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संस्कृत श्लोक: "शुचित्वं त्यागिता शौर्यं सामान्यं सुखदुःखयोः" का अर्थ और हिन्दी अनुवाद |
संस्कृत श्लोक: "शुचित्वं त्यागिता शौर्यं सामान्यं सुखदुःखयोः" का अर्थ और हिन्दी अनुवाद
श्लोक:
शुचित्वं त्यागिता शौर्यं सामान्यं सुखदुःखयोः।
दाक्षिण्यं चानुरक्तिश्च सत्यता च सुहृद्गुणाः॥
अर्थ:
सच्चे मित्र में ये सात गुण होते हैं—
- शुचित्वं (पवित्रता / प्रामाणिकता)
- त्यागिता (उदारता / परोपकारिता)
- शौर्यं (वीरता / साहस)
- सामान्यं सुखदुःखयोः (सुख-दुःख में समभाव)
- दाक्षिण्यं (विनम्रता / सौम्यता)
- अनुरक्तिः (सच्चा स्नेह और निष्ठा)
- सत्यता (सत्यनिष्ठा / ईमानदारी)
शाब्दिक विश्लेषण
- शुचित्वं – पवित्रता, ईमानदारी
- त्यागिता – त्याग की प्रवृत्ति, उदारता
- शौर्यं – वीरता, निर्भीकता
- सामान्यं सुखदुःखयोः – सुख-दुःख में समान भाव रखना
- दाक्षिण्यं – कोमलता, विनम्रता
- अनुरक्तिः – प्रेम, सच्ची निष्ठा
- सत्यता – सत्य बोलने और आचरण में ईमानदारी रखना
व्याकरणीय विश्लेषण
- शुचित्वं, त्यागिता, शौर्यं, सामान्यं, दाक्षिण्यं, अनुरक्तिः, सत्यता – ये सभी स्त्रीलिंग शब्द हैं और सप्तमी विभक्ति में प्रयुक्त हुए हैं।
- सुहृद्गुणाः – मित्रता के गुणों को सूचित करने वाला बहुवचन शब्द।
आधुनिक संदर्भ में व्याख्या
आज के समय में जब संबंध स्वार्थपरक होते जा रहे हैं, यह श्लोक हमें एक सच्चे मित्र के गुणों को पहचानने की दृष्टि प्रदान करता है—
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ईमानदारी (शुचित्वं)
- सच्चा मित्र छल-कपट से दूर रहता है और सदा पारदर्शिता रखता है।
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उदारता (त्यागिता)
- मित्रता स्वार्थ से ऊपर होती है, और सच्चा मित्र अपनी खुशी से पहले दूसरे की भलाई को महत्व देता है।
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साहस (शौर्यं)
- एक अच्छा मित्र मुश्किल समय में साथ खड़ा होता है, न कि संकट में छोड़कर भाग जाता है।
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समभाव (सामान्यं सुखदुःखयोः)
- सच्चा मित्र न केवल सुख में साथ देता है, बल्कि दुःख में भी संबल प्रदान करता है।
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विनम्रता (दाक्षिण्यं)
- अहंकार से रहित, सौम्य व्यवहार वाला मित्र ही दीर्घकालिक मित्रता निभा सकता है।
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सच्चा स्नेह (अनुरक्तिः)
- मित्रता का आधार स्वार्थ नहीं, बल्कि सच्ची निष्ठा और प्रेम होना चाहिए।
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सत्यनिष्ठा (सत्यता)
- सच्चा मित्र न केवल स्वयं सत्य बोलता है, बल्कि अपने मित्र को भी सच्चाई के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।
निष्कर्ष
यह श्लोक मित्रता के आदर्श गुणों को दर्शाता है। यदि किसी व्यक्ति में ये सात गुण हैं, तो वह सच्चा मित्र कहलाने योग्य है। मित्रता केवल साथ समय बिताने तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें निःस्वार्थता, सत्यता और सहनशीलता का समावेश होना आवश्यक है।