कहानी:‼️ विश्वास की जीत ‼️

Sooraj Krishna Shastri
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कहानी:‼️ विश्वास की जीत ‼️
कहानी:‼️ विश्वास की जीत ‼️


कहानी:‼️ विश्वास की जीत ‼️

एक गांव में सज्जन पुरुष

एक समय की बात है, एक गांव में एक सज्जन पुरुष रहते थे। वे अत्यंत दयालु, विनम्र और सद्गुणी थे। उनका स्वभाव ऐसा था कि वे कभी किसी को अपशब्द नहीं कहते थे और हर व्यक्ति का आदरपूर्वक स्वागत करते थे। उनके घर आने वाले सभी अतिथियों को वे प्रेमपूर्वक आतिथ्य प्रदान करते थे। उनकी बुद्धिमानी और न्यायप्रियता के कारण गांव के लोग अक्सर उनसे परामर्श लेने आते थे।

कैदी का भागना और सज्जन पुरुष के घर प्रवेश

इसी गांव के पास की जेल से एक कैदी भाग निकला। जेल से भागने के बाद पुलिस उसके पीछे लगी हुई थी, जिससे बचने के लिए वह इधर-उधर छिपने का प्रयास कर रहा था। भागते-भागते वह गांव के बीचों-बीच पहुंचा, जहां उसे एक घर का दरवाजा खुला दिखाई दिया। भागते हुए उसने बिना सोचे-समझे उस घर में प्रवेश कर लिया। यह घर उसी सज्जन पुरुष का था।

सज्जन पुरुष की करुणा

कैदी जैसे ही घर में घुसा, सज्जन पुरुष ने उसे देखकर सौम्यता से कहा,
"आइए महाराज! आपका स्वागत है।"
उनके इस प्रेमपूर्ण व्यवहार को देखकर कैदी अचंभित रह गया। वह सोच भी नहीं सकता था कि कोई अजनबी उसे इस प्रकार स्नेहपूर्वक स्वीकार करेगा।

सज्जन पुरुष ने उसे आसन पर बैठने के लिए कहा और नम्रता से पूछा, "आप कौन हैं और कहां से आ रहे हैं?"
कैदी ने घबराते हुए उत्तर दिया, "मैं रास्ता भटक गया हूं। क्या आप मुझे आज रात अपने घर में शरण दे सकते हैं? आपका बहुत बड़ा उपकार होगा।"

सज्जन पुरुष ने मुस्कुराते हुए कहा, "क्यों नहीं! आप हमारे अतिथि हैं। आराम से यहां रहिए। पहले स्नान कर लीजिए, तब तक मैं आपके भोजन और विश्राम की व्यवस्था करता हूं।"

कैदी ने मन ही मन सोचा कि यह व्यक्ति कितना सरल हृदय है! वह स्नान करने चला गया, और इस बीच सज्जन पुरुष ने उसके लिए स्वादिष्ट भोजन तैयार किया तथा सोने की उत्तम व्यवस्था कर दी।

कैदी की बुरी नियत

रात का भोजन करने के बाद सभी सो गए। लेकिन आधी रात को उस कैदी के मन में लालच आ गया। उसने सोचा कि इस घर में इतनी संपत्ति है, और यह व्यक्ति इतना सरल हृदय है कि उसे आसानी से लूटा जा सकता है। उसने घर में रखी सोने की वस्तुएं चुरा लीं और चुपचाप वहां से भाग निकला।

पुलिस द्वारा पकड़ा जाना

कैदी जैसे ही गांव से बाहर निकला, पुलिस ने उसे पकड़ लिया। जब पुलिस ने उसके पास से चोरी किया हुआ सामान बरामद किया, तो उसने सच स्वीकार कर लिया और कहा, "मैंने यह सब उस सज्जन पुरुष के घर से चुराया है।"

पुलिस उसे तुरंत उस सज्जन पुरुष के घर ले गई और उनके सामने प्रस्तुत किया।

सज्जन पुरुष की महानता

पुलिस अधिकारी ने कहा, "यह चोर कह रहा है कि इसने आपके घर से ये वस्तुएं चुराई हैं। कृपया इसकी पुष्टि करें।"

सज्जन पुरुष ने ध्यान से उस कैदी को देखा, जो सिर झुकाए खड़ा था। उन्होंने कोमल स्वर में उत्तर दिया,
"यह चोरी नहीं है। यह सोने की वस्तुएं मैंने इसे दान में दी थीं।"

यह सुनते ही कैदी आश्चर्यचकित रह गया। उसकी आंखों से आंसू बहने लगे। वह सज्जन पुरुष के चरणों में गिर पड़ा और रोते हुए बोला,
"मैं बहुत बड़ा अपराधी हूं, परंतु आपने मुझे क्षमा कर दिया! मैंने चोरी करने की गलती की, लेकिन आज मुझे जीवन का सबसे बड़ा पाठ मिल गया। जब भी किसी चीज़ की आवश्यकता हो, तो उसे चोरी करने के बजाय मांग लेना चाहिए। मैं भविष्य में कभी कोई गलत कार्य नहीं करूंगा।"

सज्जन पुरुष ने प्रेमपूर्वक उसके सिर पर हाथ रखा और कहा, "मनुष्य का हृदय स्वभाव से पवित्र होता है। केवल परिस्थितियाँ उसे भटका देती हैं। यदि विश्वास और करुणा से उसे सही राह दिखाई जाए, तो वह पुनः सन्मार्ग पर आ सकता है।"

तात्पर्य

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि विश्वास और प्रेम के बल पर हर परिस्थिति को सुधारा जा सकता है। जब हम दूसरों पर विश्वास करते हैं, तो वे भी अपने अंदर सुधार लाने के लिए प्रेरित होते हैं। इसलिए, हमें हमेशा धैर्य, प्रेम और करुणा से लोगों का मार्गदर्शन करना चाहिए।


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