"महीसुर -महिमा -माला" (हिन्दी अनुवाद–भाग 1)

Sooraj Krishna Shastri
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"महीसुर -महिमा -माला" (हिन्दी अनुवाद), भाग-1
"महीसुर -महिमा -माला" (हिन्दी अनुवाद), भाग-1

"महीसुर -महिमा -माला" (हिन्दी अनुवाद)


1. ब्राह्मणों की वंदना

🔹 वन्दऊँ प्रथम महीसुर चरना, मोह जनित संशय सब हरना।
(मैं सर्वप्रथम ब्राह्मणों के चरणों की वंदना करता हूँ, जो मोहजनित सभी संशयों को दूर करते हैं।)


2. सत्य सनातन धर्म में ब्राह्मणों का योगदान

🔹 ब्राह्मण तो मनुवंश नहीं, हैं ब्राह्मण देव समान।
(ब्राह्मण किसी विशेष वंश के नहीं होते, बल्कि वे देवताओं के समान होते हैं।)


3. ब्राह्मणों की दिव्यता

🔹 देवों के गुरु बृहस्पति, ग्रहजाति में माने जाएँ।
       त्रिकालदर्शी विप्र श्रेष्ठ, भविष्य का ज्ञान बताएँ।

(देवताओं के गुरु बृहस्पति ग्रहों में ब्राह्मण कहलाते हैं। ब्राह्मण त्रिकालदर्शी होते हैं और ज्योतिष के माध्यम से भविष्य का ज्ञान दे सकते हैं।)


4. ब्राह्मणों की महत्ता

🔹 देवाधीनम् जगत् सर्वं, मंत्राधीनाश्च देवता।
       ते मंत्राः ब्राह्मणाधीना:, तस्मात् ब्राह्मण देवता।।

(संपूर्ण जगत देवताओं के अधीन है, देवता मंत्रों के अधीन हैं, और मंत्र ब्राह्मणों के अधीन हैं। इसलिए ब्राह्मण देवता के समान होते हैं।)


5. ब्राह्मणत्व के लक्षण

🔹 ॐ जन्मना ब्राह्मणो ज्ञेय:, संस्कारै: द्विजोच्यते।
       विद्यया याति विप्रत्वं, त्रिभि: श्रोत्रिय लक्षणम्।।

(जन्म से कोई ब्राह्मण कहलाता है, संस्कारों से द्विज होता है, और विद्या से ही वह सच्चा ब्राह्मण बनता है।)


6. ब्राह्मण के स्वाभाविक गुण

🔹 शमः, दमः, तपः, शौचं, क्षान्तिरार्जवमेव च।
       ज्ञान विज्ञानमास्तिक्यं, ब्रह्मकर्म स्वभावजम्।।

(शांति, संयम, तप, पवित्रता, क्षमा, सरलता, ज्ञान, विज्ञान और आस्तिकता – ये सभी ब्राह्मण के स्वाभाविक कर्म हैं।)


7. ब्राह्मणों के प्रति श्रद्धा

🔹 ॐ नमो ब्रह्मण्य देवाय, गो ब्राह्मण हिताय च।
       जगद्धिताय कृष्णाय, गोविन्दाय नमो नमः।।

(ब्रह्मणों के कल्याण हेतु, गो-रक्षा एवं समस्त जगत के हित के लिए, मैं भगवान श्रीकृष्ण और गोविंद को नमन करता हूँ।)


8. ब्राह्मणों के ऐतिहासिक योगदान

🔹 ब्रह्मा विष्णु व शंकर को, अनुसुइया ने बालक किया।
       सागर में सृष्टि विभूति गई, दुर्वासा ने इंद्र को श्राप दिया।।

(अनुसूया माता ने ब्रह्मा, विष्णु और महेश को बालक रूप में परिवर्तित किया। दुर्वासा ऋषि के श्राप से इंद्र का वैभव समुद्र में समा गया।)


9. समाज में ब्राह्मणों की भूमिका

🔹 विद्या का संरक्षक ब्राह्मण, शिक्षक वेद पुराणों के।
       ब्राह्मण समाज का हैं संरक्षक, रक्षक हैं यज्ञ विधानों के।।

(ब्राह्मण ज्ञान और विद्या के संरक्षक हैं। वे वेदों और पुराणों के शिक्षक हैं और समाज की रक्षा के लिए यज्ञ-धर्म का पालन करते हैं।)


10. ब्राह्मणों द्वारा समाज का संगठन

🔹 ब्राह्मण मुख हैं परमात्मा के, क्षत्रिय तो बाहु कहे जाते।
       हैं वैश्य उदर व चरण शूद्र, चारों शरीर में दिख जाते।।

(ब्राह्मण ईश्वर के मुख स्वरूप हैं, क्षत्रिय बाहु (शक्ति) के प्रतीक हैं, वैश्य उदर (व्यवस्था) के, और शूद्र चरण (सेवा) के रूप में समाज में स्थित हैं।)


11. ब्राह्मणों का ज्ञान-विज्ञान में योगदान

🔹 शंकराचार्य की वैदिक गणित से, कंप्यूटर का हुआ अनुसंधान।
       भारद्वाज के विमान शास्त्र से, वायुयान का हुआ निर्माण।।

(आधुनिक गणित और कंप्यूटर विज्ञान का आधार शंकराचार्य की वैदिक गणित में है। भारद्वाज मुनि के विमान शास्त्र से वायुयान निर्माण की प्रेरणा मिली।)


12. ब्राह्मणों का धर्म और संस्कृति में योगदान

🔹 सोलह संस्कारों का महत्व, ब्राह्मण ने ही बतलाया है।
       जीवन में सुख व शांति हेतु, ब्राह्मण ने मार्ग दिखाया है।।

(सोलह संस्कारों का महत्व ब्राह्मणों ने बताया, जिससे जीवन सुखमय और शांतिपूर्ण बनता है।)


13. ब्राह्मणों द्वारा समाज में समरसता

🔹 ब्राह्मण ने ही हर वर्णों को, हर वर्गों को जोड़ा एक साथ।
       नाई, धोबी, बढ़ई, कहार, मुसहरादि को रखा साथ।।

(ब्राह्मणों ने समाज के सभी वर्णों और वर्गों को एक साथ जोड़ा, जिसमें सभी जातियों और समुदायों को एकत्रित किया गया।)


14. ब्राह्मणों के आशीर्वाद का महत्व

🔹 विप्रप्रसादात् धरणीधरोsहं, विप्रप्रसादात् कमलावरोsहं।
       विप्रप्रसादात् अजिताजितोsहं, विप्रप्रसादात् मम राम नाम।।

(भगवान राम कहते हैं कि – ब्राह्मणों की कृपा से मैं धरती का स्वामी बना, ब्राह्मणों की कृपा से मैं लक्ष्मीपति बना, ब्राह्मणों की कृपा से मैंने शत्रुओं को जीता, और ब्राह्मणों की कृपा से मेरा नाम 'राम' पड़ा।)


15. निष्कर्ष

🔹 ब्राह्मण को मानव मत समझो, ब्राह्मण भूसुर भगवान हैं।
       ज्ञान, धर्म, संस्कृति के रक्षक, ब्राह्मण पूजनीय महान हैं।।

(ब्राह्मण केवल एक मानव नहीं, बल्कि वे इस धरती पर देवताओं के समान हैं। वे ज्ञान, धर्म और संस्कृति के रक्षक हैं, और इसलिए वे पूजनीय हैं।)


🔹 जय ब्राह्मण समाज! जय सनातन धर्म! 🔹

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