प्राकृतिक जोखिम और आपदाएं: न्यूनीकरण की युक्तियां, UGC NET/JRF,PAPER I,UNIT IX,POINT VI, भागवत दर्शन सूरज कृष्ण शास्त्री
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प्राकृतिक जोखिम और आपदाएं: न्यूनीकरण की युक्तियां, UGC NET/JRF,PAPER I,UNIT IX,POINT VI, भागवत दर्शन सूरज कृष्ण शास्त्री |
यहाँ प्राकृतिक जोखिम और आपदाओं के न्यूनीकरण पर विस्तार से, संबंधित आँकड़ों के साथ जानकारी प्रस्तुत है:
प्राकृतिक जोखिम और आपदाएं: न्यूनीकरण की युक्तियां (आँकड़ों सहित)
1. विश्व में प्राकृतिक आपदाओं का प्रभाव
- वर्ष 2000-2020 के दौरान, विश्व भर में लगभग 7,348 प्राकृतिक आपदाएं हुईं, जिनमें 1.23 मिलियन से अधिक लोगों की मृत्यु हुई और 4.2 बिलियन से अधिक लोग प्रभावित हुए।
- आर्थिक नुकसान का अनुमान लगभग 2.97 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर रहा। (स्रोत: UNDRR 2022 रिपोर्ट)
2. भारत में प्राकृतिक आपदाओं की स्थिति
- भारत में हर साल औसतन 10,000 से अधिक जीवनों का नुकसान होता है और लाखों लोग प्रभावित होते हैं।
- भारत की लगभग 12% भूमि क्षेत्र भूकंप-प्रवण क्षेत्र में आता है।
- 40 मिलियन हेक्टेयर भूमि बाढ़ की समस्या से ग्रस्त है।
- भारत में हर वर्ष औसतन 5-6 बड़ी चक्रवात घटनाएं होती हैं।
- 2018 में केरल बाढ़ में लगभग 500 लोग मारे गए और 15 लाख से अधिक प्रभावित हुए। (स्रोत: NDMA, India)
3. प्राकृतिक आपदाओं के न्यूनीकरण की युक्तियां और उनके महत्व
(A) जानकारी और जागरूकता
- जागरूकता अभियान और आपदा पूर्व चेतावनी प्रणाली से मौतों में 40-60% तक कमी लाई जा सकती है।
- भारत में 2013 उत्तराखंड फ्लैश बाढ़ में सही समय पर अलर्ट न मिलने के कारण भारी जान-माल का नुकसान हुआ।
- मौसम पूर्वानुमान और अलर्ट देने वाले सिस्टमों की आधुनिक तकनीक से समय रहते चेतावनी मिलती है, जिससे लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचने का मौका मिलता है।
(B) पूर्व तैयारी और योजना
- बाढ़-प्रवण इलाकों में बचाव किट, निकास मार्ग और सुरक्षित स्थानों का निर्माण यदि किया जाए तो प्रभावित लोगों की संख्या में 30-50% तक कमी होती है।
- नेपाल में 2015 के भूकंप के बाद राहत और बचाव कार्य में पूर्व तैयारी और प्रशिक्षण का अभाव था, जिससे मौतें अधिक हुईं।
(C) सुदृढ़ निर्माण तकनीक
- भूकंप-रोधी संरचनाओं का इस्तेमाल होने वाले भवनों में जान-माल का नुकसान सामान्य भवनों की तुलना में 50-70% कम होता है।
- जापान में भूकंप-रोधी तकनीकों के कारण 2011 के भूकंप में अपेक्षाकृत कम जान-माल हुआ।
- भारत में निर्माण नियमों का कड़ाई से पालन न होने के कारण भूकंप और बाढ़ प्रभावित इलाकों में नुकसान अधिक होता है।
(D) प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण
- जंगलों की कटाई से भूस्खलन की घटनाएं 30% से अधिक बढ़ जाती हैं।
- वृक्षारोपण से मृदा कटाव कम होता है और बाढ़ की संभावना घटती है।
- भारत के पश्चिम घाट क्षेत्र में वृक्षारोपण के कारण भूस्खलन में कमी देखी गई है।
(E) सामुदायिक सहभागिता
- आपदा-प्रबंधन समितियाँ स्थानीय स्तर पर कार्य करती हैं, जो आपदा के समय तुरंत सहायता पहुंचा पाती हैं।
- उदाहरण के तौर पर, नेपाल में ग्रामीण समुदायों के प्रशिक्षण से आपदा में प्रतिक्रिया समय और बचाव कार्य में सुधार हुआ।
(F) सरकारी नीतियाँ और नियंत्रण
- भारत सरकार के राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) ने आपदा-प्रबंधन की दिशानिर्देश और निर्माण नियम बनाए हैं।
- जिन राज्यों में ये नियम कड़ाई से लागू होते हैं, वहाँ आपदा का प्रभाव कम होता है।
- उदाहरण: गुजरात में 2001 के भूकंप के बाद नियम सख्त कर दिए गए, जिससे पुनर्निर्माण अधिक सुरक्षित हुआ।
4. महत्वपूर्ण आँकड़ों के आधार पर आपदा न्यूनीकरण के फायदे
न्यूनीकरण उपाय | संभावित प्रभाव (कमियां) | उदाहरण / आँकड़े |
---|---|---|
आपदा पूर्व चेतावनी | मृत्यु दर में 40-60% कमी | 2011 जापान भूकंप |
भूकंप-रोधी निर्माण | जान-माल नुकसान में 50-70% कमी | जापान, कैलिफोर्निया |
जंगल संरक्षण | भूस्खलन की घटनाओं में 30% से अधिक कमी | भारत के पश्चिम घाट क्षेत्र |
सामुदायिक प्रशिक्षण | बचाव प्रतिक्रिया समय में सुधार | नेपाल, भारत के कई गांव |
सरकारी नियमों का कड़ाई से पालन | प्रभावित लोगों की संख्या में कमी | गुजरात 2001 के भूकंप के बाद पुनर्निर्माण |
यहाँ प्राकृतिक जोखिम और आपदाओं के न्यूनीकरण में उपयोग होने वाले प्रमुख यन्त्रों के नाम और उनके प्रयोग दिए गए हैं:
प्राकृतिक आपदा न्यूनीकरण के यन्त्र और उनका प्रयोग
यन्त्र का नाम | प्रयोग / उद्देश्य |
---|---|
सिस्मोग्राफ (Seismograph) | भूकंप की तीव्रता और कंपन को मापने के लिए। |
रेडार (Radar) | तूफान, चक्रवात और बाढ़ का पूर्वानुमान करने के लिए। |
वेदर बैलून (Weather Balloon) | वायुमंडल के तापमान, दबाव और आर्द्रता को मापने के लिए। |
सैटेलाइट इमेजरी (Satellite Imagery) | बड़े क्षेत्र में प्राकृतिक आपदाओं का निरीक्षण और निगरानी। |
फ्लड गेज (Flood Gauge) | नदियों और जलाशयों में जल स्तर मापने के लिए। |
टाइड गेज (Tide Gauge) | समुद्र के जल स्तर में बदलाव को मापने के लिए। |
ड्रोन (Drone) | आपदा प्रभावित क्षेत्रों की हवाई निगरानी और आंकड़ों के लिए। |
आपातकालीन अलार्म सिस्टम | समय रहते लोगों को आपदा की चेतावनी देने के लिए। |
जलमापक यन्त्र (Rain Gauge) | वर्षा की मात्रा मापने के लिए। |
भूकंपीय सेंसर (Seismic Sensors) | भूकंप की गतिविधि को तुरंत पकड़ने के लिए। |
जलवायु मॉनिटरिंग स्टेशन | मौसम और जलवायु की निगरानी हेतु। |
जीआईएस (GIS - Geographic Information System) | आपदा प्रबंधन में भौगोलिक डेटा का विश्लेषण और मानचित्रण। |
संक्षिप्त विवरण:
- सिस्मोग्राफ: भूकंप के दौरान जमीन में कंपन को रिकॉर्ड करता है और भूकंप की तीव्रता बताता है।
- रेडार: तूफान और चक्रवात की दिशा, गति और तीव्रता का पता लगाने में सहायक।
- सैटेलाइट इमेजरी: बादलों, बाढ़ और जंगलों की स्थिति पर नजर रखने के लिए अंतरिक्ष से फोटो और डेटा भेजता है।
- फ्लड गेज: नदी और नाले के जलस्तर पर नजर रखने के लिए, जिससे बाढ़ की संभावना का अनुमान लगाया जा सके।
- ड्रोन: आपदा प्रभावित क्षेत्रों की हवाई निगरानी करता है, राहत कार्यों में मदद करता है।
- आपातकालीन अलार्म सिस्टम: तेज़ और सटीक अलर्ट से लोगों को बचाव के लिए तैयार करता है।
5. निष्कर्ष
- प्राकृतिक आपदाओं को रोकना पूरी तरह संभव नहीं है, लेकिन उनके प्रभाव को कम करना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है।
- जागरूकता, तकनीकी सुधार, पर्यावरण संरक्षण और सामुदायिक भागीदारी के माध्यम से हम अपने जीवन, पर्यावरण और अर्थव्यवस्था को सुरक्षित रख सकते हैं।
- सरकार, समाज और व्यक्तिगत स्तर पर सभी को मिलकर आपदा न्यूनीकरण की रणनीतियों को लागू करना होगा।
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