
गुलिक, काल, मृत्यु, यमघण्ट, अर्धप्रहर – परिचय
इस पोस्ट में बृहत्पाराशरहोराशास्त्र के एक और अत्यंत गूढ़ व व्यावहारिक पक्ष – गुलिक, काल, मृत्यु, यमघण्टा आदि अंशों …
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अप्रकाशक दोषकारी उपग्रहों —धूम, व्यतिपात, परिवेष, इन्द्रचाप और उपकेतु—का विश्लेषण बृहत्पाराशर होराशास्त्र से ग्रहों क…
ग्रहों के स्थान बल (Sthan Bala) यह उद्धरण बृहत्पाराशर होरा शास्त्र के श्लोक 62-63 का है, जो ग्रहों के स्थान बल (Sthan …
प्रस्तुत श्लोक “ पंचधा मैत्री ” (पाँच प्रकार की ग्रह मैत्री) का यह विचार ज्योतिषीय फल निर्णय में अत्यंत महत्वपूर्ण है।…
आइए आज हम "ग्रहों की तात्कालिक मैत्री" को श्लोक, व्याख्या, सारणी (Chart) और उदाहरण सहित समझते हैं: 🌟 ग्…
ग्रहों की नैसर्गिक (नैसर्गिकी) मैत्री (श्लोक सहित अर्थ) और तालिका यह ग्रहों की नैसर्गिक मैत्री (निसर्गमैत्री) का अत्…
नवग्रहों के मूलत्रिकोण स्थानों की गहराई से व्याख्या प्रस्तुत श्लोक (51–54) नवग्रहों के मूलत्रिकोण स्थानों की गहराई से …
नवग्रहों की उच्च-नीच राशियों और परमोच्च-अवमुक्त अंशों का निर्धारण यहां जो श्लोक (49–50) प्रस्तुत किए गए हैं, वे नवग्…
ग्रहों की संज्ञाएँ: धातु, मूल, जीव तथा नैसर्गिक आयु यहां जो श्लोक प्रस्तुत किए गए हैं वे ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों की…
यहां जो श्लोक उद्धृत किए हैं वे नवग्रहों के ऋतु-स्वामित्व को दर्शाते हैं, जो ग्रहों की स्वाभाविक प्रकृति , उनकी तात्त…
यहां पर जो श्लोक उद्धृत किया गया है वह नवग्रहों के वस्त्र , आसन-स्थान , धातु , और रंग संबंधी गूढ़ विवरण प्रस्तुत करता…
इस पोस्ट में नवग्रहों के साथ उनके अधिपत्य वृक्षों , उनके स्वभाव , उपयोग , और मूल संस्कृत श्लोक को भी शामिल किया गया ह…
यहां जो श्लोक प्रस्तुत किए गए हैं, वे ग्रहों के विविध बलों (बलों के प्रकार) से संबंधित हैं — जो होरा , शड्बल , और प्र…
नवग्रहों के साथ शरीर की धातुएँ, स्थान, कालखंड और रसों का सम्बन्ध यहां जो श्लोक और उसका भावार्थ प्रस्तुत किया गया है, वह…