भागवत पञ्चम स्कन्ध
भागवत पञ्चम स्कन्ध पञ्चविंशति अध्याय ( bhagwat 5.25 )

भागवत पञ्चम स्कन्ध पञ्चविंशति अध्याय ( bhagwat 5.25 )

bhagwat chapter 5.25 श्रीशुक उवाच तस्य मूलदेशे त्रिंशद्योजनसहस्रान्तरआस्ते या  वै कला भगवतस्तामसी समाख्याताऽनन्त इत…

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भागवत पञ्चम स्कन्ध चतुर्विंशति अध्याय ( bhagwat 5.24 )

भागवत पञ्चम स्कन्ध चतुर्विंशति अध्याय ( bhagwat 5.24 )

bhagwat chapter 5.24 श्रीशुक उवाच अधस्तात्सवितुर्योजनायुते स्वर्भानुर्नक्षत्रवच्चरतीत्येके योऽसावमरत्वं ग्रहत्वं चा…

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भागवत पञ्चम स्कन्ध त्रयोविंशति अध्याय (bhagwat 5.23 )

भागवत पञ्चम स्कन्ध त्रयोविंशति अध्याय (bhagwat 5.23 )

bhagwat chapter 5.23 श्रीशुक उवाच अथ तस्मात्परतस्त्रयोदशलक्षयोजनान्तरतो  यत्तद्विष्णोः परमं पदमभिवदन्ति यत्र ह महाभ…

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भागवत पञ्चम स्कन्ध द्वाविंशति अध्याय ( bhagwat 5.22 )

भागवत पञ्चम स्कन्ध द्वाविंशति अध्याय ( bhagwat 5.22 )

bhagwat chapter 5.22 यदेतद्‌भगवत आदित्यस्य मेरुं ध्रुवं च प्रदक्षिणेन परिक्रामतो राशीनामभिमुखं प्रचलितं चाप्रदक्षिणं …

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