संस्कृत श्लोक "मित्रस्वजनबन्धूनां बुद्धेर्धैर्यस्य चात्मनः" का हिन्दी अनुवाद और विश्लेषण

Sooraj Krishna Shastri
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संस्कृत श्लोक "मित्रस्वजनबन्धूनां बुद्धेर्धैर्यस्य चात्मनः" का हिन्दी अनुवाद और विश्लेषण 

🌸 श्लोक (संस्कृत)
मित्रस्वजनबन्धूनां बुद्धेर्धैर्यस्य चात्मनः ।
आपन्निकषपाषाणे नरो जानाति सारताम्॥

Mitrasvajana-bandhūnāṁ buddhér dhairyasya chātmanah।
Āpannikaṣapāṣāṇe naro jānāti sāratām॥


🧠 शब्दार्थ एवं व्याकरणिक विश्लेषण:

पद विभक्ति/प्रकार अर्थ
मित्र षष्ठी बहुवचन मित्रों का
स्वजन षष्ठी बहुवचन अपने लोगों का
बन्धूनाम् षष्ठी बहुवचन सम्बन्धियों का
बुद्धेः षष्ठी एकवचन बुद्धि की
धैर्यस्य षष्ठी एकवचन धैर्य का
अव्यय और
आत्मनः षष्ठी एकवचन अपने आप का
आपन्नि सप्तमी एकवचन आपत्ति में, कठिनाई में
निकषपाषाणे सप्तमी एकवचन कसौटी पर
नः प्रथमा एकवचन मनुष्य
जानाति कर्तरि लट् जानता है
सारताम् द्वितीया एकवचन सार, वास्तविकता, असली मूल्य

संस्कृत श्लोक "मित्रस्वजनबन्धूनां बुद्धेर्धैर्यस्य चात्मनः" का हिन्दी अनुवाद और विश्लेषण
संस्कृत श्लोक "मित्रस्वजनबन्धूनां बुद्धेर्धैर्यस्य चात्मनः" का हिन्दी अनुवाद और विश्लेषण 


💡 भावार्थ:

यह श्लोक बताता है कि किसी व्यक्ति को अपने मित्रों, स्वजनों, बन्धुओं, अपनी बुद्धि और धैर्य का वास्तविक मूल्य तभी समझ में आता है जब वह आपत्ति या कठिन समय से गुजरता है।

जैसे सोने की शुद्धता को निकष (कसौटी) पर परखा जाता है, वैसे ही मनुष्य जीवन के कठिन समय में अपने लोगों और अपनी योग्यता की असली परख कर पाता है।


🌻 प्रेरणादायक व्याख्या:

जीवन में जब सब कुछ अच्छा चल रहा होता है, तब कोई भी आपके साथ होता है — लेकिन जब आप संकट में होते हैं, तभी आपको यह ज्ञात होता है कि

  • कौन सच्चा मित्र है,
  • कौन परिवार के नाम पर केवल औपचारिकता निभा रहा है,
  • आपकी बुद्धि कितनी सटीक निर्णय ले सकती है,
  • और आपका धैर्य कितनी बड़ी परीक्षा में खरा उतर सकता है।

'कसौटी' का तात्पर्य है जीवन की परीक्षा। जब समय विपरीत होता है — धन नहीं, सम्मान खतरे में, या स्वास्थ्य डांवाडोल हो — तब ही संबंधों की गहराई, निर्णयों की गुणवत्ता और मन की स्थिरता की असली पहचान होती है।


🔥 आधुनिक सन्दर्भ में उपयोगिता:

इस श्लोक की प्रासंगिकता आज भी उतनी ही है:

  • जब व्यापार में नुकसान होता है, तब कौन खड़ा रहता है?
  • जब नौकरी जाती है, कौन साथ देता है?
  • जब समाज आपको अस्वीकार करता है, तब आपका धैर्य कैसा रहता है?

👉 इसी कठिन समय में आप अपना वास्तविक बल, सच्चे सम्बन्ध, और संकट-प्रबंधन की क्षमता पहचान पाते हैं।


🪔 नैतिक सन्देश:

"सच्चे रत्न कठिन समय की गहराइयों में ही चमकते हैं।"
इसलिए अपने जीवन के संकटों को केवल दुःख का कारण न मानें, वे आपकी असली शक्ति और साथियों की पहचान का अवसर हैं।

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