vastu shastri sooraj krishna shastri |
दोस्तों ! प्रायः यह देखा जाता है कि लोग घर बनवाने के बाद जब किसी प्रकार की परेशानी में पड़ते हैं तभी गृह के वास्तु का विचार करते हैं। ऐसा शायद इसलिए है कि लोगों में वास्तुशास्त्र की जानकारी नहीं है। घर का निर्माण यदि बिना वास्तु विचार के हुआ है तो घर के वास्तु दोषों को बिना तोड़-फोड़ किए ही बड़ी आसानी से दूर किया जा सकता है। उसे 'रेमडियल वास्तु' का प्रयोग कर ठीक किया जा सकता है।
वास्तु दोष निवारण हेतु कुछ वैज्ञानिक उपाय जो भारत के अलावा विदेशों में भी प्रचलित हैं नीचे दिया गया है-
1. दिशा स्थिति-
सभी वस्तुओं को अपनी सही स्थिति व दिशा में स्थापित करने से वास्तु संबंधी दोष समाप्त होते हैं। जैसे—रसोईघर गलत बना है तो उसे आग्नेय में स्थापित करने से वास्तुदोष दूर हो जाता है।शयनकक्ष गलत बना हो तो उसकी स्थिति दक्षिण-उत्तर की ओर करके शयनकक्ष के वास्तु दोष को ठीक किया जा सकता है। इसी प्रकार यदि बोरिंग आग्नेय में हो तो इलेक्ट्रिक मोटर लगा दें एवं पानी के प्रथम निकास को ईशान या पूर्व में कर दें तो भवन का जलदोष का समाधान हो जाता है।
2. आईना (दर्पण)-
विदेशी वास्तुशास्त्रियों की दृष्टि में दर्पण का वास्तु में बहुत महत्व है क्योंकि इसमें वास्तु संबंधित दुष्प्रभाव परावर्तित करने की शक्ति होती है। यदि मार्ग सीधा घर में प्रवेश कर रहा हो तो ऐसे द्वारवेध की स्थिति में खिड़की के बाहरी भाग में दर्पण लगाकर द्वार वेध समाप्त कर सकते हैं।
अंग्रेजी के 'एल' आकृति में बने मकान व कमरे भी दर्पण की मदद से शुभ फलदायक हो जाते है। दर्पण यदि सही ढंग से से लगे तो ऑफिस व घर की उन्नति एवं प्रगति में सहायक होता है।
3. तेज रोशनी के बल्व-
तेज रोशनी के बल्व के द्वारा 'एल' की आकृति में बने मकान को चौकोर में बदला जा सकता है। अंधेरे में भूत-प्रेत, बुरी आत्मा का भय रहता है, अन्धकार दुर्भाग्य, दुख व उदासी का प्रतीक है जबकि प्रकाश, सुख एवं सौभाग्य का प्रतीक है। वास्तु के अनुसार जिस घर के पूर्व या ईशान में रोशनी स्थायी रूप से रहती है, उस घर में दैवीय शक्ति प्रतिपल जागृत रहती है।
4. वृक्ष और पुष्पगुच्छ-
वास्तु परिहार में, बीमारियों को ठीक करने में उत्तम स्वास्थ्य संरक्षण में, वृक्ष एवं वनस्पतियों का महत्व सर्वाधिक है। घर, होटल या रेस्तरां के प्रवेश द्वार पर सुगन्धित या आकर्षक पुष्पोंवाले पौधे न केवल ग्राहकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं अपितु ऐश्वर्यलक्ष्मी से मालामाल भी कर देते हैं। इसलिए वास्तुदोष के परिहार में सुगन्धित पुष्प वाले पौधे लगाने से दोष समाप्त होता है।
5. भारी विद्युतीय संयन्त्र-
उद्योग, फैक्ट्री व दुकानों में भारी विद्युत संयन्त्रों को ठीक ढंग व सही दिशा में स्थापित करने से अनेक समस्याओं का समाधान स्वतः ही हो जाता है। फैक्ट्री में जेनरेटर, बायलर, फर्नेस इत्यादि को आग्नेय कोण में लगाना चाहिए तथा भारी उपकरण को नैऋत्य कोण में रखना चाहिए।
6. जलाशय एवं फव्वारे-
बड़े भवन, होटल, बहु मंजिली इमारत, कामर्शियल कॉम्पलेक्स में जल सम्बन्धी दोष को दूर करने एवं कम करने के लिए जलाशय एवं फव्वारे को व्यवस्थित करके लगाया जाता है। धनागमन के प्रतीक जलाशय एवं फव्वारे को सामान्यतः ईशान कोण अथवा पूर्व एवं उत्तर दिशा में लगा सकते हैं।
7. आन्तरिक साज-सज्जा एवं रंग-घर की आन्तरिक साज-सज्जा व रंगों की योजना में ग्रह-नक्षत्रजन्य बाधा एवं वास्तुदोष दूर होते हैं। भारतीय वास्तुशास्त्र रंगों की इस अवधारणा को अकाट्य तर्कों के साथ परिपुष्टित करता है।
(क) यदि व्यक्ति सूर्य ग्रह से प्रभावित स्थिति में है, सिंह लग्न का है, जन्मकुण्डली में सूर्य ग्रह उच्च का स्वग्रही या अनुकूल स्थिति में है तो घर, होटल, दुकान की दीवारों का रंग सुनहरा पीला, सुनहरे बार्डर वाला हल्का पीला होना चाहिए। इससे व्यक्ति के सूर्य संबंधी तत्व एवं शक्तियां बढ़ती हैं।
(ख) चन्द्रत्व प्रधान होने पर घर, होटल, दुकान की दीवारों का रंग सफेद, क्रीम होना चाहिए। सजावट सामग्री में अधिक से अधिक सफेद रंग का प्रयोग करना चाहिए।
(ग) यदि व्यक्ति मंगल तत्व प्रधान है तो दीवारों पर ऑरेज क्रिमसन रेड या कोरा रेड से रंगवानी चाहिए।
(घ) बुध तत्व प्रधान जातक को घर की दीवारों का रंग,खासकर परामर्श कक्ष की दीवारें हरे रंग की होनी चाहिए।
(ङ) गुरू तत्व प्रधान जातक को हल्के पीले अथवा सुनहरा पीला का प्रयोग करना चाहिए ।
(च) शुक्र तत्व प्रधान जातक को चमकीला सफेद, क्रीम रंग का प्रयोग करना चाहिए। घर की आन्तरीक साज- सज्जा में दर्पण और सजावटी सामानों की बहुलता होनी चाहिए।
(छ) शनि तत्व प्रधान जातक को आसमानी रंग का प्रयोग करना चाहिए। किन्तु काले रंग का प्रयोग घर की दीवारों पर अशुभ माना जाता है।
(ज) राहु तत्व प्रधान जातक को चितकबरा रंग तथा धूसर रंग का प्रयोग करना चाहिए।
(ञ) केतु का रंग भूरा है। सलेटी हल्का भूरा केतु तत्व प्रधान वाले व्यक्ति के लिए शुभ होता है।
इस प्रकार हम नौ ग्रहों के अनुकूल घर अथवा व्यावसायिक प्रतिष्ठान पर रंगों का प्रयोग कर वास्तु दोषों का शमन कर सकते हैं।
बिना तोड़-फोड़ के वास्तु दोषों को समाप्त करने के अन्य उपाय-:
1. घर पर बीम का प्रभाव -
घर में किसी भी बीम के नीचे पंलग या डाइनिंग टेबल नहीं रखनी चाहिए। कार्यालय में भी कुर्सियां या मेज बीम के नीचे न रखें। क्योकि गाटर (बीम) खुद भी तनाव में रहता है और अपने नीचे बैठने वाले को भी तनाव ग्रस्त करता है ।
समाधान -
(क) बीम को सीलिंग अथवा प्लास्टर ऑफ पेरिस से ढक दें ।
(ख) बीम के दोनों ओर वास्तु दोष नाशक हरे रंग के गणपति लगा दें।
2. मकान के सामने फैक्ट्री के निर्माण का प्रभाव यदि मकान के सामने कोई फैक्ट्री या कारखाने की स्थापना हो चुकी है अर्थात् बनी होती हैं तो छोटे भवन के लिए शुभ संकेत नहीं है। इससे घर बरबाद हो जाता है तथा घर में अनेक प्रकार के रोग हो जाते है।
समाधान-
(क) दोनों के बीच बड़े वृक्ष लगा दें।
(ख) भवन के किनारे फव्वारा लगा दें। (ग) मकान से थोड़ी दूर पर फैक्ट्री या कारखाने के सामने लैम्प-पोस्ट लगा दें।
3. कई बड़े भवनों का छोटे भवनों पर प्रभाव जब कई विशाल ईमारतें मकान के पड़ोस में हों और मकान के कोने को प्रभावित कर रहीं हो तो उस मकान के गृह स्वामी को मानसिक तनाव बना रहता है।
समाधान-
(क) दोनों के बीच में बड़े वृक्ष लगाएँ जो छायादार हों।
(ख) दोनों भवनों के बीच बाँस का एक झंडा लगा दें।
(ग) दिशा सूचक यन्त्र लगायें जिसका तीर सदैव बड़ी ईमारतों की ओर रहें।
4. दो मिले हुए मकानों में कोण वेध का प्रभाव -
यदि दो मकान के कोने किसी बराबर बने हुए मकान के कोने से टकरा रहें हो तो गृहस्वामी हमेशा कोर्ट-कचहरी में फसाँ रहता है।
समाधान-
(क) दोनों पड़ोसी आपसी सहमति से मकानों के बीच में एक शेड बना लें।
(ख) दोनों मिलकर एक ही गैरेज बना लें।
5. सड़क पार की विशाल इमारतों का छोटे भवनों पर प्रभाव-
यदि मकान के सामने राजमार्ग (सड़क) है तथा उस पार मकान के सामने कोई बहुमंजिला इमारत है, जैसे कोई बड़ा मन्दिर, गुरूद्वारा, चर्च आदि है और वह मकान के समाने किसी सकरी अथवा कम चौड़ी सड़क पर है तो ऐसी बड़ी इमारतों का दुष्प्रभाव मकान पर अवश्य पड़ता है।
समाधान-
(क) मकान के द्वार पर वास्तुदोष नाशक तोरण लगा दिया जाए।
(ख) दोनों भवनों के मध्य बड़े वृक्ष लगा दिए जाएं ताकि विशाल इमारतों का दुष्प्रभाव छोटे मकान पर ना पड़े।
(ग) वास्तुदोष को दूर करने के लिए गोलाकार शीशा उस मकान की छत पर इस प्रकार लगाएं कि उस बड़ी इंमारत की सम्पूर्ण छाया उसमें दिखाई दें।
6. कोण वेध के वास्तु दोष का निवारण-
यदि मकान राजमार्ग या चौराहे के एक कोने में स्थित है और सामने वाली विशाल इमारत का कोना मकान के कोने को प्रभावित कर रहा है। निश्चित रूप से यह भाग्य एवम व्यक्ति के सफल होने वाले कार्यों में रूकावट डालने का कार्य करता है। इसे कोण वेध कहते है।
समाधान-
(क) मकान की छत पर कोई षटकोणीय दर्पण लगा दें।
(ख) मकान के द्वार पर सर्वमंगलकारी तोरण लगवायें।
बिना तोड़-फोड़ के वास्तु दोषों को समाप्त करने के लिए दैनिक जीवन में प्रयोग आने वाले सरल उपाय के द्वारा वास्तु दोषों का शमन कर सकते है तथा दिशा सम्बन्धी दोषों को थोड़ी सूझ-बूझ से समाप्त किया जा सकता है। यह उपचार निम्नलिखित है-
1. ईशान कोण में यदि रसोईघर हो तो ईशान कोण में आग्नेय दिशा की ओर पूर्व मुख करके खाना बनाना चाहिए। इस प्रकार से नैऋत्य कोण में भी करना चाहिए।
2. घर में यदि लक्ष्मी की अस्थिरता हो तो घर में वायव्यकोण में जल भरा हुआ पात्र एवं सप्त धान्य युक्त पात्र को रखना चाहिए।
3. घर में लक्ष्मी अस्थिरता होने पर श्रीयन्त्र एवं कुबेर यन्त्र स्थापित करें। श्री यन्त्र को लाल वर्ण के कपड़े में लपेट कर रखना चाहिए।
4. भवन के अन्दर किसी प्रकार का अवरोध हो जैसे दीवार का कोना, बीम, पिलर, दरवाजा, खिड़की आदि से भवन के अन्दर होने वाले अवरोधक दोष निवारणार्थ पिरामिड की स्थापना करते है। पिरामिड को श्रीयन्त्र के समान महत्ता पाश्चात्य वास्तु शास्त्र में मिलती है। किन्तु भारतीय वास्तु के अनुसार किसी भी प्रकार का दोष हो रहा हो तो भवन के मध्य श्रीयन्त्र की स्थापना करनी चाहिए। इससे अवरोधक सम्बन्धित दोष दूर होता है।
5. गृह में रसोई घर तथा शौचालय का सुधार करने से अनेक प्रकार के वास्तुदोष समाप्त हो जाते हैं। ईशान कोण में शौचालय तथा नैर्ऋत्य में किसी भी कीमत पर रसोईघर नहीं होना चाहिए।
6. शयनकक्ष में कभी झाडू नहीं रखनी चाहिए।
7. शयन कक्ष में अपनी रूचि के अनुसार सुगन्धित ताजा फूलों का एक गुलदस्ता सदैव सिरहाने के एक कोने में सजायें इससे धनात्मक ऊर्जा मिलती है।
8. यदि दुकान में बिक्री कम होती हो तो चौखट के ऊपर प्राण प्रतिष्ठा किया हुआ ‘श्रीयंत्र' लगाना चाहिए।
9. यदि दुकान में चोरी होती हो तो दुकान की चौखट के पास पूजा करके मंगल यंत्र की स्थापना कर दें।
10. यदि दुकान पर बैठने में मन न लगता हो तो श्वेत गणपति की मूर्ति की विधिवत पूजा करके दुकान के अन्दर और बाहर स्थापित कर दें।
11. सीढ़ियों के नीचे बैठकर कभी कोई कार्य ना करें।
12. भवन, कार्यालय, दुकान एवं फैक्ट्री में वर्ष में कम से कम एक बार पूजन एवं हवन अवश्य कराना चाहिए।
13. भवन में साल में एक बार दुर्गासप्तशती का पाठ, सुन्दरकाण्ड का पाठ, भागवत कथा, अथवा रामचरित मानस का पाठ अवश्य करायें।
14. घर में पंचगव्य का छिड़काव अवश्य करना चाहिए।
15. भवन में तथा कार्यालय में वास्तु शान्ति अवश्य करानी चाहिए।
उपरोक्त उपायों का प्रयोग करके भवन, फैक्ट्री, कार्यालय, दुकान इत्यादि में वास्तु जनित दोषों को बिना तोड़ फोड़ के दूर कर सकते हैं। इसके साथ ही साथ भवन तथा व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में भारतीय तथा विदेशी उपायों का प्रयोग करके पुनः सुख, समृद्धि, उन्नति, शान्ति आदि को स्थापित कर सकते हैं।
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