रस सिद्धान्त

Sooraj Krishna Shastri
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A visually stunning and intricate artwork representing the nine Rasas (Navarasas) from Indian aesthetics_ love, laughter, compassion, anger, heroism.
 A visually stunning and intricate artwork representing the nine Rasas (Navarasas)
from Indian aesthetics_ love, laughter, compassion, anger, heroism. 


  रस काव्यशास्त्र का प्रमुख सिद्धांत है और इसे काव्य की आत्मा माना गया है। रस का अर्थ है "आनंद" या "भाव का अनुभव।" रस के माध्यम से पाठक या दर्शक काव्य में व्यक्त भावनाओं को महसूस करता है और उनमें डूब जाता है।

रस का मूल सिद्धांत

  • रस की परिभाषा भरत मुनि ने अपने नाट्यशास्त्र में दी:
  • विभावानुभावव्यभिचारी संयोगाद्रसनिष्पत्तिः। अर्थ: विभाव, अनुभाव और व्यभिचारी भाव के समन्वय से रस उत्पन्न होता है।

रस के तत्व

1. स्थायी भाव:

  • स्थायी भाव वे प्रमुख भावनाएँ हैं, जो मनुष्य के भीतर स्थायी रूप से मौजूद रहती हैं। जैसे: रति (प्रेम), शोक (दुःख), उत्साह (वीरता)।
  • इन्हीं स्थायी भावों से रस की उत्पत्ति होती है।

2. विभाव:

  • विभाव रस उत्पन्न करने वाले कारण हैं।
  • दो प्रकार:
  • आलंबन विभाव: पात्र या वस्तु, जो भाव को केंद्रित करता है।
  • उद्दीपन विभाव: वातावरण या परिस्थिति, जो भाव को उत्तेजित करता है।
3. अनुभाव:
  • भाव की बाहरी अभिव्यक्ति।
  • जैसे: हर्ष में मुस्कान, क्रोध में आंखों का लाल होना।

4. व्यभिचारी भाव (संचारी भाव):

  • ये सहायक भाव हैं, जो स्थायी भाव को गहराई देते हैं।
  • जैसे: भय के साथ चिंता, लज्जा, असहायता।

रस के प्रकार

 भरत मुनि ने नाट्यशास्त्र में 8 रसों का वर्णन किया, जिसे बाद में आचार्य अभिनवगुप्त और अन्य विद्वानों ने 9 (नव रस) में विस्तारित किया।

1. शृंगार रस (प्रेम और सौंदर्य)

  • स्थायी भाव: रति (प्रेम)
  • आलंबन विभाव: नायक-नायिका
  • उद्दीपन विभाव: प्रकृति, चांदनी रात, फूलों की सुगंध
  • अनुभाव: चंचल दृष्टि, मुस्कान, नायक-नायिका का मिलन
  • व्यभिचारी भाव: उत्कंठा, लज्जा, हर्ष
  • उदाहरण: "प्रिय की स्मिति देख कर नायिका का हर्षित होना।"

2. हास्य रस (हंसी)

  • स्थायी भाव: हास (हंसी)
  • आलंबन विभाव: किसी की हरकत या कथन
  • उद्दीपन विभाव: हास्यजनक स्थिति
  • अनुभाव: हंसी, कटाक्ष, उपहास
  • व्यभिचारी भाव: आश्चर्य, आलस्य
  • उदाहरण: "मूर्ख मित्र की बातों पर हंसना।"

3. करुण रस (दुःख)

  • स्थायी भाव: शोक
  • आलंबन विभाव: प्रियजन की मृत्यु, वियोग
  • उद्दीपन विभाव: शोकाकुल दृश्य
  • अनुभाव: आंसू, सिर पकड़ना, रोना
  • व्यभिचारी भाव: दीनता, निराशा, चिंता
  • उदाहरण: "एक मां का अपने पुत्र की मृत्यु पर विलाप।"


4. वीर रस (वीरता)

  • स्थायी भाव: उत्साह
  • आलंबन विभाव: युद्ध, चुनौतीपूर्ण स्थिति
  • उद्दीपन विभाव: शत्रु, शस्त्र
  • अनुभाव: दृढ़ता, ओजस्वी वाणी
  • व्यभिचारी भाव: गर्व, धैर्य
  • उदाहरण: "एक योद्धा का रणभूमि में गर्जना करना।"

5. रौद्र रस (क्रोध)

  • स्थायी भाव: क्रोध
  • आलंबन विभाव: शत्रुता, अन्याय
  • उद्दीपन विभाव: प्रतिकूल घटना
  • अनुभाव: भृकुटि का टेढ़ा होना, मुट्ठी भींचना
  • व्यभिचारी भाव: घृणा, ईर्ष्या
  • उदाहरण: "दुर्योधन का पांडवों पर क्रोधित होना।"

6. भयानक रस (भय)

  • स्थायी भाव: भय
  • आलंबन विभाव: भूत, जंगली जानवर, आपदा
  • उद्दीपन विभाव: अंधेरा, चीत्कार
  • अनुभाव: कांपना, भागना, पसीना आना
  • व्यभिचारी भाव: चिंता, असहायता
  • उदाहरण: "रात्रि में अकेले जंगल में जाना।"

7. बीभत्स रस (घृणा)

  • स्थायी भाव: जुगुप्सा (घृणा)
  • आलंबन विभाव: अशुद्ध या वीभत्स दृश्य
  • उद्दीपन विभाव: घिनौनी वस्तुएं या घटनाएं
  • अनुभाव: चेहरा बिगाड़ना, उल्टी करना
  • व्यभिचारी भाव: घबराहट, व्याकुलता
  • उदाहरण: "किसी गंदे स्थान को देखना।"

8. अद्भुत रस (आश्चर्य)

  • स्थायी भाव: विस्मय (आश्चर्य)
  • आलंबन विभाव: विलक्षण वस्तु या घटना
  • उद्दीपन विभाव: चमत्कारिक दृश्य
  • अनुभाव: आंखें फैलाना, विस्मय ध्वनि निकालना
  • व्यभिचारी भाव: रोमांच, हर्ष
  • उदाहरण: "एक जादूगर का अद्भुत खेल।"

9. शांत रस (शांति)

  • स्थायी भाव: निर्वेद (वैराग्य)
  • आलंबन विभाव: संसार की नश्वरता का बोध
  • उद्दीपन विभाव: आध्यात्मिक चिंतन, समाधि
  • अनुभाव: शांत मुखमुद्रा, ध्यान
  • व्यभिचारी भाव: संतोष, धैर्य
  • उदाहरण: "संत का ध्यान में लीन होना।"


रस का महत्व

1. आनंद का स्रोत: रस पाठकों और दर्शकों को गहन मानसिक और भावनात्मक आनंद प्रदान करता है।

2. जीवन के विविध पक्षों का अनुभव: रस के माध्यम से मनुष्य जीवन के हर पहलू (प्रेम, दुःख, वीरता, भय आदि) को महसूस करता है।

3. साहित्य की आत्मा: रस के बिना काव्य और साहित्य प्रभावहीन होता है।

4. मन का परिशोधन: रस की अनुभूति मन को शुद्ध और संवेदनशील बनाती है।


यदि आप किसी विशेष रस का विस्तृत उदाहरण या व्याख्या चाहते हैं, तो कमेंट करके बताएं।



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