शिक्षण प्रभावक तत्त्व शिक्षक, सहायक सामग्री, संस्थागत सुविधाएं, शैक्षिक वातावरण उच्च अधिगम संस्थाओं में शिक्षण की पद्धति अध्यापक केंद्रित बनाम शिक्षा
UGC NET/JRF: शिक्षण प्रभावक तत्त्व
शिक्षण प्रभावक तत्त्व: शिक्षक, सहायक सामग्री, संस्थागत सुविधाएं एवं शैक्षिक वातावरण
परिचय
शिक्षा एक राष्ट्र की आत्मा को आकार देने वाली प्रक्रिया है। इसकी प्रभावशीलता उन आधारभूत तत्त्वों पर निर्भर करती है जो शिक्षण को समर्थ, जीवंत और परिणामदायी बनाते हैं। विशेषतः शिक्षक, सहायक सामग्री, संस्थागत सुविधाएं, और शैक्षिक वातावरण — ये चार तत्त्व शिक्षा प्रणाली की रीढ़ माने जाते हैं। वर्तमान वैश्विक एवं राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में इन तत्त्वों की पुनः समीक्षा और सुधार अत्यावश्यक हो गई है।
1. शिक्षक: शिक्षा का प्रेरक तत्व
1.1 भूमिका
शिक्षक केवल विषयवस्तु का संप्रेषणकर्ता नहीं, बल्कि एक मार्गदर्शक, सारथि, और मानवता का निर्माता होता है। वह छात्रों के बौद्धिक, भावनात्मक और नैतिक विकास का प्रमुख वाहक है।
1.2 प्रभावकारी शिक्षक के गुण
- विषयवस्तु में निपुणता
- संवाद एवं प्रस्तुति कौशल
- सहानुभूति, धैर्य और मूल्यनिष्ठा
- तकनीकी साधनों का उपयोग
- नवाचार और समस्या समाधान क्षमता
1.3 शोधानुसार तथ्य
UNESCO की “Global Education Monitoring Report” (2020) के अनुसार, शिक्षक की गुणवत्ता शिक्षा की गुणवत्ता का प्रमुख निर्धारक है। इसी प्रकार Dr. Abdul Kalam ने कहा था:
“If a country is to be corruption free and become a nation of beautiful minds, I strongly feel there are three key societal members who can make a difference — the father, the mother and the teacher.”
2. सहायक सामग्री: शिक्षण को समृद्ध करती आधारभूमि
2.1 स्वरूप और उपयोगिता
सहायक सामग्री वे संसाधन हैं जो जटिल अवधारणाओं को सरल, आकर्षक और रुचिकर बनाते हैं। इनमें शामिल हैं:
- पाठ्यपुस्तकें, वर्कबुक्स
- ऑडियो-विजुअल संसाधन
- स्मार्ट क्लास टेक्नोलॉजी
- डिजिटल ऐप्स (जैसे DIKSHA, e-Pathshala)
2.2 प्रभाव
- अधिगम में रुचि और भागीदारी में वृद्धि
- अमूर्त विचारों की स्पष्टता
- विशेष आवश्यकता वाले छात्रों हेतु सहायक
2.3 शोध साक्ष्य
3. संस्थागत सुविधाएं: अधोसंरचना की नींव
3.1 प्रमुख सुविधाएं
- सुविधाजनक कक्षाएं, फर्नीचर
- विज्ञान प्रयोगशालाएं
- पुस्तकालय, कम्प्यूटर कक्ष
- खेल के मैदान, शुद्ध जल, स्वच्छ शौचालय
- इंटरनेट और स्मार्ट बोर्ड्स
3.2 प्रभाव
- समग्र विकास को प्रोत्साहन
- स्वास्थ्य व स्वच्छता से उपस्थिति में वृद्धि
- संसाधन आधारित अधिगम को बढ़ावा
3.3 नीति संदर्भ
NEP-2020 कहती है:
“All schools will be equipped with the basic infrastructure, including safe and inclusive environments.”
भारत सरकार की पहल:
Samagra Shiksha Abhiyan, Rashtriya Avishkar Abhiyan, और Digital India जैसी योजनाएं संस्थागत अधोसंरचना सुदृढ़ करने हेतु कार्यरत हैं।
4. शैक्षिक वातावरण: अदृश्य किन्तु निर्णायक कारक
4.1 परिभाषा
शैक्षिक वातावरण वह सामाजिक-भावनात्मक परिवेश है जिसमें छात्र, शिक्षक, एवं संस्थान की संवेदनशीलता, संवाद, और मूल्यनिष्ठा झलकती है।
4.2 सकारात्मक वातावरण के घटक
- अनुशासित परन्तु मुक्त परिवेश
- समावेशी दृष्टिकोण
- मानसिक और शारीरिक सुरक्षा
- छात्र-शिक्षक संवाद की खुली परंपरा
4.3 मनोवैज्ञानिक साक्ष्य
निष्कर्ष
एक प्रभावकारी शिक्षण प्रणाली केवल पाठ्यक्रम पर आधारित नहीं होती, बल्कि शिक्षक की गुणवत्ता, उपयुक्त सामग्री, संसाधनों की उपलब्धता, और सकारात्मक वातावरण के सामंजस्य पर टिकी होती है। वर्तमान समय में जब शिक्षा बहुआयामी और तकनीकी होती जा रही है, इन चारों तत्त्वों की गुणवत्ता, समानता और सतत उन्नति पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए।
सुझाव
- शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रमों में नवाचार, मूल्यशिक्षा और डिजिटल दक्षता को सम्मिलित किया जाए।
- स्थानिक भाषाओं एवं संस्कृतियों को ध्यान में रखते हुए सहायक सामग्री का विकास किया जाए।
- सभी विद्यालयों में न्यूनतम अधोसंरचना मानक सुनिश्चित किए जाएं।
- विद्यालयों में मानव-केंद्रित, संवेदनशील एवं समावेशी वातावरण की सृजना की जाए।
संदर्भ (References)
- National Education Policy, 2020 – Government of India
- NCERT Annual Report (2019-20)
- UNESCO Global Education Monitoring Report, 2020
- Shulman, L. S. (1986). “Those who understand: Knowledge growth in teaching.” Educational Researcher.
- Maslow, A. H. (1943). “A Theory of Human Motivation.” Psychological Review.
- Vygotsky, L. S. (1978). “Mind in Society: The Development of Higher Psychological Processes.”
- Abdul Kalam, A. P. J. (2005). "Ignited Minds: Unleashing the Power Within India."
- Samagra Shiksha Abhiyan – Ministry of Education, India
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