रामशरण जी बहुत ही सज्जन व्यक्ति थे। जीवन मैं मेहनत और सरल व्यवहार ही के कारण समाज मैं उन्हें आदर सम्मान की दृष्टि से देखा जाता था। उनके 2 बेटियां व एक बेटा था जिन्हे उन्होंने बड़े लाड प्यार से परवरिश की, और अच्छी शिक्षा के लिये अच्छे स्कूल मैं अध्यन के लिये भेजा।
बड़ी बेटी स्कूली शिक्षा के बाद पिता की तरह सरकारी सेवा का सपना संजोये थीं। वो चाहती थीं की बड़े शहर मैं जाकर कॉम्पीटिशन एग्जाम की कोचिंग ले और कॉलेज की शिक्षा दीक्षा भी वही प्राप्त करें। पिता के सामने इच्छा जाहिर करने पर रामशरण जी ने आज के माहौल से घबराते हुए बेटी से अपने ही शहर मैं आगे की पढ़ाई करने को कहा किन्तु बेटी ने कहा की पापा वहा अच्छे इंस्टिट्यूट है और अनुभवी शिक्षक है। रामशरण जी नहीं चाहते थे की आज के ख़राब माहौल को देखते हुए बेटियों या बेटों को दूसरे शहरो मैं अकेला रहने दिया जाये. उनकी धर्मपत्नी ने कहा की बेटी की इच्छा है तो मैं भी इसके साथ चली जाती हु और हम दोनों मा बेटि किराये का कमरा ले कर रह लेगे, और 2/3 साल की ही तो बात है, बेटि की सुरक्षा भी रहेगी और देखभाल भी कर लूगी।
किन्तु बेटी बोली की पिताजी आजकल हर शहर मैं गर्ल्स /बॉयज के अलग हॉस्टल /PG है जहा सब सुविधाएं है आप परेशान मत हो मैं आपसे मोबाइल से संपर्क मैं रहूँगी।
आखिर भारी मन से रामशरण जी ने बेटी को एक PG मैं कमरा दिला दिया और एक मोबाइल दिला दिया। शाम को वो अपने शहर लोट गए।
खैर कुछ दिन बाद बेटी ने फ़ोन करना भी कम कर दिया, और मा बाप ने भी सोचा की बेटी मन लगा कर पढ़ाई कर रही होंगी।
जैसा की कहावत है खरबूजे को देखकर खरबूजा रंग बदलता है उनकी बेटी भी गलत संगत मैं पड़ गयी उसकी रूम मेट ने उसे दलदल मैं धकेल दिया, माइंडवाश कर दिया की क्या गाँव की बहनजी की तरह रहती है, ज़िन्दगी मिली है तो ऐश कर, मुझे देख मेरा बॉय फ्रेंड मुझे कितना खुश रखता है, अपने सारे शौक पुरे करती हु, मॉडर्न बन के रहती हूँ।
जैसा की आजकल हम देख रहे है की हर शहर मैं कॉलेज /इंस्टिट्यूट की आसपास की चाय की थड़ियों पर लड़किया चाय सिगरेट पीती दिख जायेगी, शराब की दुकानों पर मिल जाएगी, रातो को छोटे छोटे निक्कर पहने हुए बाज़ारो मैं घूमती मिल जाएगी, यही हाल रामशरण जी की बेटी का हो गया, चूंकि दूसरे शहर मैं उनको मा बाप या रिश्तेदार का कोई डर नहीं, कोई रोक टोक नहीं, वो इन सब रंगों मैं रंग गयी। अब घर से ज्यादा पैसो की डिमांड होने लगी। मा बाप से सोचा की उच्च स्तर की पढ़ाई मैं खर्चा तो होता होगा सो बेचारे भेज देते।
2 साल बीत गए। एक दिन रामशरण जी के मोबाइल पर कुछ तस्वीरे व एक वीडियो आया जिसको देख कर उनके पैरो से ज़मीन खिसक गई। उन फोटो मैं बेटी एक लड़के के साथ शादी का जोड़ा पहने खड़ी है और वीडियो मैं बोल रही है की पिताजी मैंने अपनी पसंद से शादी कर ली है, आप आशीर्वाद दे दो।
माँ बाप बेचारे रोते पुकारते उस शहर मैं पहुँचे तो पता चला की बेटी ने एक फास्टफूड का ठेला लगाने वाले से शादी कर ली है। जिसकी आमदनी महज 10/15 हज़ार मासिक है और मकान के नाम पर टीन टपरो का घर है,, बेचारे बेबस रामशरण जी ने पुलिस थाने मैं FIR दर्ज़ करवाई किन्तु पुलिस भी लाचार थीं, बेटी और उसके प्रेमी ने बालिग़ होने की बात कह कर अपने जीवन के फैसले खुद करने की बात कही। रामशरण जी सपने मैं भी बेटी के ऐसे कदम से सहमत नहीं थे। बेचारे रो पीट के दुखी मन से अपने शहर लौट गए। कितने सपने देखे थे बेटी के अच्छे, उच्च कुल मैं, सुयोग्य वर के लिये पर सब कुछ बर्बाद हो गया। बेटी ने खुद झूठे प्यार मैं पढ़कर अपनी ज़िन्दगी बर्बाद कर ली थीं।
खैर कहानी यही ख़त्म नहीं होती,,,,
7/8 साल बाद एक दिन सुबह सुबह उनकी पत्नी को घर के दरवाजे पर किसी के रोने की आवाज आती है, वो उठकर दरवाजे पर जाकर देखती है तो एक मजदूर सी दिखने वाली औरत नज़र आती है जिसकी साडी फटी हुयी, बाल अस्तव्यस्त, काला पड़ चूका रूप रंग,आगे के दाँत टूटे हुए देख कर एक बार तो पहचान नहीं पाती, पर माँ बेटी को इस हाल मैं भी पहचान लेती है,,, इतनी देर मैं राम शरण जी भी आ जाते है, बेटी को देख कर उनकी भी रुलाई फूट पडती है।
बेटी की दशा देखकर व उस से बात कर के पता चलता है की 5/6 महीने तो उस ठेलेवाले लड़के ने उसे खूबसूरत सपने दिखाए, फिर पता नहीं वो प्यार मोहब्बत कहा गायब हो गया। बात बात पर मारपीट करना, शराब पीना, और उनकी बेटी को एक फैक्ट्री मैं काम पर भेज दिया। वो बेचारी कमा के लाती और वो सब पैसे शराब व चिलम मैं उडाने लगा। रोज की मारपीट व घंटो घंटो काम करने से उनकी बेटी बीमार हो गई पर उसका ईलाज कौन करवाता। फैक्ट्री मैं भी उसे गलत नज़रो से देखा जाता व कई बार पैसे कमाने के लिये अपने शरीर को बेचना पड़ा। अब उसे अपने मा बाप का प्यार और वो सुनहरे दिन याद आ रहे थे। किन्तु अब सब कुछ ख़त्म हो चूका था। अत्यधिक काम व खाना नहीं मिलने से शरीर जर्ज़र हो गया, 2 बार गर्भ पात हो गया।
आज बड़ी हिम्मत कर के पिता के दरवाजे आयी। किन्तु अब पिता के हाथ से भी बात निकल चुकी थीं। रामशरण जी ने घर से दूर एक कमरा दिला दिया, और दवा के साथ भोजन की व्यवस्था की।
किन्तु ये सोचने योग्य विषय है की रामशरण जी जैसी कहानी आजकल घर घर मैं होती जा रही है। PG/हॉस्टल मैं रहकर शराब और ड्रग्स के जाल मैं फसकर अच्छे अच्छे परिवारों के बच्चे बर्बाद हो रहे है। झूठे प्यार का दिखावा कर के उठाई गिरे लड़के अच्छे परिवारों को लड़कियों का जीवन बर्बाद कर रहे है।
PG/हॉस्टल ऐसी बर्बादी के अड्डे बन गए है।
मित्रों ये कहानी नहीं किसी बाप की आपबीती है,, पता नहीं कितने माँ बाप की आपबीती है। जिनके बच्चे दूसरे शहरों मैं जा कर गलत रास्तो पर पड़ के ड्रग्स/शराब से बर्बाद/ हो चुके है।
एक बदनसीब बाप की ये कहानी हर ग्रुप,हर मित्र, हर रिश्तेदार से शेयर करें क्या पता किसी अभिभावक को आप बर्बाद होने से बचा सके, किसी बच्चे को गलत संगत मैं जाने से रोक सके।