भगवान परशुराम की कथा,भागवत नवम स्कन्ध, अध्याय 15-16

Sooraj Krishna Shastri
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भगवान परशुराम की कथा,भागवत नवम स्कन्ध, अध्याय 15-16

भगवान परशुराम की कथा,भागवत नवम स्कन्ध, अध्याय 15-16। यह चित्र भगवान परशुराम की कथा के मुख्य प्रसंगों को भव्य रूप से प्रस्तुत करता है। 



भगवान परशुराम की कथा,भागवत नवम स्कन्ध, अध्याय 15-16

भगवान परशुराम की कथा श्रीमद्भागवत महापुराण के नौवें स्कंध (अध्याय 15-16) में विस्तार से वर्णित है। इसमें उनके अवतार का उद्देश्य, कर्तव्यों का निर्वहन, और तपस्वी जीवन का उल्लेख है। कथा के विभिन्न प्रसंगों के साथ श्लोकों का संदर्भ निम्नलिखित है:


1. भगवान परशुराम का जन्म और उद्देश्य

संदर्भ:
भगवान परशुराम महर्षि जमदग्नि और रेणुका के पुत्र थे। उनका जन्म अधर्म और अत्याचार का नाश करने तथा धर्म की स्थापना के लिए हुआ।

श्लोक:

स एव भगवान् रामो जमदग्निरसूयत।
क्षत्रियाणां कुलं छित्त्वा भुवोऽऽकाञ्चदकुत्सितम्।।

(नौवां स्कंध, अध्याय 15, श्लोक 1)

अर्थ:
भगवान परशुराम, महर्षि जमदग्नि के पुत्र, क्षत्रियों के अधर्मी कुलों का विनाश करके पृथ्वी को पवित्र और शांतिपूर्ण बनाते हैं।

कथा:
भगवान परशुराम का जन्म एक साधारण ब्राह्मण परिवार में हुआ था, लेकिन वे असाधारण थे। उन्होंने भगवान शिव से दिव्यास्त्रों और युद्धकला का ज्ञान प्राप्त किया। उनका उद्देश्य था अधर्मी क्षत्रियों के अहंकार और अत्याचार का अंत करना।


2. कार्तवीर्य अर्जुन का अत्याचार और कामधेनु गाय का हरण

संदर्भ:
एक बार कार्तवीर्य अर्जुन (सहस्त्रार्जुन), जो अपनी शक्ति के लिए प्रसिद्ध था, महर्षि जमदग्नि के आश्रम में पहुँचा। आश्रम में कामधेनु गाय ने उसे और उसकी सेना को भोजन और स्वागत प्रदान किया।

श्लोक:

जमदग्निर्यथेच्छार्थं गन्धर्वाप्सरसोऽमरा:।
संगता ह्यभ्यनन्दन्त क्षत्रियाश्च सहस्रश:।।

(नौवां स्कंध, अध्याय 15, श्लोक 5)

अर्थ:
महर्षि जमदग्नि के आश्रम में गंधर्व, अप्सरा, और देवता आनंदित होते थे।

कथा:
कर्तवीर्य अर्जुन ने कामधेनु के दिव्य गुणों को देखकर उसे बलपूर्वक छीन लिया। यह उसके अहंकार और अधर्म का प्रतीक था।


3. कार्तवीर्य अर्जुन का वध

संदर्भ:
भगवान परशुराम को जब अपने पिता के अपमान और कामधेनु के हरण की जानकारी मिली, तो उन्होंने कार्तवीर्य अर्जुन को चुनौती दी और उसे युद्ध में परास्त कर उसका वध कर दिया।

श्लोक:

राम: पिता वधं श्रुत्वा क्षत्रियाणामसाम्यथ।
धनुषा प्रतिचक्राम क्षत्रियाणां कुलं यदा।।

(नौवां स्कंध, अध्याय 16, श्लोक 1)

अर्थ:
जब भगवान परशुराम ने अपने पिता की हत्या के बारे में सुना, तो उन्होंने अधर्मी क्षत्रियों के वंश का नाश करने का निर्णय लिया।

कथा:
कार्तवीर्य अर्जुन के वध के बाद भी उसकी संतानें परशुराम से बदला लेने के प्रयास में उनके पिता महर्षि जमदग्नि की हत्या कर देती हैं।


4. 21 बार क्षत्रियों का विनाश

संदर्भ:
अपने पिता की हत्या के प्रतिशोध में भगवान परशुराम ने 21 बार पृथ्वी से अधर्मी क्षत्रियों का विनाश किया।

श्लोक:

क्षत्रियाणां कुलं छित्त्वा भुवं चक्रेऽकुतोभयम्।  

(नौवां स्कंध, अध्याय 16, श्लोक 13)

अर्थ:
भगवान परशुराम ने अधर्मी क्षत्रियों का नाश करके पृथ्वी को भयमुक्त कर दिया।

कथा:
यह घटना दिखाती है कि भगवान परशुराम ने न केवल अपने पिता के साथ हुए अन्याय का प्रतिशोध लिया, बल्कि पृथ्वी पर धर्म की पुनः स्थापना भी की। उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि अधर्म और अत्याचार दोबारा न पनपे।


5. पृथ्वी और गाय का दान

संदर्भ:
भगवान परशुराम ने अपनी विजय के बाद संपूर्ण पृथ्वी को कश्यप ऋषि को दान कर दिया और स्वयं तपस्या के लिए चले गए।

श्लोक:

कश्यपाय च गामदात् क्षत्रियाणां मृतैस्तदा।
सर्वभूतानि नोद्विज्यन्ति धर्म एव महीयते।।

(नौवां स्कंध, अध्याय 16, श्लोक 14)

अर्थ:
भगवान परशुराम ने पृथ्वी और गायों को कश्यप ऋषि को दान कर दिया और पृथ्वी को धर्ममय बनाया।

कथा:
भगवान परशुराम का दान उनकी महानता और त्याग का प्रतीक है। उन्होंने अपनी विजय का फल स्वयं के लिए नहीं रखा, बल्कि समाज और धर्म के लिए समर्पित कर दिया।


6. तपस्वी जीवन का आरंभ

संदर्भ:
भगवान परशुराम ने धर्म स्थापना के बाद अपने शस्त्रों का त्याग कर दिया और महेंद्र पर्वत पर तपस्या करने चले गए।

श्लोक:

महेंद्राद्रौ तपो घोरं तेपे सत्यवतां वर:।  

(नौवां स्कंध, अध्याय 16, श्लोक 17)

अर्थ:
भगवान परशुराम ने महेंद्र पर्वत पर घोर तपस्या की और एक शांत जीवन का अनुसरण किया।

कथा:
उनकी तपस्या दर्शाती है कि शक्ति और विजय का उपयोग केवल धर्म की स्थापना के लिए होना चाहिए। विजय के बाद तपस्या और संतुलन ही सच्चे जीवन का मार्ग है।


संदेश:

भगवान परशुराम की कथा यह सिखाती है कि:

  1. अधर्म का नाश धर्म का कर्तव्य है।
  2. शक्ति का उपयोग केवल धर्म और न्याय के लिए होना चाहिए।
  3. जीवन में त्याग और तपस्या से आंतरिक शांति प्राप्त होती है।

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