यहाँ पर दिए गए शास्त्रीय प्रमाणों, वास्तुशास्त्र, और पुराण सम्मत वृक्ष रोपण विषयक निर्देशों को अत्यंत व्यवस्थित, विस्तृत और प्रभावशाली रूप में प्रस्तुत किया गया है, जिसे घर के निर्माण-वास्तु नियोजन में उपयोग कर सकते हैं।
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निषिद्ध वृक्ष — घर के लिए अशुभ क्यों? एक शास्त्रीय, वास्तुवैज्ञानिक एवं आध्यात्मिक विवेचन |
निषिद्ध वृक्ष — घर के लिए अशुभ क्यों?
एक शास्त्रीय, वास्तुवैज्ञानिक एवं आध्यात्मिक विवेचन
🔷 1. शास्त्रसम्मत निषेध: केले के वृक्ष का घर में रोपण क्यों वर्जित है?
📌 श्लोक 1: समरांगण सूत्रधार (अध्याय 38, श्लोक 131)
बदरी कदली चैव दाडिमी बीजपूरिका।प्ररोहन्ति गृहे यत्र तद्गृहं न प्ररोहति॥
🔹 भावार्थ:
जिस घर में बेर, केला, अनार तथा नींबू के पौधे उगते हैं, वह घर समृद्ध नहीं होता, उसकी प्रगति रुक जाती है।
📌 श्लोक 2: बृहद्दैवज्ञ (87/9)
अश्वत्थं च कदम्बं च कदलीबीजपूरकम्।गृहे यस्य प्ररोहन्ति स गृही न प्ररोहति॥
🔹 भावार्थ:
जिस व्यक्ति के घर में पीपल, कदम्ब, केला और नींबू जैसे वृक्ष उगते हैं, उसकी वंशवृद्धि और पारिवारिक उन्नति नहीं होती।
📌 श्लोक 3: वास्तुसौख्यम् (39)
मालतीं मल्लिकां मोचां चिञ्चां श्वेतां पराजिताम्।वास्तुन्यां रोपयेद्यस्तु स शस्त्रेण निहन्यते॥
🔹 भावार्थ:
मालती, मल्लिका, मोचा (केला/कपास), इमली, विष्णुक्रांता और अपराजिता – यदि कोई व्यक्ति इन्हें अपने भवन या वास्तुभूमि पर लगाता है, तो उसे गंभीर कष्ट (शस्त्र या मृत्युदंड) भुगतना पड़ता है।
❌ 2. निषिद्ध वृक्षों का विवरण और उनके दुष्प्रभाव
📌 बृहत्संहिता (53/86)
आसन्ना: कण्टकिनो रिपुभयदाः क्षीरिणोऽर्थनाशाय।फलिनः प्रजाक्षयकरा दारूण्यपि वर्जयेत्।
🔹 व्याख्या:
- कांटेदार वृक्ष – शत्रु से भय उत्पन्न करते हैं (जैसे कीकर, बबूल)
- दूध वाले वृक्ष – धन की हानि करते हैं (जैसे आक, मदार)
- फलवाले वृक्ष – संतान की हानि करते हैं (जैसे केला, नींबू, अनार)
✳️ इन वृक्षों की लकड़ी भी घर में नहीं रखनी चाहिए।
🛑 3. अशुभ माने गए वृक्षों की सूची
वृक्ष का नाम | कारण |
---|---|
पीपल | मृत्यु-दायक, भवन पर छाया अशुभ |
केले का वृक्ष | वंश वृद्धि व धन में बाधक |
नींबू | गृहकलह, संतान बाधा |
बेर | अपवित्रता और दरिद्रता |
कदम्ब | सुख-नाशक |
इमली | रोग, क्रूरता |
आक, मदार | तंत्र-बाधा, विषक्रिया |
निर्गुंडी | अशुभ ग्रह-प्रभाव |
आम | दक्षिण दिशा में हानिप्रद |
गूलर, पाकर | दक्षिण और पश्चिम दिशा में मृत्युकारक |
✅ 4. शुभ वृक्षों की सूची – जिन्हें घर के पास लगाना चाहिए
वृक्ष का नाम | लाभ |
---|---|
अशोक | कलह-निवारक, स्त्रियों के लिए शुभ |
शमी | पाप-क्षय, धन वृद्धि, यशदायक |
मौलसिरी (बकुल) | मानसिक शांति |
नारियल | लक्ष्मी प्रिय, गृह-संपन्नता |
अर्जुन | आरोग्यकारक |
अड़हुल | देवी पूजन हेतु |
केतकी | समृद्धि-सूचक |
चंपा, चमेली | वातावरण सुगंधित और सौम्य |
बेल | शिवप्रिय, पापनाशक |
आँवला | स्वास्थ्यवर्धक, पुण्यदायक |
🧭 5. दिशाओं के अनुसार वृक्षों का प्रभाव
दिशा | शुभ वृक्ष | अशुभ वृक्ष |
---|---|---|
पूर्व | बरगद | पीपल |
आग्नेय | अनार | वट, गूलर |
दक्षिण | गूलर | आम, पाकर |
नैऋत्य | इमली | — |
दक्षिण नैऋत्य | जामुन, कदम्ब | — |
पश्चिम | पीपल | वट, आम |
वायव्य | बेल | — |
उत्तर | पाकर | गूलर |
ईशान | आँवला | — |
ईशान-पूर्व | कटहल, आम | — |
🌿 6. तुलसी का स्थान और महिमा
📜 ब्रह्मवैवर्तपुराण (कृष्णजन्म खंड 103/62)
प्रात:काल तुलसी दर्शन — सुवर्ण दान के समान पुण्यदायक।
📌 भविष्यपुराण (म० 1)
दक्षिण दिशा में तुलसी का रोपण – यम यातना का कारण।
✅ शुभ दिशा: उत्तर, उत्तर-पूर्व (ईशान), पूर्व
❌ वर्जित दिशा: दक्षिण
🌱 7. गृहवाटिका (Garden) का दिशा अनुसार विचार
दिशा | परिणाम |
---|---|
उत्तर, पूर्व, पश्चिम, ईशान | शुभ – यश, धन, गायत्री अनुग्रह |
आग्नेय, दक्षिण, नैऋत्य, वायव्य | अशुभ – पुत्र हानि, पाप, दारिद्र्य, मृत्यु |
✳️ वास्तु के अनुसार घर के उत्तर/पूर्व में खुलापन और हरियाली श्रेष्ठ मानी जाती है।
⚠️ 8. वृक्षों की छाया से भी होते हैं दोष
- दोपहर के बाद किसी वृक्ष या मंदिर की छाया घर पर पड़ना – रोग, मानसिक तनाव और कष्टों का कारण बनता है।
- यदि कोई निषिद्ध वृक्ष घर की ऊँचाई से अधिक दूरी पर हो, तो दोष नहीं माना जाता।
🛠️ 9. समाधान
- यदि आपके घर के समीप अशुभ वृक्ष हैं:
- उन्हें हटाएं (यदि संभव हो)
- अथवा उनके निकट शुभ वृक्ष जैसे – अशोक, बेल, नारियल आदि लगाएं।
- पीपल, तुलसी, वट जैसे पूजनीय वृक्षों की सेवा-पूजा करते रहें।
- केले का पेड़ यदि घर में हो, तो उसे हटा देना उचित होगा। यदि यह संभव न हो, तो प्रत्येक गुरुवार को केले के वृक्ष की पूजा करें, विशेषकर देवी लक्ष्मी को अर्पित करें।
🔚 निष्कर्ष
शास्त्रों, वास्तुशास्त्र और पुराणों के अनुसार —
👉 केले का वृक्ष, नींबू, बेर, पीपल, अनार आदि वृक्ष घर में या घर के समीप रोपण के लिए वर्जित माने गए हैं, क्योंकि ये वंशवृद्धि, धन, स्वास्थ्य और सुख-शांति के लिए बाधक सिद्ध होते हैं।
🙏 प्राचीन शास्त्र केवल अंधश्रद्धा नहीं, अपितु अनुभवसिद्ध विज्ञान हैं। जब हम उनके निर्देशों के अनुसार चलेंगे, तभी जीवन में संतुलन, समृद्धि और शांति संभव होगी।