Kartik Poornima: कार्तिक पूर्णिमा विशेष पूजन एवं धर्मकर्म विधान

Sooraj Krishna Shastri
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Kartik Poornima: कार्तिक पूर्णिमा विशेष पूजन एवं धर्मकर्म विधान
Kartik Poornima: कार्तिक पूर्णिमा विशेष पूजन एवं धर्मकर्म विधान


यहाँ "कार्तिक पूर्णिमा विशेष" का विस्तारपूर्वक, क्रमबद्ध, एवं सुगठित रूप में प्रस्तुतीकरण किया गया है जो पौराणिक, धार्मिक, पूजन विधि और दान-पुण्य की परंपराओं को सुंदर ढंग से संजोता है—


🌕 Kartik Poornima: कार्तिक पूर्णिमा विशेष पूजन एवं धर्मकर्म विधान

1. पर्व की महत्ता

  • कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि देव दीपावली, त्रिपुरारी पूर्णिमा और कार्तिक स्नान के लिए विशेष रूप से प्रसिद्ध है।
  • इस दिन किया गया धर्म-कर्म, दान, स्नान, व्रत एवं दीपदान अक्षय पुण्य प्रदान करता है, जिसका प्रभाव जीवनभर बना रहता है।

2. पौराणिक संदर्भ

(क) त्रिपुरारी पूर्णिमा:

  • इस दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नामक असुर का संहार किया था, अतः यह तिथि त्रिपुरारी पूर्णिमा के नाम से जानी जाती है।

(ख) कार्तिकेय वध कथा:

  • कार्तिक मास में भगवान कार्तिकेय ने तारकासुर का वध किया था।
  • प्रसन्न होकर भगवान शिव ने इस महीने का नाम अपने पुत्र कार्तिकेय के नाम पर रखा।

3. दिनचर्या एवं पूजन विधान

(क) प्रातःकालीन पूजन

  1. प्रभात स्नान एवं सूर्य अर्घ्य:

    • सूर्योदय से पूर्व उठें, पवित्र स्नान करें।
    • तांबे के लोटे में जल, पुष्प, चावल, कुमकुम मिलाकर सूर्य देव को अर्घ्य दें।
    • मंत्र:
      ॐ सूर्याय नमः
    • ध्यान करें कि अर्घ्य देते समय सूर्य को देखकर मंत्र जपें।
  2. तुलसी पूजन:

    • तुलसी को जल चढ़ाएं और तुलसी के समक्ष प्रणाम करें।
    • शाम को तुलसी के पास दीपक जलाएं व लाल चुनरी अर्पित करें।

(ख) विष्णु-लक्ष्मी पूजन

  • पूर्णिमा तिथि पर भगवान गणेश के पूजन के बाद श्री विष्णु और महालक्ष्मी का अभिषेक करें।

  • यदि दक्षिणावर्ती शंख से अभिषेक करें तो विशेष फल प्राप्त होता है।

  • मंत्र:
    ॐ नमो भगवते वासुदेवाय

  • तुलसी पत्र और मिठाई का भोग अर्पित करें।


(ग) शिव पूजन

  • शिवलिंग पर जल, दूध, और पंचामृत (दूध, दही, घी, मिश्री, शहद) से अभिषेक करें।

  • पुनः स्वच्छ जल चढ़ाएं।

  • बिल्व पत्र, धतूरा, हार-फूल अर्पित करें।

  • चंदन का लेप करें।

  • मंत्र:
    ॐ नमः शिवाय

  • दीपक जलाकर आरती करें और मिठाई का भोग लगाएं।


4. संध्या पूजन एवं चंद्र अर्घ्य

(क) हनुमान पूजन

  • हनुमान जी के मंदिर में दीपक जलाएं।
  • सुंदरकांड या हनुमान चालीसा का पाठ करें।
  • राम नाम का जप करें — श्रीराम जय राम जय जय राम

(ख) चंद्रमा को अर्घ्य

  • सूर्यास्त के बाद चंद्रमा के उदय पर चंद्रदेव को अर्घ्य दें।
  • यदि चांदी का लोटा हो तो उसमें दूध चढ़ाएं, अन्यथा मिट्टी के पात्र से भी कर सकते हैं।
  • मंत्र:
    ॐ सोमाय नमः

5. दान-पुण्य और सेवा कार्य

  • इस दिन विशेष रूप से दान का अत्यधिक महत्व है। करें:
    • अन्न, वस्त्र, ऊनी कपड़े, जूते-चप्पल का दान।
    • गरीबों को भोजन कराएं।
    • गौशाला में जाकर हरी घास, चारा या सहायता राशि दान करें।
    • दीपदान करें – नदी या घर के बाहर दीप जलाएं।

6. विशेष संदेश

“कार्तिक पूर्णिमा तप, दान, जप और सेवा का महापर्व है। यह आत्मशुद्धि, ईश्वर भक्ति और लोकसेवा का संगम है। इस दिन दीप जलाना, हृदय को प्रकाशित करने के समान है।”

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