महामृत्युंजय मंत्र प्रयोग, प्रयोजन एवं विधान

Sooraj Krishna Shastri
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महामृत्युंजय मंत्र प्रयोग, प्रयोजन एवं विधान
महामृत्युंजय मंत्र प्रयोग, प्रयोजन एवं विधान


महामृत्युंजय मंत्र प्रयोग, प्रयोजन एवं विधान

 मृत्युञ्जय प्रयोग का प्रयोजन

  महामृत्युञ्जय का प्रयोग नीचे लिखे कामों में होता है। 

(१) यदि जन्म लग्न, गोचराष्टक और दशा आदि ग्रह जन्य पीड़ा होना।

(२) किसी महारोग से पीड़ित हो । 

(३) पुत्र-पौत्र-माई आदि का वियोग होने 

(४) मेलापक में नाड़ी दोष हो । 

(५) राज भय हो। पारस्परिक घोर क्लेश-द्वेष हो। 

(७) त्रिदोषजन्य दुनिवार्य रोग हो 

(८) धन-वैभव एवं व्यापार में हानि हो एवं 

(8) किसी प्रकार की महामारी का जन हाति हो या राष्ट्रीयसंकट में यथा साध्य यथाविधि महामृत्युञ्जय का प्रयोग प्रयोजनीय है ।

महामृत्युंजय मंत्र प्रयोग, एवं विधान हेतु मुहूर्त

 किसी भी कार्य के निमित्त प्रयोग यथा समय मुहूर्त ज्योतिषी से समय विचार कर सौम्य देवालय, शिवालय राज पर के किसी शुभ स्थान को झाड़-बुहार लीप-पोतकर आसन लगाकर पूर्वाभिमुख बैठकर आचमन, प्राणायाम भूतशुद्धि करे, जप करने के पूर्व मृत्मयशिवलिङ्ग बनाकर पार्थिव पूजन करे यदि शिवालय हो तो पंचोपचार भोजन कर लो पूजन करें।

अथारिष्टशान्त्यर्थ महामृत्युञ्जय जप विधिः

  पवित्रधारणं कृत्वा आचम्य प्राणानायम्य शान्तिपाठं पठित्वा सुमुखश्चैकदन्तश्चेत्यादि गणेशस्मरणं कृत्वा  संकल्पं कुर्यात्... 

संकल्प

 विष्णु ॐ तत्सत्यादि अमुकमासीया, अमुकपक्षीया अमुक तिथी, अमुक वासरे, अमुक गोत्रोत्पन्नः अमुक शर्माऽहं स्वस्य ( यजमानस्य वा ) शरीरे ग्रहजन्य, राजजन्य, भूतजन्य दैहिक दैविक भौतिक तापत्रयोत्पन्नोत्पत्स्यमानाऽखिलारिष्ट निवृत्तिपूर्वक दीर्घायुष्यबलपुष्टिनैरुज्यादि सकलाभीष्ट सिद्धयर्थं श्रीमृत्युञ्जय प्रसादात् सततारोग्यावाप्तये श्रीमहामृत्युञ्जय मन्त्रस्य जपमहं करिष्ये।

विनियोग

अस्य श्रीमहामृत्युजयमंत्रस्य वामदेवकहोलवशिष्ठः ऋषयः पंक्तिर्गायत्र्युष्णिगनुष्टुब्छन्दांसि सदाशिव महामृत्युजय रुद्रो देवता, श्रीं बीजम्, ह्रीं शक्तिः, महामृत्युजय प्रीतये ममाभीष्टसिद्धयर्थे जपे विनियोगः । 

अथ ऋष्यादिन्यास:-

  1. ॐ वामदेव कहोलवशिष्ठ ऋषिभ्यो नमः शिरसि । 
  2. ॐ पंक्तिर्गायत्र्युष्णिगनुष्टुब्छन्दोभ्यो नमः मुखे। 
  3. ॐ सदाशिव महामृत्युजयरुद्रदेवतायै नमः हृदि । 
  4. ॐ श्रीं बीजाय नमः गुह्ये । 
  5. ॐ ह्रीं शक्त्यै नमः पादयोः । 
  6. ॐ विनियोगाय नमः सर्वांगे । 

 अथ करन्यास :-

  1. ॐ हौं ॐ जूं सः भूर्भुवः स्वः त्र्यम्बकं ॐ नमो भगवते रुद्राय शूलपाणये स्वाहा अङ्गुष्ठाभ्यां नमः । 
  2. ॐ हौं ॐ जूं सः भूर्भुवः स्वः यजामहे ॐ नमो भगवते रुद्राय अमृतमूर्तये मां जीवय तर्जनीभ्यां नमः  ।
  3. ॐ हौं जूं सः भूर्भुवः स्वः सुगन्धिं पुष्टिवर्धनं ॐ नमो भगवते रुद्राय चन्द्रशिरसे जटिने स्वाहा मध्यमाभ्यां नमः । 
  4. ॐ ह्रौं जूं सः भूर्भुवः स्वः उर्वारुकमिव बन्धनात् ॐ नमो भगवते रुद्राय त्रिपुरान्तकाय ह्रां ह्रीं अनामिकाभ्यां नमः । 
  5. ॐ हौं जूं सः भूर्भुवः स्वः मृत्योर्मुक्षीय ॐ नमो भगवते रुद्राय त्रिलोचनाय ऋग्यजुःसाममन्त्राय कनिष्ठिकाभ्यां नमः । 
  6. ॐ हौं ॐ जूसः भूर्भुवः स्वः मामृतात् ॐ नमो भगवते रुद्राय अग्नित्रयाय ज्वल ज्वल मां रक्षरक्ष अघोराय अस्त्राय करतलकरपृष्ठाभ्यां नमः ।

हृदयादिन्यासः :-

  1. ॐ हौं ॐ जूं सः भूर्भुवः स्वः त्र्यम्बकं ॐ नमो भगवते रुद्राय शूलपाणये स्वाहा हृदयाय नमः । 
  2. ॐ हौं ॐ जूं सः भूर्भुवः स्वः यजामहे ॐ नमो भगवते रुद्राय अमृतमूर्तये मां जीवय शिरसे स्वाहा ।
  3. ॐ हौं जूं सः भूर्भुवः स्वः सुगन्धिं पुष्टिवर्धनं ॐ नमो भगवते रुद्राय चन्द्रशिरसे जटिने स्वाहा शिखायै वषट् । 
  4. ॐ ह्रौं जूं सः भूर्भुवः स्वः उर्वारुकमिव बन्धनात् ॐ नमो भगवते रुद्राय त्रिपुरान्तकाय ह्रां ह्रीं  कवचाय हुम् । 
  5. ॐ हौं जूं सः भूर्भुवः स्वः मृत्योर्मुक्षीय ॐ नमो भगवते रुद्राय त्रिलोचनाय ऋग्यजुःसाममन्त्राय नेत्रत्रयाय वौषट् । 
  6. ॐ हौं ॐ जूसः भूर्भुवः स्वः मामृतात् ॐ नमो भगवते रुद्राय अग्नित्रयाय ज्वल ज्वल मां रक्षरक्ष अघोराय अस्त्राय फट् ।

मन्त्र वर्णन्यासः :-

  1. ॐ हौं ॐ जूं सः भूर्भुवः स्वः त्र्यं नमः पूर्वमुखे
  2. ॐ हौं ॐ जूं सः भूर्भुवः स्वः कं नमः दक्षिण मुखे 
  3. ॐ हौं ॐ जूं सः भूर्भुवः स्वः जां नमः उरसि
  4. ॐ हौं ॐ जूं सः भूर्भुवः स्वः हें नमः मुखे 
  5. ॐ हौं ॐ जूं स भूर्भुवः स्वः गं नमः हृदि
  6. ॐ हौं ॐ जूं सः भूर्भुवः स्वः पुं नमः कुक्षौ
  7. ॐ हौं ॐ जूं सः भूर्भुवः स्वः वं नमः गुह्ये  
  8. ॐ हौं ॐ जूं सः भूर्भुवः स्वः नं नमः वामोरुमूले 
  9. ॐ हौं ॐ जूं सः भूर्भुवः स्वः वां नमः वामोरुमध्ये  
  10. ॐ हौं ॐ जूं सः भूर्भुवः स्वः कं नमः वामजानुनि
  11. ॐ हौं ॐ जूं सः भूर्भुवः स्वः वं नमः पश्चिम मुखे ।
  12. ॐ हौं ॐ जूं स भूर्भुवः स्वः यं नमः उत्तर मुखे 
  13. ॐ हौं ॐ जूं सः भूर्भुवः स्वः मं नमः कंठे
  14. ॐ हौं ॐ जूं सः भूर्भुवः स्पः सुं नमः नाभौ
  15. ॐ हौं ॐ जूं सः भूर्भुवः स्वः धिं नमः पृष्ठे
  16. ॐ हौं ॐ जूं सः भूर्भुवः स्वः ष्टिं नमः लिंगे
  17. ॐ हौं ॐ जूं सः भूर्भुवः स्वः द्धं नमः दक्षिणोरुमूले
  18. ॐ हौं ॐ जूं सः भूर्भुवः स्वः उं नमः दक्षिणोरुमध्ये
  19. ॐ हौं ॐ जूं सः भूर्भुवः स्वः रुं नमः दक्षिणजानुनि 
  20. ॐ हौं ॐ जूं सः भूर्भुवः स्वः मिं नमः दक्षिणजानुवृत्ते
  21. ॐ हौं ॐ जूं सः भूर्भुवः स्वः वं नमः वामजानुवृत्ते 
  22. ॐ हौं ॐ जूं सः भूर्भुवः स्वः धं नमः वामस्तने
  23. ॐ हौं ॐ जूं सः भूर्भुवः स्व मृं नमः वामपार्श्वे
  24. ॐ हौं ॐ जूं सः भूर्भुवः स्वः यं नमः वामकर्णे
  25. ॐ हौं ॐ जूंं सः भूर्भुवः स्वः मृं नमः वामनासायाम्
  26. ॐ हौं ॐ जूं सः भूर्भुवः स्वः बं नमः दक्षिणस्तने  
  27. ॐ हौं ॐ जूं सः भूर्भुवः स्वः नां नमः दक्षिण पार्श्वे  
  28. ॐ हौं ॐ जूं सः भूर्भुवः स्वः श्रीं नमः दक्षिणकर्णे 
  29. ॐ हौं ॐ जूं सः भूर्भुवः स्वः मां नमः दक्षिणनासायाम्  
  30. ॐ हौं ॐ जूं सः भूर्भुवः स्वः तां नमः मूर्ध्नि

पदन्यासः

  1. ॐ त्र्यंबकं शिरसि । 
  2. ॐ यजामहे भ्रुवोः । 
  3. ॐ सुगंधि नेत्रयोः । 
  4. ॐ पुष्टिवर्द्धनमुखे । 
  5. ॐ उर्वारुकं गंडयोः । 
  6. ॐ इवहृदये। 
  7. ॐ बंधनात् जठरे।
  8. ॐ मृत्योः लिंगे । 
  9. ॐ मुक्षीय ऊर्वोः । 
  10. ॐ मां जान्वोः ।
  11. ॐ अमृतात् पादयोः ।

मूलेन व्यापकं कृत्वा ध्यायेत् ।( शरीर के सभी अंगो का स्पर्श करके ध्यान करें)  । 

ध्यानम्-

हस्ताम्भोज - युगस्थ कुम्भ युगलादुद्धृत्य तोयं शिरः

सिञ्चिन्तं करयोर्युगेन दधतं स्वांके सकुम्भौ करौ ।

अक्षस्रड़्मृगहस्तमम्बुजगतं मूर्द्धस्थ चंद्रस्रवत्

पीयूषोन्नतनुं भजे सगिरिजं मृत्युञ्जयं त्र्यम्बकम् ॥१॥ 

इति ध्यात्वा मूलमंत्र जपेत् 

मूलमन्त्र :-

ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगंधिम्पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव  बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॐ स्वः भुवः भूः ॐ सः जूं हौं ॐ ॥ 

अथ महामृत्युञ्जय त्र्यक्षरी मंत्रजपविधिः

विनियोग:- 

अस्य श्री त्र्यक्षरी मृत्युञ्जय मंत्रस्य कहोलऋषिः, गायत्री छन्द, श्रीमृत्युञ्जयमहादेवो देवता, जूं बीजम् सः शक्तिः, मम अभीष्ट सिध्यर्थे जपे विनियोगः । 

ऋष्यादिन्यास 

  1. कहोल ऋषये नमः शिरसि। 
  2. गायत्री छंदसे नमः मुखे । 
  3. मृत्युञ्जय महादेवो देवतायै नमः हृदि । 
  4. जूं बीजाय नमः गुह्ये । 
  5. सः शक्तये नमः पादयोः । 
  6. विनियोगाय नमः सर्वांगे

करन्यास :- 

  1. ॐ सां अगुष्ठाभ्यां नमः । 
  2. ॐ सीं तर्जनीभ्यां नमः । 
  3. ॐ सूं मध्यमाभ्यां नमः । 
  4. ॐ सें अनामिकाभ्यां नमः । 
  5. ॐ सौं कनिष्ठिकाभ्यां नमः । 
  6. ॐ करतलकरपृष्ठाभ्यां नमः । 

हृदयादिन्यास :- 

  1. ॐ सों हृदयाय नमः । 
  2. ॐ सीं शिरसे स्वाहा । 
  3. ॐ सूं शिखायै वषट् । 
  4. ॐ सें कवचाय हुँ । 
  5. ॐ सौं नेत्रत्रयाय वौषट् । 
  6. ॐ सः अस्त्राय फट् । इति

ध्यानम् - 

चन्द्रार्काग्नि विलोचनं स्मितमुखं पद्मद्वयान्तः स्थितं

मुद्रापाश मृगाक्षसूत्र विलसत्पाणिं हिमांशुप्रभम् ।

केटीरेन्दुगलत्सुधाप्लुततनुं हारादि भूषोज्ज्वलं

 कान्त्या विश्वविमोहनं पशुपतिं मृत्युञ्जयं भावयेत् ॥

मूल मन्त्रम् :-

"ॐ हौं जूं सः " प्रजप्य पुनर्न्यासादिकं  कुर्यात् ।( उपरोक्त मन्त्र का जप करके पुनः न्यासादि करें । 

निम्न मन्त्र पढ़ कर जपकर्म शिव जी को निवेदित करें -

गुह्याति गुह्यगोप्त्रात्वं गृहाणास्मत्कृतं जपम् । 

सिद्धिर्भवतु मे देव प्रसीद परमेश्वर॥ 

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2 Comments

  1. अत्यन्त उपयोगी

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  2. बहूत अद्भुत समग्री

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