योगमाया की भविष्यवाणी और Kakasure Vadh | Shri Krishna Childhood Leela Story in Hindi
🌸 योगमाया की भविष्यवाणी और काकासुर का अंत 🌸
१. कंस का भय और देवकी की विनती
देवकी हाथ जोड़कर प्रार्थना करती रही, किंतु कंस के पत्थर जैसे हृदय पर कोई असर न हुआ। उसने निर्दयतापूर्वक कन्या को देवकी की गोद से छीन लिया।
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योगमाया की भविष्यवाणी और Kakasure Vadh | Shri Krishna Childhood Leela Story in Hindi |
२. योगमाया का दिव्य रूप और भविष्यवाणी
कंस ने जैसे ही उस कन्या को चट्टान पर पटकने का प्रयास किया, वह उसके हाथ से छूटकर आकाश में जा पहुँची और योगमाया देवी के रूप में प्रकट हुई।
आकाशवाणी गूँज उठी, देवगणों ने स्तुति की और अप्सराएँ पुष्प-वृष्टि करने लगीं। देवी ने कंस से कहा—
“अरे मूर्ख! मुझे मारकर तुझे क्या मिलेगा? तेरा संहारक कहीं और जन्म ले चुका है। तू अब निर्दोष शिशुओं की हत्या मत कर। व्यर्थ में पाप का भागी मत बन।”
ऐसा कहकर योगमाया देवी अंतर्धान हो गईं और विंध्याचल में जाकर विन्ध्येश्वरी के रूप में प्रसिद्ध हुईं।
३. कंस और उसके दुष्ट मंत्री
कंस का भय और भी बढ़ गया। उसने दूसरे दिन दरबार में अपने दैत्य मंत्रियों को बुलाकर योगमाया की सारी बातें बताईं।
कंस वैसे ही क्रूर था, मंत्रियों की यह दुष्ट सलाह उसे भा गई। उसने आदेश दिया और दैत्य पूरे प्रदेश में निर्दोष शिशुओं की हत्या करने लगे।
४. पूतना का वध
गोकुल में भी उत्पात होने लगा। अभी छठी के दिन भगवान श्रीकृष्ण का जातकर्म-संस्कार हुआ ही था कि कंस ने पूतना नामक राक्षसी को भेजा।
वह सुंदर गोपी का रूप धारण कर नंदबाबा के घर पहुँची। ममतामयी दिखने वाली उस स्त्री को देखकर किसी को संदेह न हुआ। उसने श्रीकृष्ण को गोद में उठा लिया और विष से भरे स्तनों से दूध पिलाने लगी।
परंतु श्रीकृष्ण कोई साधारण बालक नहीं थे। उन्होंने दूध के साथ उसके प्राण भी चूस लिए। पूतना अपने असली विकराल रूप में प्रकट होकर यमलोक गमन कर गई।
५. काकासुर का अंत
नन्हें-से श्रीकृष्ण पालने में लेटे खेल रहे थे। काकासुर ने पहले अपने विकराल पंख फड़फड़ाकर उन्हें डराने का प्रयास किया, परंतु कृष्ण केवल मुस्कुराते रहे। यह देखकर वह क्रोध से झपटा और बालकृष्ण को मारने का प्रयत्न करने लगा।
तभी बालकृष्ण ने अपने बाएँ हाथ से उसका गला कसकर पकड़ लिया। दैत्य छटपटाने लगा, किंतु श्रीकृष्ण ने उसे घुमाकर इतनी जोर से फेंका कि वह सीधा कंस के सभा-मंडप में जा गिरा।