग्नि (यज्ञाग्नि) गुरु और पूज्य है।
  • अन्य वर्णों (शेष समाज) के लिए ब्राह्मण गुरु है।
  • स्त्रियों के लिए पति ही गुरु है।
  • और सभी के लिए, जो अतिथि मध्याह्न भोजन पर आये, वही पूज्य गुरु है।
संस्कृत श्लोक "गुरुरग्निर्द्विजातीनां वर्णानां ब्राह्मणो गुरुः" का हिन्दी अनुवाद और विश्लेषण
संस्कृत श्लोक "गुरुरग्निर्द्विजातीनां वर्णानां ब्राह्मणो गुरुः" का हिन्दी अनुवाद और विश्लेषण 



📚 व्याकरणिक विश्लेषण

  • गुरुः → "आदर्य" / "पूज्य" (कर्ता, पुंलिङ्ग)
  • अग्निः → अग्नि-देव (कर्ता)
  • द्विजातीनाम् → "द्विजातियों का" (षष्ठी बहुवचन)
  • वर्णानाम् ब्राह्मणः गुरुः → अन्य वर्णों के लिए ब्राह्मण गुरु
  • पतिः एकः गुरुः स्त्रीणाम् → स्त्रियों के लिए केवल पति गुरु
  • सर्वत्र अभ्यागतः गुरुः → जो भी अतिथि आता है, वह सबके लिए गुरु

🌼 आधुनिक सन्दर्भ

  • यह श्लोक "गुरु" को आदर और मार्गदर्शन का प्रतीक बताता है।
  • हर व्यक्ति का "गुरु" अलग रूप में हो सकता है –
    🔥 ज्ञान-साधक के लिए अग्नि (दीप, तप, यज्ञ)
    📖 समाज के लिए विद्वान या आचार्य
    💑 स्त्री के लिए पति (उस समय की सामाजिक व्यवस्था अनुसार)
    🏡 और सभी के लिए अतिथि (अतिथि देवो भव)

👉 आधुनिक समय में इसे व्यापक दृष्टिकोण से देखें –

  • विद्यार्थी का गुरु शिक्षक है।
  • परिवार का मार्गदर्शक मुखिया है।
  • समाज का गुरु सच्चा आचार्य और विचारक है।
  • और "अतिथि" अब भी भारतीय संस्कृति में देवतुल्य माना जाता है।

🪔 संवादात्मक नीति कथा

👦 शिष्य: गुरुजी, हर किसी के लिए गुरु अलग-अलग क्यों बताए गए हैं?
👨‍🦳 गुरु: क्योंकि गुरु केवल "शिक्षक" नहीं, बल्कि वह है जो जीवन को दिशा देता है।
👦 शिष्य: तो आज के समय में मेरा गुरु कौन है?
👨‍🦳 गुरु: जो तुम्हें सत्य, धर्म और कर्तव्य का बोध कराए – वही तुम्हारा गुरु है, चाहे वह पुस्तक हो, अनुभव हो या कोई महापुरुष।


✅ शिक्षा

👉 गुरु केवल व्यक्ति नहीं, बल्कि वह शक्ति है जो हमें धर्म, सत्य और कर्तव्य की राह दिखाए।

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