संस्कृत श्लोक: "रहस्यभेदो याच्ञा च नैष्ठुर्यं चलचित्तता" का अर्थ और हिन्दी अनुवाद

Sooraj Krishna Shastri
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संस्कृत श्लोक: "रहस्यभेदो याच्ञा च नैष्ठुर्यं चलचित्तता" का अर्थ और हिन्दी अनुवाद
संस्कृत श्लोक: "रहस्यभेदो याच्ञा च नैष्ठुर्यं चलचित्तता" का अर्थ और हिन्दी अनुवाद


संस्कृत श्लोक: "रहस्यभेदो याच्ञा च नैष्ठुर्यं चलचित्तता" का अर्थ और हिन्दी अनुवाद

श्लोक:
रहस्यभेदो याच्ञा च नैष्ठुर्यं चलचित्तता।
क्रोधो निःसत्यता द्यूतमेतन्मित्रस्य दूषणम्॥

अर्थ:
गुप्त बातों को प्रकट कर देना, बार-बार माँगना, निष्ठुरता, चित्त की अस्थिरता, क्रोध, झूठ बोलना और जुआ खेलना—ये सभी मित्र के दोष हैं।


शाब्दिक विश्लेषण

  1. रहस्यभेदः – गोपनीय बातें उजागर करना (षष्ठी तत्पुरुष समास)
  2. याच्ञा – बार-बार माँगने की प्रवृत्ति
  3. नैष्ठुर्यम् – निष्ठुरता, कठोरता
  4. चलचित्तता – मन का अस्थिर होना
  5. क्रोधः – गुस्सा, अत्यधिक क्रोध करना
  6. निःसत्यता – असत्य बोलने की प्रवृत्ति
  7. द्यूतम् – जुआ खेलना
  8. एतत् – ये सभी
  9. मित्रस्य – मित्र के (षष्ठी विभक्ति)
  10. दूषणम् – दोष या अवगुण

व्याकरणीय विश्लेषण

  • रहस्यभेदो, याच्ञा, नैष्ठुर्यं, चलचित्तता, क्रोधः, निःसत्यता, द्यूतम् – ये सभी कर्ता पद हैं (प्रथमा विभक्ति, एकवचन)।
  • मित्रस्य – षष्ठी विभक्ति (मित्र का)।
  • दूषणम् – द्वितीया विभक्ति, एकवचन (दोष के रूप में प्रयुक्त)।

आधुनिक संदर्भ में व्याख्या

यह श्लोक बताता है कि एक अच्छे मित्र में कौन-कौन से दोष नहीं होने चाहिए।

  1. गोपनीयता का उल्लंघन (रहस्यभेदः)

    • मित्र वह होता है जिस पर हम विश्वास कर सकें।
    • यदि कोई व्यक्ति आपकी निजी बातें दूसरों को बताता है, तो वह सच्चा मित्र नहीं है।
  2. बार-बार माँगना (याच्ञा)

    • मित्रता में स्वाभाविक रूप से सहायता का भाव होना चाहिए, परंतु बार-बार माँगने की प्रवृत्ति मित्रता को कमजोर कर देती है।
  3. निष्ठुरता (नैष्ठुर्यम्)

    • मित्र को सहृदय और संवेदनशील होना चाहिए।
    • कठोर व्यवहार मित्रता को समाप्त कर सकता है।
  4. अस्थिर चित्त होना (चलचित्तता)

    • एक अच्छे मित्र में दृढ़ता और स्थिरता होनी चाहिए।
    • जो व्यक्ति हर समय अस्थिर रहता है, उसकी मित्रता टिकाऊ नहीं होती।
  5. क्रोध (क्रोधः)

    • क्रोधी व्यक्ति मित्रता निभाने में असफल होता है।
    • बार-बार गुस्सा करने वाला मित्र अपने संबंधों को खराब कर सकता है।
  6. झूठ बोलना (निःसत्यता)

    • सच्ची मित्रता सत्य पर आधारित होती है।
    • जो मित्र झूठ बोलता है, वह भरोसेमंद नहीं होता।
  7. जुआ खेलना (द्यूतम्)

    • जुए की आदत वाला व्यक्ति मित्रता में विश्वासघात कर सकता है।
    • महाभारत में भी दुर्योधन और शकुनि ने जुए के कारण ही पांडवों से छल किया।

व्यावहारिक शिक्षा

  • मित्रता में भरोसा, सहृदयता, और स्थिरता होनी चाहिए।
  • यदि कोई मित्र गोपनीयता भंग करता है, बार-बार माँगता है, कठोर होता है, क्रोधी या असत्यभाषी होता है, या जुए की आदत रखता है, तो वह सच्चा मित्र नहीं हो सकता।
  • अच्छे मित्र सहयोगी, ईमानदार और धैर्यवान होते हैं।

संक्षिप्त निष्कर्ष

सच्ची मित्रता विश्वास, सहृदयता और स्थिरता पर आधारित होती है। जो मित्र गोपनीयता भंग करता है, बार-बार माँगता है, क्रोधी, असत्यभाषी या जुआरी होता है, वह मित्रता के योग्य नहीं होता।


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