विश्व रंगमंच दिवस (World Theatre Day)

Sooraj Krishna Shastri
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विश्व रंगमंच दिवस (World Theatre Day)
विश्व रंगमंच दिवस (World Theatre Day) 

विश्व रंगमंच दिवस (World Theatre Day) 

"जगत्सर्वं रंगमयं" – अर्थात् यह संपूर्ण जगत ही एक रंगमंच है, और हम सभी इसमें अपनी-अपनी भूमिकाएँ निभा रहे हैं। विश्व रंगमंच दिवस इसी रंगमंचीय परंपरा को सम्मान देने और इसके महत्व को उजागर करने के लिए समर्पित है।


1. विश्व रंगमंच दिवस का उद्भव एवं इतिहास

1.1 स्थापना

विश्व रंगमंच दिवस की शुरुआत अंतर्राष्ट्रीय रंगमंच संस्थान (International Theatre Institute - ITI) द्वारा 1961 में की गई थी।

  • ITI, जो 1948 में यूनेस्को (UNESCO) के संरक्षण में स्थापित हुआ था, रंगमंच और नाट्य कला को वैश्विक स्तर पर बढ़ावा देने के लिए कार्य करता है।
  • इसका उद्देश्य रंगमंच कलाकारों, दर्शकों और समाज के बीच एक सशक्त संबंध स्थापित करना है।

पहली बार यह दिवस 27 मार्च 1962 को मनाया गया, और तभी से यह प्रतिवर्ष 27 मार्च को मनाया जाता है।


2. विश्व रंगमंच दिवस का उद्देश्य एवं महत्व

  1. रंगमंच के महत्व को रेखांकित करना – रंगमंच केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि समाज को दर्पण दिखाने और परिवर्तन लाने का एक प्रभावी माध्यम है।
  2. सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देना – रंगमंच विभिन्न संस्कृतियों, भाषाओं और परंपराओं को जोड़ने का कार्य करता है।
  3. कलाकारों को प्रेरित करना – युवा रंगकर्मियों और नाटककारों को मंच प्रदान कर उनकी कला को निखारने का अवसर देता है।
  4. रंगमंच को एक सामाजिक परिवर्तन का साधन बनाना – रंगमंच के माध्यम से विभिन्न सामाजिक, राजनीतिक और नैतिक मुद्दों पर चर्चा को प्रोत्साहित किया जाता है।
  5. वैश्विक रंगमंच समुदाय को जोड़ना – इस दिन दुनिया भर में नाट्य कार्यक्रम, कार्यशालाएँ और विचार-विमर्श आयोजित किए जाते हैं।

3. विश्व रंगमंच दिवस का प्रमुख आकर्षण – ‘विश्व रंगमंच दिवस संदेश’

‘World Theatre Day Message’ एक वैश्विक परंपरा है, जिसमें हर वर्ष एक प्रसिद्ध नाटककार, रंगकर्मी, लेखक, या अभिनेता अपने विचार प्रस्तुत करता है।

  • पहला संदेश 1962 में जीन कॉक्टो (Jean Cocteau), फ्रांस के प्रसिद्ध नाटककार ने दिया था।
  • इसके बाद पीटर ब्रुक, आर्थर मिलर, पाब्लो नेरूदा, और कई अन्य महान नाटककारों ने अपने संदेश दिए हैं।
  • यह संदेश रंगमंच की वर्तमान स्थिति, उसकी चुनौतियों और भविष्य को लेकर विचार प्रस्तुत करता है।

2024 के संदेश में – रंगमंच को शांति, सहिष्णुता और सौहार्द बढ़ाने के लिए एक प्रभावी माध्यम के रूप में देखा गया।


4. विश्व रंगमंच दिवस का वैश्विक उत्सव

इस दिन दुनिया भर में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिनमें –

  1. नाटक मंचन – प्रसिद्ध और नवोदित नाटककारों के नाटकों का प्रदर्शन किया जाता है।
  2. विचार-विमर्श और कार्यशालाएँ – थिएटर कलाकार, निर्देशक और लेखक इस दिन विभिन्न विषयों पर चर्चा करते हैं।
  3. प्रदर्शनियां – रंगमंच से जुड़े पुराने स्क्रिप्ट, वेशभूषा, पोस्टर और अन्य सामग्रियों की प्रदर्शनियां लगाई जाती हैं।
  4. पुरस्कार वितरण – रंगमंच और नाटक जगत में विशेष योगदान देने वाले कलाकारों को सम्मानित किया जाता है।

5. भारत में रंगमंच और उसकी परंपरा

भारत का रंगमंच हजारों वर्षों पुराना और अत्यंत समृद्ध है।

5.1 संस्कृत नाट्य परंपरा

  • भारत में रंगमंच की जड़ें भरतमुनि के ‘नाट्यशास्त्र’ में मिलती हैं, जिसे रंगमंच का सबसे प्राचीन और विस्तृत ग्रंथ माना जाता है।
  • कालिदास, भास, शूद्रक, भवभूति जैसे महान नाटककारों ने संस्कृत नाटकों की परंपरा को समृद्ध किया।
  • प्रमुख संस्कृत नाटक –
    • अभिज्ञानशाकुंतलम् (कालिदास)
    • मृच्छकटिकम् (शूद्रक)
    • उत्तररामचरितम् (भवभूति)

5.2 भारतीय लोक नाट्य परंपरा

भारत के विभिन्न क्षेत्रों में पारंपरिक लोक नाट्य विधाएँ विकसित हुईं –

  • यक्षगान (कर्नाटक)
  • कथकली (केरल)
  • तमाशा (महाराष्ट्र)
  • नौटंकी (उत्तर भारत)
  • भावई (गुजरात)
  • जात्रा (बंगाल)

5.3 आधुनिक भारतीय रंगमंच

भारतीय रंगमंच आधुनिक काल में भी कई महान नाटककारों और निर्देशकों के योगदान से विकसित हुआ –

  • गिरीश कर्नाड (तुगलक, हयवदन)
  • बादल सरकार (Evam Indrajit)
  • हबीब तनवीर (चरणदास चोर)
  • विजय तेंदुलकर (घासीराम कोतवाल)

6. रंगमंच का समाज पर प्रभाव

  1. सामाजिक जागरूकता – रंगमंच सामाजिक समस्याओं जैसे लैंगिक भेदभाव, गरीबी, राजनीतिक भ्रष्टाचार आदि पर प्रकाश डालता है।
  2. शिक्षा का माध्यम – शिक्षाप्रद नाटकों के माध्यम से बच्चों और बड़ों में नैतिक मूल्यों और इतिहास की समझ विकसित होती है।
  3. राजनीतिक चेतना – रंगमंच अक्सर समाज के राजनीतिक मुद्दों पर सवाल उठाता है और जनजागृति का कार्य करता है।
  4. भावनात्मक और मानसिक स्वास्थ्य – रंगमंच व्यक्ति की भावनाओं को व्यक्त करने का एक सशक्त माध्यम है, जिससे मानसिक संतुलन बना रहता है।

7. विश्व रंगमंच दिवस का सार

"जगत रंगमंच है, और हम सब इसके पात्र हैं।"
इस दिन हम यह समझने का प्रयास करते हैं कि –

  • जीवन स्वयं एक नाटक है, जहाँ हर व्यक्ति अपनी भूमिका निभा रहा है।
  • रंगमंच हमें सहानुभूति, करुणा और एकता का पाठ पढ़ाता है।
  • यह कला केवल मंच तक सीमित नहीं, बल्कि समाज में व्यापक परिवर्तन लाने की क्षमता रखती है।

आप सभी को विश्व रंगमंच दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ!

"नाट्यं भिन्नरुचेर्जनस्य बहुधाप्येकं समाराधनम्।"
(अर्थात् – नाटक विभिन्न रुचियों वाले लोगों को एक साथ जोड़ने का कार्य करता है।)

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