संस्कृत श्लोक "गुरौ नम्रा लघुन्युच्चा समे समतयान्विता" का हिन्दी अनुवाद और विश्लेषण
🌸 🙏 जय श्रीराम 🌷 सुप्रभातम् 🙏
आज का श्लोक — "साधु का व्यवहार – तटस्थ, तौलनीय और श्रेष्ठ" — एक आदर्श चरित्र की सूक्ष्म, सटीक और सुंदर व्याख्या करता है।
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संस्कृत श्लोक "गुरौ नम्रा लघुन्युच्चा समे समतयान्विता" का हिन्दी अनुवाद और विश्लेषण |
✨ श्लोक ✨
गुरौ नम्रा लघुन्युच्चा समे समतयान्विता ।साधुवृत्तिस्तथा भाति तुलावृत्तिरिवोत्तमा ॥
gurau namrā laghuny uccā same samatayānvitā ।sādhu-vṛttis tathā bhāti tulā-vṛttir ivottamā ॥
🔍 शब्दार्थ एवं व्याकरण:
पद | अर्थ | व्याकरणिक रूप |
---|---|---|
गुरौ | गुरु में, बड़े के प्रति | सप्तमी एकवचन |
नम्रा | विनम्र | विशेषण |
लघुनि | छोटे के प्रति | सप्तमी |
उच्चा | ऊँचा, श्रेष्ठ | विशेषण |
समे | सम के प्रति, समान स्थिति वाले | सप्तमी |
समतया अन्विता | समभाव से युक्त | समास |
साधु-वृत्तिः | सज्जन का आचरण | स्त्रीलिंग, प्रथमा |
तुला-वृत्तिः | तराजू जैसी स्थिति | उपमा |
उत्तमा | उत्तम | विशेषण |
🌿 भावार्थ:
सज्जन का आचरण ऐसा होता है —
बड़ों के प्रति विनम्र,
छोटों के प्रति उन्नत एवं सम्मानजनक,
और समान जनों के प्रति समभाव युक्त।
यह आचरण तराजू के समान उत्तम होता है — जो सबको उनके योग्य मापता है।
🌗 तुलावृत्तिः (तराजू जैसा व्यवहार):
तराजू का व्यवहार कैसा होता है?
- दायें ज्यादा भार हो → बायां झुकता है
- बायें ज्यादा हो → दायां ऊपर उठता है
- दोनों समान → संतुलन में रहता है
➤ सज्जन व्यक्ति भी वैसे ही – हर परिस्थिति के अनुसार संतुलित व्यवहार करता है।
📘 नैतिक शिक्षा / जीवन-प्रयोग:
संबंध | सज्जन का व्यवहार |
---|---|
गुरु / बड़े / श्रेष्ठजन | नम्रता से |
बालक / कनिष्ठ / सामान्यजन | सम्मान और प्रेम से |
समान स्तर वालों से | समभाव और मित्रता से |
👉 यही व्यवहार सच्चे सामाजिक संतुलन की नींव है।
🌟 आधुनिक सन्दर्भ:
आज के समय में अक्सर —
- छोटे को तुच्छ समझा जाता है,
- समान को प्रतिस्पर्धी,
- और बड़ों को चुनौती दी जाती है।
❗ इस श्लोक की सीख विनम्रता + विवेक + समता का मार्ग दिखाती है।
🕯️ दृष्टांत:
🔸 "एक दीपक स्वयं नीचे रहता है, लेकिन प्रकाश सबके ऊपर देता है।"
🔸 "एक तराजू में स्वयं झुकना पड़ता है, ताकि न्याय हो सके।"
➤ सज्जन का आचरण भी ऐसा ही होता है — विनम्र, न्यायप्रिय, और सन्तुलित।
📜 अन्य सन्दर्भ श्लोक:
"विद्या विनयेन शोभते" — ज्ञान तभी शोभता है जब उसमें विनम्रता हो।"अहिंसा, समता, क्षमा — सज्जनस्य लक्षणम्"
🕊️ मनन योग्य वाक्य:
"विनम्रता वह पुल है जो सभी संबंधों को जोड़ती है।""समानता की भावना से ही समाज में सच्चा संतुलन आता है।"
🙏 निष्कर्ष:
सज्जनता का व्यवहार –
- न तो झुकने में हीनता है,
- न उन्नति में अहंकार,
- न समता में प्रतिस्पर्धा।
बल्कि यह तराजू जैसी नीति है —
जो न्यायपूर्वक, विवेकपूर्वक, और प्रेमपूर्वक संतुलन स्थापित करती है।
🌼 आपका दिन शुभ, संतुलित और सद्वृत्तिपूर्ण हो।
जय श्रीराम 🙏 सुप्रभातम् 🌞