संस्कृत नीति श्लोक “उदीरितोऽर्थः पशुनाऽपि गृह्यते…” यह स्पष्ट करता है कि जो बात स्पष्ट शब्दों में कही जाती है, उसे पशु भी समझ लेते हैं; परंतु बुद्धिमान व्यक्ति वह भी समझ लेता है जो कहा नहीं गया। घोड़े और हाथी आदेश मिलने पर भार वहन करते हैं, किंतु पण्डित जन संकेत, भाव और अभिप्राय को बिना शब्दों के ग्रहण कर लेते हैं।
यह लेख इस श्लोक का शब्दार्थ, व्याकरणात्मक विश्लेषण, भावार्थ, आधुनिक संचार (Communication Skills), नेतृत्व, मनोविज्ञान, शिक्षा और सामाजिक जीवन में इसकी प्रासंगिकता, संवादात्मक नीति-कथा तथा निष्कर्ष सहित विस्तृत विवेचन प्रस्तुत करता है।
यदि आप Sanskrit Niti Shlokas, Unspoken Communication, Emotional Intelligence, Leadership & Soft Skills, या Life Lessons from Sanskrit जैसे विषयों में रुचि रखते हैं, तो यह लेख आपके लिए अत्यंत उपयोगी और व्यवहारिक सिद्ध होगा।
Udirito’rthah Pashuna Pi Grihyate: Shloka Meaning in Hindi & English | बुद्धिमान के लक्षण
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| Digital painting of a wise sage and an elephant, illustrating the Sanskrit Shloka Udirito’rthah about intuitive intelligence |
1️⃣ मूल श्लोक (संस्कृत)
2️⃣ English Transliteration (IAST)
3️⃣ शुद्ध हिन्दी अनुवाद
4️⃣ शब्दार्थ (Padārtha)
| शब्द | अर्थ |
|---|---|
| उदीरितः | कहा गया, उच्चारित |
| अर्थः | अर्थ, भाव |
| पशुना अपि | पशु द्वारा भी |
| गृह्यते | ग्रहण किया जाता है |
| हयाः | घोड़े |
| नागाः | हाथी |
| वहन्ति | ढोते/ले जाते हैं |
| चोदिताः | आदेशित |
| अनुक्तम् अपि | न कहा गया भी |
| ऊहति | अनुमान/बोध करता है |
| पण्डितः जनः | बुद्धिमान व्यक्ति |
| परेङ्गित-ज्ञान | दूसरों के संकेतों का ज्ञान |
| फलाः | फल देने वाली |
| बुद्धयः | बुद्धियाँ |
5️⃣ व्याकरणात्मक विश्लेषण (Grammatical Analysis)
- उदीरितः अर्थः – क्त-प्रत्ययान्त विशेषण + संज्ञा
- पशुना अपि – तृतीया विभक्ति, अव्यय ‘अपि’
- गृह्यते – लट् लकार, कर्मणि प्रयोग
- हयाः / नागाः – पुंलिङ्ग, प्रथमा बहुवचन
- चोदिताः – क्त-प्रत्यय, विशेषण
- अनुक्तम् अपि – नपुंसकलिङ्ग, अव्यय
- ऊहति – लट् लकार, परस्मैपद
- परेङ्गितज्ञानफला – बहुव्रीहि समास (जिसका फल संकेत-बोध है)
➡️ श्लोक में दृष्टान्त-अलंकार, तुलनात्मक शैली और बुद्धि-स्तर का वर्गीकरण स्पष्ट है।
6️⃣ भावार्थ एवं तात्त्विक विवेचन
यह श्लोक बुद्धि के तीन स्तर दर्शाता है—
- आदेश-बोध (पशु-स्तर)जो कहा गया, वही समझना।
- अर्थ-बोध (सामान्य मानव)शब्दों के भाव को ग्रहण करना।
- संकेत-बोध (पण्डित-स्तर)बिना कहे कही गई बात को समझ लेना।
अर्थात्—
वाणी से अधिक महत्त्व संकेत और भाव का है।
7️⃣ आधुनिक सन्दर्भ (Contemporary Relevance)
🔹 शिक्षा एवं शिक्षण
श्रेष्ठ शिक्षक वह है जो छात्र के प्रश्न पूछने से पहले ही उसकी कठिनाई समझ ले।
🔹 प्रशासन एवं नेतृत्व
उत्कृष्ट नेता आदेशों से नहीं, परिस्थिति-बोध और संकेत-समझ से कार्य करता है।
🔹 मनोविज्ञान एवं संचार
Body Language, Silence, Tone—ये सब अनुक्त भाषा हैं।
🔹 पारिवारिक व सामाजिक जीवन
संवेदनशील व्यक्ति बिना बोले भाव समझ लेता है—यही संबंधों की गहराई है।
8️⃣ संवादात्मक नीति-कथा (Didactic Dialogue)
9️⃣ नीति-सूत्र (Key Takeaway)
जो कहा गया उसे पशु भी समझते हैं;जो न कहा गया, उसे समझना ही बुद्धिमत्ता है।
🔟 निष्कर्ष
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