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महाशिवरात्रि – 2025: व्रत एवं उपवास का शास्त्रीय महत्व |
🌷 महाशिवरात्रि – 2025: व्रत एवं उपवास का शास्त्रीय महत्व 🌷
➡️ महाशिवरात्रि 26 फरवरी 2025 (बुधवार) को है।
🔱 महाशिवरात्रि का महत्व
"फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी की रात्रि में भूत, प्रेत, पिशाच, शक्तियाँ और स्वयं भगवान शिव भ्रमण करते हैं। अतः इस समय इनका पूजन करने से मनुष्य के समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं।"
"रात्रि के चार प्रहरों में से मध्य के दो प्रहरों (निशीथकाल) में की गई शिव पूजा विशेष रूप से अभीष्ट फल देने वाली होती है।"
🕉 चतुर्दशी तिथि का प्रभाव
"फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को किए गए शिव पूजन से समस्त पापों का नाश होता है।"
🔱 महाशिवरात्रि की पौराणिक कथा
"फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी की रात्रि में भगवान शिव करोड़ों सूर्यों के समान प्रभा वाले लिंग रूप में प्रकट हुए। इसलिए इस दिन को महाशिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है।"
"मैं इस तिथि पर न तो स्नान, न वस्त्रों, न धूप, न पूजा, न पुष्पों से उतना प्रसन्न होता हूँ, जितना उपवास से।"
🔱 महाशिवरात्रि व्रत का महत्व
"भले ही समुद्र सूख जाए, हिमालय क्षय को प्राप्त हो जाए, मन्दर और विन्ध्य पर्वत हिल जाएँ, परंतु शिवरात्रि का व्रत कभी निष्फल नहीं हो सकता।"
"जो मनुष्य इस रात्रि में भगवान महादेव की भक्तिपूर्वक पूजा नहीं करता, वह सहस्रों जन्मों तक जन्म-चक्र में भटकता रहता है।"
"एकादशी को अन्न खाने से पाप लगता है, किंतु शिवरात्रि, रामनवमी एवं जन्माष्टमी के दिन अन्न खाने से दुगुना पाप लगता है। अतः महाशिवरात्रि का व्रत अनिवार्य है।"
🔱 निष्कर्ष
🙏🏻 महाशिवरात्रि एक परम पवित्र और सर्वश्रेष्ठ तिथि है। इस दिन शिव उपासना, व्रत, रात्रि जागरण और भक्ति से भगवान शिव शीघ्र प्रसन्न होते हैं एवं अनंत पुण्य फल प्रदान करते हैं।
🌺 "हर हर महादेव!" 🌺