1. चैत्र शुक्ला पूर्णिमा मंगलवार के दिन में —
चैत्रे मासि सितेपक्षे पौर्णिमास्यां कुजेऽहनि।
2. कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी भौमवार स्वाति नक्षत्र मेष लग्न में महानिशा में अंजना देवीने हनुमानजीको जन्म दिया था।
ऊर्जस्य चासिते पक्षे स्वात्यां भौमे कपीश्वरः।
मेषलग्नेऽञ्जनीगर्भाच्छिवः प्रादुर्भूत् स्वयम्।।
(उत्सवसिन्धु)
कार्तिकस्यासिते पक्षे भूतायां च महानिशि।
भौमवारेऽञ्जना देवी हनुमंतमजीजनत्।।
( वायुपुराण )
3. कल्पभेदसे कुछ विद्वान इनका प्राक़ट्य काल चैत्र शुक्ल एकादशीके दिन मघा नक्षत्रमें मानते हैं।
चैत्रे मासि सिते पक्षे हरिदिन्यां मघाभिधे।
नक्षत्रे समुत्पन्नो हनुमान् रिपुसूदनः।।
(आनंदरामायण,सारका० 13.162)
श्रीहनुमानजीके प्राकट्यको लेकरके और भी कई विकल्प शास्त्रोंमें उपलब्ध होते हैं।
हनुमानजीका जन्म मूँजकी मेखलासे युक्त,कौपीनसे संयुक्त और यज्ञोपवीत से विभूषित ही हुआ था । और ये सब शृंगार सदा हनुमान जी के साथ ही रहता है।
चैत्रे मासि सिते पक्षे पौर्णमास्यां कुजेऽहनि।
मौञ्जीमेखलया युक्तः कौपीनपरिधारकः।।
(हनुमदुपासनाकल्पद्रुमे)
अतः कल्पभेद भिन्नता के कारण हनुमानजी का जन्मोत्सव या जयन्ती भिन्न-भिन्न तिथियों में मनाया जाता है ।
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