मकर संक्रांति की कथा

Sooraj Krishna Shastri
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 सूर्य का राशि बदलना, तीव्र शरद से ऋतुराज वसंत के आगमन का संकेत, सभी के लिए वासंतिक भाव और परिस्थितियों के आगमन का भी संकेत है।

"मकर संक्रांति के इस अवसर पर, भगवान आपको अच्छे स्वास्थ्य और धन का आशीर्वाद दें ।"

मकर संक्रांति की कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, राजा सगर अपने परोपकार और पुण्य कर्मों से तीन लोकों में प्रसिद्ध हो गए थे। 

चारों ओर उनका ही गुणगान हो रहा था। 

इस बात से देवताओं के राजा इंद्र को चिंता होने लगी कि कहीं राजा सगर स्वर्ग के राजा न बन जाएं। 

इसी दौरान राजा सगर ने अश्वमेध यज्ञ का आयोजन किया। 

इंद्र देव ने अश्वमेध यज्ञ का घोड़ा चुराकर कपिल मुनि के आश्रम के पास बांध दिया। 

अश्वमेध यज्ञ का घोड़ा चोरी होने की सूचना पर राजा सगर ने अपने सभी 60 हजार पुत्रों को उसकी खोज में लगा दिया। 

वे सभी पुत्र घोड़े को खोजते हुए कपिल मुनि के आश्रम तक पहुंच गए. वहां पर उन्होंने अश्वमेध यज्ञ का घोड़ा देखा। 

इस पर उन लोगों ने कपिल मुनि पर घोड़ा चोरी करने का आरोप लगा दिया। 

इससे क्रोधित होकर कपिल मुनि ने राजा सगर के सभी 60 हजार पुत्रों को श्राप से जलाकर भस्म कर दिया। 

यह जानकर राजा सगर भागते हुए कपिल मुनि के आश्रम पहुंचे और उनको पुत्रों को क्षमा दान देने का निवेदन किया। 

तब कपिल मुनि ने कहा कि सभी पुत्रों के मोक्ष के लिए एक ही मार्ग है, तुम मोक्षदायिनी गंगा को पृथ्वी पर लाओ। 

राजा सगर के पोते राजकुमार अंशुमान ने कपिल मुनि के सुझाव पर प्रण लिया कि जब तक मां गंगा को पृथ्वी पर नहीं लाते, तब तक उनके वंश का कोई राजा चैन से नहीं बैठेगा। 

वे तपस्या करने लगे. राजा अंशुमान की मृत्यु के बाद राजा भागीरथ ने कठिन तप से मां गंगा को प्रसन्न किया। 

मां गंगा का वेग इतना था कि वे पृथ्वी पर उतरतीं तो, सर्वनाश हो जाता। 

तब राजा भगीरथ ने भगवान शिव को अपने तप से प्रसन्न किया ताकि वे अपनी जटाओं से होकर मां गंगा को पृथ्वी पर उतरने दें, जिससे गंगा का वेग कम हो सके। 

भगवान शिव का आशीर्वाद पाकर राजा भगीरथ धन्य हुए. मां गंगा को अपनी जटाओं में रखकर भगवान शिव गंगाधर बने। 

मां गंगा पृथ्वी पर उतरीं और आगे राजा भगीरथ और पीछे-पीछे मां गंगा पृथ्वी पर बहने लगी। 

राजा भगीरथ मां गंगा को लेकर कपिल मुनि के आश्रम तक लेकर आए, जहां पर मां गंगा ने राजा सगर के 60 हजार पुत्रों को मोक्ष प्रदान किया। 

जिस दिन मां गंगा ने राजा सगर के 60 हजार पुत्रों को मोक्ष दिया, उस दिन मकर संक्रांति थी। 

वहां से मां गंगा आगे जाकर सागर में मिल गईं। 

जहां वे मिलती हैं, वह जगह गंगा सागर के नाम से प्रसिद्ध है। 

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मकर संक्रांति को गंगासागर या गंगा नदी में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है और सात जन्मों के भी पाप मिट जाते हैं।

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