20 तक की अनोखी गिनती : राजकुमारी का स्वयंवर और हलवाई की बुद्धिमानी (Inspirational Kahani)
प्राचीन काल की बात है। एक विशाल और समृद्ध राज्य में एक राजा की सुंदर एवं बुद्धिमती कन्या थी। राजकुमारी केवल रूपवती ही नहीं, अपितु अत्यंत विदुषी और जिज्ञासु भी थी। जब उसका विवाह योग्य समय आया, तो राजा ने भव्य स्वयंवर का आयोजन करने का निश्चय किया।
राजा ने इस घोषणा को सभी पड़ोसी राज्यों में भिजवा दिया। साथ ही यह शर्त भी रखी गई कि यदि कोई राजा गिनती नहीं सुना सका, तो उसे बीस कोड़े दंडस्वरूप झेलने होंगे।
स्वयंवर की शुरुआत
स्वयंवर के दिन राजदरबार को भव्य रूप से सजाया गया।
- तरह-तरह के पकवान बनाए गए,
- मधुर संगीत गूंज रहा था,
- नर्तक-नर्तकियां नृत्य कर रहे थे।
सबसे पहले भोज का आनंद लिया गया और फिर सभा में राजकुमारी को लाकर बैठाया गया।
![]() |
20 तक की अनोखी गिनती : राजकुमारी का स्वयंवर और हलवाई की बुद्धिमानी (Inspirational Kahani) |
हलवाई का हस्तक्षेप
राजकुमारी का निर्णय
अब सभी की निगाहें हलवाई पर थीं। सबको लगा — "आज तो इसकी मृत्यु निश्चित है।"
अनोखी गिनती
हलवाई ने राजा की आज्ञा लेकर गिनती शुरू की —
- एक भगवान
- दो पक्ष
- तीन लोक
- चार युग
- पांच पांडव
- छह शास्त्र
- सात वार
- आठ खंड
- नौ ग्रह
- दस दिशा
- ग्यारह रुद्र
- बारह महीने
- तेरह रत्न
- चौदह विद्या
- पन्द्रह तिथि
- सोलह श्राद्ध
- सत्रह वनस्पति
- अठारह पुराण
- उन्नीसवीं तुम
- बीसवां मैं
सभा का परिणाम
राजा ने भी इसे ईश्वर की इच्छा मानकर स्वीकृति दे दी। इस प्रकार हलवाई और राजकुमारी का विवाह सम्पन्न हुआ।
कथानक का संदेश
यह कहानी हमें सिखाती है कि —
- ज्ञान और बुद्धिमत्ता किसी एक वर्ग की संपत्ति नहीं है।
- केवल शिक्षा ही नहीं, बल्कि अनुभव और गहरी दृष्टि भी जीवन को सफल बनाती है।
- अहंकार और दिखावे से बड़ी चीज़ है साधारणता और सच्ची समझ।