20 तक की अनोखी गिनती : राजकुमारी का स्वयंवर और हलवाई की बुद्धिमानी (Inspirational Kahani)

Sooraj Krishna Shastri
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20 तक की अनोखी गिनती : राजकुमारी का स्वयंवर और हलवाई की बुद्धिमानी (Inspirational Kahani)

प्राचीन काल की बात है। एक विशाल और समृद्ध राज्य में एक राजा की सुंदर एवं बुद्धिमती कन्या थी। राजकुमारी केवल रूपवती ही नहीं, अपितु अत्यंत विदुषी और जिज्ञासु भी थी। जब उसका विवाह योग्य समय आया, तो राजा ने भव्य स्वयंवर का आयोजन करने का निश्चय किया।

लेकिन राजकुमारी ने एक अनोखी शर्त रख दी —
"जो भी मेरे सामने ऐसी गिनती सुना सकेगा जिसमें संपूर्ण जगत समा जाए, वही मेरा वर बनेगा।"

राजा ने इस घोषणा को सभी पड़ोसी राज्यों में भिजवा दिया। साथ ही यह शर्त भी रखी गई कि यदि कोई राजा गिनती नहीं सुना सका, तो उसे बीस कोड़े दंडस्वरूप झेलने होंगे।


स्वयंवर की शुरुआत

स्वयंवर के दिन राजदरबार को भव्य रूप से सजाया गया।

  • तरह-तरह के पकवान बनाए गए,
  • मधुर संगीत गूंज रहा था,
  • नर्तक-नर्तकियां नृत्य कर रहे थे।

सबसे पहले भोज का आनंद लिया गया और फिर सभा में राजकुमारी को लाकर बैठाया गया।

अब एक-एक करके राजा-महाराजा मंच पर आते और गिनती सुनाने का प्रयास करते।
किसी ने साधारण "एक, दो, तीन…" सुनाई, तो किसी ने ग्रंथों से सीखी कोई विशेष संख्या-पंक्ति सुनाई। लेकिन राजकुमारी का चेहरा संतुष्ट न हुआ।

20 तक की अनोखी गिनती : राजकुमारी का स्वयंवर और हलवाई की बुद्धिमानी (Inspirational Kahani)
20 तक की अनोखी गिनती : राजकुमारी का स्वयंवर और हलवाई की बुद्धिमानी (Inspirational Kahani)


सभा में हर असफल प्रयास का अंत कोड़े खाने से हुआ। कुछ राजा तो मंच पर आए ही नहीं और आपस में कहने लगे —
"यह राजकुमारी पागल हो गई है। यह केवल हम सबको अपमानित करवाना चाहती है।"


हलवाई का हस्तक्षेप

सभा में यह सब देखकर एक कोने में खड़ा हलवाई ज़ोर-ज़ोर से हँसने लगा।
राजाओं को यह बड़ा अपमानजनक लगा। उन्होंने कहा —
"अरे नीच हलवाई! तू हमारी हंसी क्यों उड़ा रहा है?"

हलवाई ने निर्भीक होकर उत्तर दिया —
"डूब मरो राजाओं! तुम सबको 20 तक की गिनती तक नहीं आती!"

सभा में सनसनी फैल गई। राजा ने क्रोधित होकर कहा —
"यदि तू इतना बड़ा ज्ञानी है तो स्वयं गिनती सुना!"

हलवाई ने सहज भाव से कहा —
"महाराज, मैं भला क्यों सुनाऊँ? यह स्वयंवर केवल राजाओं के लिए है। मैं तो दीन हलवाई हूँ। यदि मैंने गिनती सुना भी दी, तो मुझे क्या मिलेगा?"


राजकुमारी का निर्णय

यह सुनकर सभा में सन्नाटा छा गया। उसी समय राजकुमारी मुस्कुराई और बोली —
"यदि यह गिनती सुना सके तो मैं इसी से विवाह करूँगी। और यदि न सुना सका, तो इसे मृत्युदंड दिया जाए।"

अब सभी की निगाहें हलवाई पर थीं। सबको लगा — "आज तो इसकी मृत्यु निश्चित है।"


अनोखी गिनती

हलवाई ने राजा की आज्ञा लेकर गिनती शुरू की —

  1. एक भगवान
  2. दो पक्ष
  3. तीन लोक
  4. चार युग
  5. पांच पांडव
  6. छह शास्त्र
  7. सात वार
  8. आठ खंड
  9. नौ ग्रह
  10. दस दिशा
  11. ग्यारह रुद्र
  12. बारह महीने
  13. तेरह रत्न
  14. चौदह विद्या
  15. पन्द्रह तिथि
  16. सोलह श्राद्ध
  17. सत्रह वनस्पति
  18. अठारह पुराण
  19. उन्नीसवीं तुम
  20. बीसवां मैं

सभा का परिणाम

सभा स्तब्ध रह गई। सब लोग हैरान थे कि यह साधारण हलवाई कितनी गहन बुद्धिमत्ता और तजुर्बा रखता है।
राजकुमारी के मुख पर प्रसन्नता की आभा छा गई और उसने सबके सामने घोषणा की —
"यही मेरा योग्य वर है।"

राजा ने भी इसे ईश्वर की इच्छा मानकर स्वीकृति दे दी। इस प्रकार हलवाई और राजकुमारी का विवाह सम्पन्न हुआ।


कथानक का संदेश

यह कहानी हमें सिखाती है कि —

  • ज्ञान और बुद्धिमत्ता किसी एक वर्ग की संपत्ति नहीं है।
  • केवल शिक्षा ही नहीं, बल्कि अनुभव और गहरी दृष्टि भी जीवन को सफल बनाती है।
  • अहंकार और दिखावे से बड़ी चीज़ है साधारणता और सच्ची समझ

🌸 सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे सन्तु निरामयाः।
🙏 जय श्रीकृष्ण 🙏


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