संस्कृत श्लोक "इह यत्क्रियते कर्म परत्रैवोपयुज्यते" का हिन्दी अनुवाद और विश्लेषण
🌞 🙏 जय श्रीराम 🌹 सुप्रभातम् 🙏
आज का श्लोक कर्मफल और परलोक संबंधी अत्यंत गूढ़ एवं प्रतीकात्मक सत्य को सरल उपमेय रूप में प्रस्तुत करता है। यह श्लोक न केवल कर्म-सिद्धांत को स्पष्ट करता है, बल्कि यह भी समझाता है कि कर्म का फल तात्कालिक नहीं होकर दीर्घगामी और अप्रत्यक्ष रूप में प्रकट हो सकता है।
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संस्कृत श्लोक "इह यत्क्रियते कर्म परत्रैवोपयुज्यते" का हिन्दी अनुवाद और विश्लेषण |
✨ श्लोक ✨
इह यत्क्रियते कर्म परत्रैवोपयुज्यते ।सिक्तमूलस्य वृक्षस्य फलं शाखासु दृश्यते ॥
iha yat kriyate karma paratraiva upayujyate ।siktamūlasya vṛkṣasya phalaṁ śākhāsu dṛśyate ॥
🔍 शब्दार्थ व व्याकरणीय विश्लेषण:
पद | अर्थ | व्याकरणिक टिप्पणी |
---|---|---|
इह | यहाँ, इस लोक में | अव्यय |
यत् | जो | सम्बन्धवाचक |
क्रियते | किया जाता है | लट् लकार, कर्मणि प्रयोग |
कर्म | कर्म, कार्य | नपुंसक लिंग |
परत्र | परलोक में | सप्तमी विभक्ति |
एव | ही | विशेष बल |
उपयुज्यते | उपयोग होता है / फल भोगा जाता है | कर्मणि प्रयोग |
सिक्तमूलस्य | जिसकी जड़ें सींची गई हों | षष्ठी विभक्ति |
वृक्षस्य | वृक्ष का | षष्ठी विभक्ति |
फलं | फल | कर्ता |
शाखासु | शाखाओं में | सप्तमी बहुवचन |
दृश्यते | दिखाई देता है | लट् लकार, कर्मणि प्रयोग |
🪷 भावार्थ:
"इस लोक में जो भी कर्म किया जाता है, उसका परिणाम परलोक में भोगा जाता है।
जैसे वृक्ष की जड़ों में जल देने पर उसका फल शाखाओं में प्रकट होता है।"
🔸 कर्मफल तात्कालिक नहीं होता, परंतु उसका अवश्य अनुभव होता है।
🔸 जल जड़ में डालते हैं, फल शाखा पर लगता है — कारण और परिणाम में स्थानांतर होता है।
🌿 प्रेरणादायक दृष्टांत: “गोपनीय कर्म और प्रत्यक्ष फल” 🌿
प्राचीन काल में एक तपस्वी ब्रह्मचारी ने वन में वर्षों तक सेवा और जप किया।
लोगों ने पूछा: “आपका तो कोई फल नहीं दिखता!”
वह मुस्कुराए और बोले:
“वत्स, जड़ में जल दिया है — शाखाओं में फल लगेगा।जब मेरी आत्मा इस शरीर को त्यागेगी, तब इस तप का प्रकाश परलोक में दिखेगा।”
🌟 शिक्षा / प्रेरणा:
- कर्म तत्काल फल नहीं देता, पर अवश्य फलित होता है।
- अदृश्य में किया गया शुभ कार्य, परलोक या भविष्य में दृश्य फल देता है।
- इस संसार में किया गया प्रत्येक सत्कर्म या दुष्कर्म — पुनर्जन्म या परलोक में फल देने वाला है।
- जड़ में जल दो (सच्चे संकल्प, शुद्ध कर्म), फल शाखा पर (जीवन/पुनर्जन्म) में आएगा।
🕯️ मनन योग्य वाक्य:
"कर्म की जड़ें इस लोक में हैं, परंतु फल किसी और ही शाखा पर लगता है — धैर्य और श्रद्धा से प्रतीक्षा करें।"