भागवत दर्शन |
बहुत पुराने समय की बात है । एक बड़े से समुद्र के बीचों-बीच एक छोटा-सा सुंदर टापू था । पूरे टापू पर मैदानों में हरी-हरी घास थी और हर रंग के सुंदर फूल वहाँ उगते थे । फूलों की महक से सारा वातावरण महकता रहता था ।वहाँ एक बहुत ही अच्छा राजा राज्य करता था । सभी की खुशी में वह खुश होता था । और सबके दुखों को बाँटकर कम करता था ।
हर वर्ष वहाँ राज्य के कुलदेवता की पूजा की जाती थी और उसके लिए बगीचे के सबसे सुंदर फूल को चुना जाता था। यह चुनाव राजा करता था। पिछले कई वर्षों से बागीचे के सबसे सुंदर लाल गुलाब के फूलों को इसके लिए चुना जा रहा था इसलिए गुलाब का पौधा बहुत ही घमंडी हो गया था ।उसे लगता था कि वही एक है, जो सब फूलों में सबसे सुंदर हैं।
घमंड के कारण वह तितलियों और मधुमक्खियों को अपने फूलों पर बैठने भी नहीं देता था । यहाँ तक कि पक्षियों को अपनी डालियों के पास भी आने नहीं देता था । उसके ऐसे व्यवहार के कारण कोई तितली या पक्षी उसके पास आना ही नहीं चाहते थे। गुलाब के पौधे के पीछे मिटटी के ढेर पर एक छोटा-सा, नाजुक-सा पौधा अपने आप उग आया था। उस पर चमकदार पीले रंग के छोटे-छोटे फूल उगे थे । वह एक जंगली पौधा था, इसलिए कभी कोई उसकी ओर ध्यान ही नहीं देता था । उसके फूल छोटे थे, लेकिन बेहद सुंदर थे। घंटी के आकार के उन फूलों की पंखुड़ियाँ किनारों पर गहरे लाल रंग की थी ।
वह जानता था कि उसकी ओर कोई ध्यान नहीं देता है फिर भी वह बड़े प्यार से सभी तितलियों और पतंगों को अपने पास बुलाकर अपना रस पीने देता था । पक्षी उसकी डालियों पर बैठ कर खुश होते थे । यह सब देखकर पौधे को खुशी होती थी कि वह किसी के काम तो आ सका । हर वर्ष की तरह एक बार फिर वह दिन आने वाला था, जब कुलदेवता की पूजा की जानी थी । गुलाब के पौधे को पूरा विश्वास था कि राजा आएँगे और उसी को चुनेंगे ।
जब राजा बागीचे में फूल चुनने आए । माली उन्हें सीधा गुलाब के पौधे के पास ले गया । इस बार तो गुलाब और भी सुंदर और बड़े खिले हैं महाराज! वह बोला । उसने सबसे बड़ा गुलाब तोड़ने के लिए हाथ बढ़ाया, लेकिन महाराज ने रोक लिया वे किसी और सुंदर फूल को ढूँढ़ रहे थे । वापिस जाने के लिए जैसे ही घूमे, उनकी निगाह पीले रंग के फूल पर पड़ी ।
उन्होंने घूमकर देखा तो उनको वह पीले फूलों वाला जंगली पौधा दिखाई दिया । उसके आस-पास अनेक तितलियाँ और पतंगे घूम रहे थे । जबकि गुलाब का पौधा अकेला, अलग खड़ा था । राजा धीरे से जंगली पौधे के पास गए और बोले - यह वह पौधा है जो बिना खाद-पानी के उग आया है । बाकी सभी पौधों का माली विशेष ध्यान रखते हैं । समय से पानी देते हैं, खाद डालते हैं, काट-छाँट करते हैं, इसलिए वे इतने सुंदर हैं । लेकिन यह वह पौधा है, जो अपनी हिम्मत से खड़ा है । फिर भी कितना स्वस्थ है, सुंदर है । सबसे अच्छी बात यह है कि इसके अच्छे स्वभाव के कारण सभी तितलियाँ उसके पास आकर बेहद खुश हैं । यही है सच्ची सुंदरता इसलिए कुलदेवता की पूजा के लिए मैं इस जंगली फूल को चुनता हूँ ।
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