विश्व के वैज्ञानिक—वर्तुल में एक छोटी—सी बड़ी मधुर कथा

Sooraj Krishna Shastri
By -
0

  आसटरीयन वैज्ञानिक वुल्फगैंग पावली 1958 में मरा। कथा है कि ईश्वर बहुत दिन से उसकी प्रतीक्षा कर रहे थे कि वह कब मरे और कब आये; क्योंकि पावली जैसे आदमी मुश्किल से कभी होते हैं। असत्य को पकड़ने की, लोग कहते हैं, ऐसी क्षमता मनुष्य जाति के इतिहास में, विज्ञान की परंपरा में दूसरे व्यक्ति के पास नहीं थी। 

   क्षणभर में असत्य को पकड़ लेना, भूल को पकड़ लेना पावली की कुशलता थी। और चाहे कितना ही खोना पड़े, कितना ही दांव पर लगाना पड़े, भूल को अस्वीकार करना या भूल को मद्देनजर करना या छिपाना उसके लिए असंभव था। हो सकता हो ईश्वर उसकी प्रतीक्षा करता हो, क्योंकि सत्य के खोजी की प्रतीक्षा ही ईश्वर कर सकता है।

  पावली मरा, और कथा है कि ईश्वर ने पावली से कहा कि तू भी अनूठा आदमी है। छोटी—छोटी भूलों के लिए तूने अपनी न—मालूम कितनी रातें बिना सोये बिताई हैं। और निश्चित ही जीवन के बहुत से रहस्य——वह भौतिकविद था, फिजिसिस्ट था——भौतिक शास्त्र के बहुत से रहस्य तुझे अनजाने रह गये होंगे और तू प्रतीक्षा कर रहा होगा कि कब परमात्मा से मिलना हो तो उनसे पूछ सके।

तुझे कुछ पूछना तो नहीं है? मैं खुश हूं।

  पावली ने कहा कि धन्यभागी, हे प्रभु, एक सवाल मुझे वर्षो से चिंतित कर रहा है, और मेरे मित्रों ने, मेरे साथियों ने जितने भी सिद्धांत खोजे वह सब गलत थे और मामला हल नहीं हो पाया। जब आप ही मौजूद हैं, जिन्होंने जगत को बनाया तो अब हल होने में कोई कठिनाई नहीं है।

उसने भौतिक—शास्त्र का एक उलझा हुआ सवाल ईश्वर से पूछा। 

  उसने कहा कि प्रोटान और इलेक्‍ट्रान दोनों के मास में अठारह सौ गुना का फर्क है। प्रोटान का मास इलेक्‍ट्रान के मास से अठारह सौ गुना ज्यादा है। लेकिन दोनों का विद्युत चार्ज बराबर है; यह बड़ी हैरान करनेवाली बात है। ऐसा कैसे हो पाया? क्या कारण है? जरूर कोई कारण होगा।

  ईश्वर ने अपनी टेबिल के ऊपर से कुछ कागजात उठाये और पावली को दिये और कहा कि यह रहा सारा सिद्धांत, इस भेद का सारा सिद्धांत, इस भेद का सारा रहस्य ! पावली गौर से पढ़ गया। फिर से दुबारा लौटकर उसने पढ़ा। तीसरी बार फिर नजर डाली और ईश्वर के हाथ में देते हुए कहा, "स्टिल रांग——अभी भी गलत है।'

  कहानी कहती है कि ईश्वर बहुत प्रसन्न हुआ और उसने कहा कि मैंने गलत ही तुझे पकड़ाया था। मैं जानना चाहता था कि ईश्वर को भी गलत कहने की क्षमता तुझ में है या नहीं। ईश्वर की प्रतिष्ठा से और बड़ी कोई प्रतिष्ठा नहीं हो सकती; लेकिन सत्य के खोजी की आड़ में अगर ईश्वर भी आता हो तो उसे भी हटा देना आवश्यक है। 

Post a Comment

0 Comments

Post a Comment (0)

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!