गुणात्मक एवं मात्रात्मक आंकड़े

Sooraj Krishna Shastri
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गुणात्मक एवं मात्रात्मक आंकड़े
गुणात्मक एवं मात्रात्मक आंकड़े

यह रहा "गुणात्मक एवं मात्रात्मक आंकड़े" विषय पर एक पूर्ण रूप से विस्तृत, व्यवस्थित और समग्र प्रस्तुतीकरण, जिसमें इससे संबंधित सभी विषयों को समाहित किया गया है:


गुणात्मक एवं मात्रात्मक आंकड़े

1. प्रस्तावना (Introduction)

किसी भी वैज्ञानिक, सामाजिक या व्यवहारिक अध्ययन में आंकड़े (Data) एक केंद्रीय भूमिका निभाते हैं। आंकड़ों का विश्लेषण हमें वास्तविकता को समझने, निष्कर्ष निकालने और निर्णय लेने में सहायता करता है। आंकड़ों को मुख्यतः दो श्रेणियों में विभाजित किया जाता है:
(1) गुणात्मक आंकड़े (Qualitative Data) और (2) मात्रात्मक आंकड़े (Quantitative Data)
यह वर्गीकरण उनके स्वरूप, मापन की प्रकृति, विश्लेषण की विधि और उपयोगिता के आधार पर किया जाता है।


2. गुणात्मक आंकड़े (Qualitative Data)

2.1 परिभाषा

गुणात्मक आंकड़े वे होते हैं जो किसी वस्तु, व्यक्ति, घटना या स्थिति के गुण, प्रकार या विशेषता को व्यक्त करते हैं। ये आंकड़े शब्दों, वर्णनों या श्रेणियों के रूप में प्रस्तुत होते हैं और इनका प्रयोग गुणात्मक विशेषताओं की पहचान और वर्गीकरण हेतु किया जाता है।

2.2 स्वरूप और प्रकृति

  • ये आंकड़े संख्यात्मक नहीं होते
  • ये किसी गुणात्मक विशेषता जैसे रंग, स्वाद, पसंद, राय, अनुभव आदि को व्यक्त करते हैं।
  • इनका प्रयोग अधिकतर समाजशास्त्रीय, मानविकी, शैक्षिक और व्यवहारिक शोधों में होता है।

2.3 प्रकार

(क) नाममात्र (Nominal Data):

  • इन आंकड़ों में किसी प्रकार का क्रम नहीं होता।
  • केवल पहचान और वर्गीकरण का कार्य करते हैं।
  • उदाहरण:
    • धर्म (हिन्दू, मुस्लिम, ईसाई)
    • लिंग (पुरुष, महिला, अन्य)
    • रंग (लाल, नीला, पीला)

(ख) क्रमिक (Ordinal Data):

  • इनमें एक क्रम या अनुक्रम होता है।
  • परंतु विभिन्न स्तरों के बीच के अंतराल ज्ञात नहीं होते
  • उदाहरण:
    • ग्राहक संतुष्टि (अत्यंत संतुष्ट, संतुष्ट, असंतुष्ट)
    • परीक्षा में ग्रेड (A, B, C, D)
    • पद (प्रथम, द्वितीय, तृतीय)

2.4 विश्लेषण की विधियाँ

  • प्रतिशत (%)
  • बार ग्राफ, पाई चार्ट
  • थीमेटिक एनालिसिस (Thematic Analysis)
  • कंटेंट एनालिसिस (Content Analysis)

3. मात्रात्मक आंकड़े (Quantitative Data)

3.1 परिभाषा

मात्रात्मक आंकड़े वे होते हैं जो किसी वस्तु, व्यक्ति या घटना की मापनीय विशेषताओं को संख्यात्मक रूप में व्यक्त करते हैं। ये आंकड़े गणनात्मक होते हैं और गणितीय विश्लेषण की प्रक्रियाओं के लिए उपयुक्त होते हैं।

3.2 स्वरूप और प्रकृति

  • ये आंकड़े संख्याओं में व्यक्त किए जाते हैं।
  • इन्हें मापा या गिना जा सकता है।
  • इनका प्रयोग विज्ञान, गणित, अर्थशास्त्र, जनसंख्या अध्ययन जैसे क्षेत्रों में अधिक होता है।

3.3 प्रकार

(क) अविरल आंकड़े (Discrete Data):

  • ये आंकड़े सीमित संख्याओं में होते हैं।
  • केवल पूर्ण संख्याएं होती हैं (कोई दशमलव नहीं)।
  • उदाहरण:
    • परिवार में बच्चों की संख्या (2, 3, 4)
    • कक्षा में उपस्थित छात्र (40)

(ख) सतत आंकड़े (Continuous Data):

  • ये आंकड़े किसी मानक इकाई में मापे जाते हैं और दशमलव सहित हो सकते हैं।
  • उदाहरण:
    • वजन (65.5 किलोग्राम)
    • लंबाई (170.2 सेमी)
    • तापमान (37.5°C)

3.4 विश्लेषण की विधियाँ

  • औसत (Mean)
  • माध्य (Median)
  • बहुलक (Mode)
  • मानक विचलन (Standard Deviation)
  • रेखीय आरेख, हिस्टोग्राम, स्कैटर प्लॉट

4. गुणात्मक बनाम मात्रात्मक आंकड़ों का तुलनात्मक अध्ययन


5. आंकड़ों के संकलन के स्रोत


6. आंकड़ों का ग्राफिक प्रतिनिधित्व

गुणात्मक आंकड़ों के लिए:

  • बार ग्राफ
  • पाई चार्ट
  • वर्ड क्लाउड

मात्रात्मक आंकड़ों के लिए:

  • रेखा ग्राफ (Line graph)
  • हिस्टोग्राम
  • बॉक्स प्लॉट
  • स्कैटर प्लॉट

7. शोध में आंकड़ों की भूमिका

  • गुणात्मक आंकड़े – व्यवहार की गहराई, दृष्टिकोण, अनुभव समझने में सहायक।
  • मात्रात्मक आंकड़े – पैटर्न पहचानने, पूर्वानुमान लगाने, निष्कर्ष निकालने में सहायक।
  • दोनों प्रकार के आंकड़ों का समुचित उपयोग मिश्रित विधि शोध (Mixed Methods Research) में होता है।

8. निष्कर्ष (Conclusion)

गुणात्मक एवं मात्रात्मक आंकड़े किसी भी अनुसंधान या विश्लेषण की दो आवश्यक दिशाएँ हैं। एक पक्ष मानव व्यवहार और दृष्टिकोण को समझने में सहायक है, वहीं दूसरा पक्ष मापन, गणना और तुलनात्मक विश्लेषण में। आधुनिक शोध और नीति निर्माण के लिए दोनों का संतुलित प्रयोग अत्यंत आवश्यक है।

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