संस्कृत श्लोक: "अभिमानो धनं येषां चिरजीवन्ति ते जनाः" का अर्थ और हिन्दी अनुवाद

Sooraj Krishna Shastri
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संस्कृत श्लोक: "अभिमानो धनं येषां चिरजीवन्ति ते जनाः" का अर्थ और हिन्दी अनुवाद
संस्कृत श्लोक: "अभिमानो धनं येषां चिरजीवन्ति ते जनाः" का अर्थ और हिन्दी अनुवाद


संस्कृत श्लोक: "अभिमानो धनं येषां चिरजीवन्ति ते जनाः" का अर्थ और हिन्दी अनुवाद

🙏 जय श्री राम 🌷सुप्रभातम् 🙏
 प्रस्तुत श्लोक अत्यंत गूढ़ और प्रेरणास्पद है, जिसमें स्वाभिमान की महत्ता को जीवन की सार्थकता से जोड़ा गया है।


श्लोक:

अभिमानो धनं येषां चिरजीवन्ति ते जनाः।
अभिमानविहीनानां किं धनेन किमायुषा॥


शाब्दिक विश्लेषण:

पद अर्थ
अभिमानः आत्मगौरव / स्वाभिमान
धनम् धन के समान (अर्थात् मूल्यवान वस्तु)
येषां जिनके पास
चिरम् दीर्घकाल तक / लंबे समय तक
जीवन्ति जीते हैं
ते जनाः वे लोग
अभिमानविहीनानाम् जिनके पास स्वाभिमान नहीं है
किम् क्या लाभ?
धनेन धन से
किम् आयुषा दीर्घायु से क्या लाभ?

व्याकरणिक संरचना:

  • अभिमानो धनम्उपमेय-उपमान की शैली: स्वाभिमान को धन कहा गया है।
  • येषां चिरजीवन्ति ते जनाःसम्बन्धवाचक 'येषां' से 'ते' का निष्कर्ष।
  • विहीनानाम्तृतीया विभक्ति: "विहीन" + "अनाम्" = जिनमें नहीं है।

हिंदी भावार्थ (सरल रूप में):

जिन लोगों के पास स्वाभिमान रूपी धन होता है, वे ही वास्तव में लंबा जीवन जीते हैं।
लेकिन जिनमें स्वाभिमान नहीं है, उनके लिए धन या दीर्घायु का क्या ही उपयोग है?


आधुनिक सन्दर्भ में भावार्थ:

आज के समय में किसी के पास कितना भी बाह्य धन, ऐश्वर्य, प्रतिष्ठा या लंबी उम्र हो —
यदि उसके पास आत्म-सम्मान नहीं है, तो उसका जीवन एक कृत्रिम, दूसरों पर निर्भर अस्तित्व बनकर रह जाता है।

स्वाभिमानहीन व्यक्ति केवल जीवित होता है, जीवन्त नहीं।


नीतिशास्त्रीय सन्देश:

  • धन और दीर्घायु तभी अर्थवान हैं जब व्यक्ति मूल्यनिष्ठ, गौरवपूर्ण जीवन जीता हो।
  • बिना आत्मसम्मान के जीवन दासता है, चाहे वह दिखावे में सुखमय क्यों न लगे।

उदाहरण (प्रेरक कथा):

एक बार एक राजा ने एक गरीब लेकिन स्वाभिमानी ब्राह्मण से कहा —
"मैं तुम्हें सोने से भर दूँगा, बस मेरे दरबार में नृत्य कर दो।"
ब्राह्मण ने उत्तर दिया —

"मैं भले भूखा मर जाऊँ, पर अपने आत्मसम्मान को बेच नहीं सकता।"

वह भले निर्धन था, पर समाज में उसकी प्रतिष्ठा उस राजा से कहीं ऊँची थी।


नैतिक शिक्षा:

"स्वाभिमान ही सच्चा ऐश्वर्य है।"
न झुको अनुचित के आगे, चाहे कितना भी लाभ सामने क्यों न हो।

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