महाभारत के 35 प्राचीन नगर – Ancient Cities and Their Modern Locations
भारत देश महाभारतकाल में कई बड़े जनपदों में बंटा हुआ था। हम महाभारत में वर्णित जिन 35 राज्यों और शहरों के बारे में जिक्र करने जा रहे हैं, वे आज भी मौजूद हैं। आप भी देखिए।
1. गांधार
आज के कंधार को कभी गांधार के रूप में जाना जाता था। यह देश पाकिस्तान के रावलपिन्डी से लेकर सुदूर अफगानिस्तान तक फैला हुआ था। धृतराष्ट्र की पत्नी गांधारी वहां के राजा सुबल की पुत्री थीं। गांधारी के भाई शकुनी दुर्योधन के मामा थे।
2. तक्षशिला
तक्षशिला गांधार देश की राजधानी थी। इसे वर्तमान में रावलपिन्डी कहा जाता है। तक्षशिला को ज्ञान और शिक्षा की नगरी भी कहा गया है।
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महाभारत के 35 प्राचीन नगर – Ancient Cities and Their Modern Locations |
3. केकय प्रदेश
जम्मू-कश्मीर के उत्तरी इलाके का उल्लेख महाभारत में केकय प्रदेश के रूप में है। केकय प्रदेश के राजा जयसेन का विवाह वसुदेव की बहन राधादेवी के साथ हुआ था। उनका पुत्र विन्द जरासंध, दुर्योधन का मित्र था। महाभारत के युद्ध में विन्द ने कौरवों का साथ दिया था।
4. मद्र देश
केकय प्रदेश से ही सटा हुआ मद्र देश का आशय जम्मू-कश्मीर से ही है। एतरेय ब्राह्मण के मुताबिक, हिमालय के नजदीक होने की वजह से मद्र देश को उत्तर कुरू भी कहा जाता था। महाभारत काल में मद्र देश के राजा शल्य थे, जिनकी बहन माद्री का विवाह राजा पाण्डु से हुआ था। नकुल और सहदेव माद्री के पुत्र थे।
5. उज्जनक
आज के नैनीताल का जिक्र महाभारत में उज्जनक के रूप में किया गया है। गुरु द्रोणचार्य यहां पांडवों और कौरवों की अस्त्र-शस्त्र की शिक्षा देते थे। कुन्ती पुत्र भीम ने गुरु द्रोण के आदेश पर यहां एक शिवलिंग की स्थापना की थी। यही वजह है कि इस क्षेत्र को भीमशंकर के नाम से भी जाना जाता है। यहां भगवान शिव का एक विशाल मंदिर है। कुछ विशेषज्ञ मानते हैं कि यह शिवलिंग 12 ज्योर्तिलिंगों में से एक है।
6. शिवि देश
महाभारत काल में दक्षिण पंजाब को शिवि देश कहा जाता था। महाभारत में महाराज उशीनर का जिक्र है, जिनके पौत्र शैव्य थे। शैव्य की पुत्री देविका का विवाह युधिष्ठिर से हुआ था। शैव्य एक महान धनुर्धारी थे और उन्होंने कुरुक्षेत्र के युद्ध में पांडवों का साथ दिया था।
7. वाणगंगा
कुरुक्षेत्र से करीब तीन किलोमीटर की दूरी पर स्थित है वाणगंगा। कहा जाता है कि महाभारत की भीषण लड़ाई में घायल पितामह भीष्म को यहां सर-सैय्या पर लिटाया गया था। कथा के मुताबिक, भीष्ण ने प्यास लगने पर जब पानी की मांग की तो अर्जुन ने अपने वाणों से धरती पर प्रहार किया और गंगा की धारा फूट पड़ी। यही वजह है कि इस स्थान को वाणगंगा कहा जाता है।
8. कुरुक्षेत्र
हरियाणा के अम्बाला इलाके को कुरुक्षेत्र के नाम से भी जाना जाता है। यहां महाभारत की प्रसिद्ध लड़ाई हुई थी। यही नहीं, आदिकाल में ब्रह्माजी ने यहां यज्ञ का आयोजन किया था। इस स्थान पर एक ब्रह्म सरोवर या ब्रह्मकुंड भी है। श्रीमद् भागवत में लिखा हुआ है कि महाभारत के युद्ध से पहले भगवान श्रीकृष्ण ने यदुवंश के अन्य सदस्यों के साथ इस सरोवर में स्नान किया था।
9. हस्तिनापुर
महाभारत में उल्लिखित हस्तिनापुर का इलाका मेरठ के आसपास है। यह स्थान चन्द्रवंशी राजाओं की राजधानी थी। सही मायने में महाभारत युद्ध की पटकथा यहीं लिखी गई थी। महाभारत युद्ध के बाद पांडवों ने हस्तिनापुर को अपने राज्य की राजधानी बनाया।
10. वर्नावत
यह स्थान भी उत्तर प्रदेश के मेरठ के नजदीक ही माना जाता है। वर्णावत में पांडवों को छल से मारने के लिए दुर्योधन ने लाक्षागृह का निर्माण करवाया था। यह स्थान गंगा नदी के किनारे है। महाभारत की कथा के मुताबिक, इस ऐतिहासिक युद्ध को टालने के लिए पांडवों ने जिन पांच गांवों की मांग रखी थी, उनमें एक वर्णावत भी था। आज भी यहां एक छोटा सा गांव है, जिसका नाम वर्णावा है।
11. पांचाल प्रदेश
हिमालय की तराई का इलाका पांचाल प्रदेश के रूप में उल्लिखित है। पांचाल के राजा द्रुपद थे, जिनकी पुत्री द्रौपदी का विवाह अर्जुन के साथ हुआ था। द्रौपदी को पांचाली के नाम से भी जाना जाता है।
12. इन्द्रप्रस्थ
मौजूदा समय में दक्षिण दिल्ली के इस इलाके का वर्णन महाभारत में इन्द्रप्रस्थ के रूप में है। कथा के मुताबिक, इस स्थान पर एक वियावान जंगल था, जिसका नाम खांडव-वन था। पांडवों ने विश्वकर्मा की मदद से यहां अपनी राजधानी बनाई थी। इन्द्रप्रस्थ नामक छोटा सा कस्बा आज भी मौजूद है।
13. वृन्दावन
यह स्थान मथुरा से करीब 10 किलोमीटर दूर है। वृन्दावन को भगवान कृष्ण की बाल-लीलाओं के लिए जाना जाता है। यहां का बांके-बिहारी मंदिर प्रसिद्ध है।
14. गोकुल
यमुना नदी के किनारे बसा हुआ यह स्थान भी मथुरा से करीब 8 किलोमीटर दूर है। कंस से रक्षा के लिए कृष्ण के पिता वसुदेव ने उन्हें अपने मित्र नंदराय के घर गोकुल में छोड़ दिया था। कृष्ण और उनके बड़े भाई बलराम गोकुल में साथ-साथ पले-बढ़े थे।
15. बरसाना
यह स्थान भी उत्तर प्रदेश में है। यहां की चार पहाड़ियां के बारे में कहा जाता है कि ये ब्रह्मा के चार मुख हैं।
16. मथुरा
यमुना नदी के किनारे बसा हुआ यह प्रसिद्ध शहर हिन्दू धर्म के लिए अनुयायियों के लिए बेहद प्रसिद्ध है। यहां राजा कंस के कारागार में भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। यहीं पर श्रीकृष्ण ने बाद में कंस की हत्या की थी। बाद में कृष्ण के पौत्र वृजनाथ को मथुरा की राजगद्दी दी गई।
17. अंग देश
वर्तमान में उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले के इलाके का उल्लेख महाभारत में अंगदेश के रूप में है। दुर्योधन ने कर्ण को इस देश का राजा घोषित किया था। मान्यताओं के मुताबिक, जरासंध ने अंग देश दुर्योधन को उपहारस्वरूप भेंट किया था। इस स्थान को शक्तिपीठ के रूप में भी जाना जाता है।
18. कौशाम्बी
कौशाम्बी वत्स देश की राजधानी थी। वर्तमान में इलाहाबाद के नजदीक इस नगर के लोगों ने महाभारत के युद्ध में कौरवों का साथ दिया था। बाद में कुरुवंशियों ने कौशाम्बी पर अपना अधिकार कर लिया। परीक्षित के पुत्र जनमेजय ने कौशाम्बी को अपनी राजधानी बनाया।
19. काशी
महाभारत काल में काशी को शिक्षा का गढ़ माना जाता था। महाभारत की कथा के मुताबिक, पितामह भीष्म काशी नरेश की पुत्रियों अम्बा, अम्बिका और अम्बालिका को जीत कर ले गए थे ताकि उनका विवाह विचित्रवीर्य से कर सकें। अम्बा के प्रेम संबंध राजा शल्य के साथ थे, इसलिए उसने विचित्रवीर्य से विवाह से इन्कार कर दिया। अम्बिका और अम्बालिका का विवाह विचित्रवीर्य के साथ कर दिया गया। विचित्रवीर्य के अम्बा और अम्बालिका से दो पुत्र धृतराष्ट्र और पान्डु हुए। बाद में धृतराष्ट्र के पुत्र कौरव कहलाए और पान्डु के पांडव।
20. एकचक्रनगरी
वर्तमान कालखंड में बिहार का आरा जिला महाभारत काल में एकचक्रनगरी के रूप में जाना जाता था। लाक्षागृह की साजिश से बचने के बाद पांडव काफी समय तक एकचक्रनगरी में रहे थे। इस स्थान पर भीम ने बकासुर नामक एक राक्षक का अन्त किया था। महाभारत युद्ध के बाद जब युधिष्ठिर ने अश्वमेध यज्ञ किया था, उस समय बकासुर के पुत्र भीषक ने उनका घोड़ा पकड कर रख लिया था। बाद में वह अर्जुन के हाथों मारा गया।
21. मगध
दक्षिण बिहार में मौजूद मगध जरासंध की राजधानी थी। जरासंध की दो पुत्रियां अस्ती और प्राप्ति का विवाह कंस से हुआ था। जब भगवान श्रीकृष्ण ने कंस का वध किया, तब वह अनायास ही जरासंध के दुश्मन बन बैठे। जरासंध ने मथुरा पर कई बार हमला किया। बाद में एक मल्लयुद्ध के दौरान भीम ने जरासंध का अंत किया। महाभारत के युद्ध में मगध की जनता ने पांडवों का समर्थन किया था।
22. पुन्डरू देश
मौजूदा समय में बिहार के इस स्थान पर राजा पोन्ड्रक का राज था। पोन्ड्रक जरासंध का मित्र था और उसे लगता था कि वह कृष्ण है। उसने न केवल कृष्ण का वेश धारण किया था, बल्कि उसे वासुदेव और पुरुषोत्तम कहलवाना पसन्द था। द्रौपदी के स्वयंवर में वह भी मौजूद था। कृष्ण से उसकी दुश्मनी जगजाहिर थी। द्वारका पर एक हमले के दौरान वह भगवान श्रीकृष्ण के हाथों मारा गया।
23. प्रागज्योतिषपुर
गुवाहाटी का उल्लेख महाभारत में प्रागज्योतिषपुर के रूप में किया गया है। महाभारत काल में यहां नरकासुर का राज था, जिसने 16 हजार लड़कियों को बन्दी बना रखा था। बाद में श्रीकृष्ण ने नरकासुर का वध किया और सभी 16 हजार लड़कियों को वहां से छुड़ाकर द्वारका लाए। उन्होंने सभी से विवाह किया। मान्यता है कि यहां के प्रसिद्ध कामख्या देवी मंदिर को नरकासुर ने बनवाया था।
24. कामख्या
गुवाहाटी से करीब 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित कामख्या एक प्रसिद्ध शक्तिपीठ है। भागवत पुराण के मुताबिक, जब भगवान शिव सती के मृत शरीर को लेकर बदहवाश इधर-उधर भाग रहे थे, तभी भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से सती के मृत शरीर के कई टुकड़े कर दिए। इसका आशय यह था कि भगवान शिव को सती के मृत शरीर के भार से मुक्ति मिल जाए। सती के अंगों के 51 टुकड़े जगह-जगह गिरे और बाद में ये स्थान शक्तिपीठ बने। कामख्या भी उन्हीं शक्तिपीठों में से एक है।
25. मणिपुर
नगालैन्ड, असम, मिजोरम और वर्मा से घिरा हुआ मणिपुर महाभारत काल से भी पुराना है। मणिपुर के राजा चित्रवाहन की पुत्री चित्रांगदा का विवाह अर्जुन के साथ हुआ था। इस विवाह से एक पुत्र का जन्म हुआ, जिसका नाम था बभ्रुवाहन। राजा चित्रवाहन की मृत्यु के बाद बभ्रुवाहन को यहां का राजपाट दिया गया। बभ्रुवाहन ने युधिष्ठिर द्वारा आयोजित किए गए राजसूय यज्ञ में भाग लिया था।
26. सिन्धु देश
सिन्धु देश का तात्पर्य प्राचीन सिन्धु सभ्यता से है। यह स्थान न केवल अपनी कला और साहित्य के लिए विख्यात था, बल्कि वाणिज्य और व्यापार में भी यह अग्रणी था। यहां के राजा जयद्रथ का विवाह धृतराष्ट्र की पुत्री दुःश्शाला के साथ हुआ था। महाभारत के युद्ध में जयद्रथ ने कौरवों का साथ दिया था और चक्रव्युह के दौरान अभिमन्यू की मौत में उसकी बड़ी भूमिका थी।
27. मत्स्य देश
राजस्थान के उत्तरी इलाके का उल्लेख महाभारत में मत्स्य देश के रूप में है। इसकी राजधानी थी विराटनगरी। अज्ञातवास के दौरान पांडव वेश बदल कर राजा विराट के सेवक बन कर रहे थे। यहां राजा विराट के सेनापति और साले कीचक ने द्रौपदी पर बुरी नजर डाली थी। बाद में भीम ने उसकी हत्या कर दी। अर्जुन के पुत्र अभिमन्यू का विवाह राजा विराट की पुत्री उत्तरा के साथ हुआ था।
28. मुचकुन्द तीर्थ
यह स्थान धौलपुर, राजस्थान में है। मथुरा पर जीत हासिल करने के बाद कालयावन ने भगवान श्रीकृष्ण का पीछा किया तो उन्होंने खुद को एक गुफा में छुपा लिया। उस गुफा में मुचकुन्द सो रहे थे, उन पर कृष्ण ने अपना पीताम्बर डाल दिया। कृष्ण का पीछा करते हुए कालयावन भी उसी गुफा में आ पहुंचा। मुचकुन्द को कृष्ण समझकर उसने उन्हें जगा दिया। जैसे ही मुचकुन्द ने आंख खोला तो कालयावन जलकर भस्म हो गया। मान्यताओं के मुताबिक, महाभारत युद्ध की समाप्ति के बाद जब पांडव हिमालय की तरफ चले गए और कृष्ण गोलोक निवासी हो गए, तब कलयुग ने पहली बार यहां अपने पग रखे थे।
29. पाटन
महाभारत की कथा के मुताबिक, गुजरात का पाटन द्वापर युग में एक प्रमुख वाणिज्यिक केन्द्र था। पाटन के नजदीक ही भीम ने हिडिम्ब नामक राक्षस का संहार किया था और उसकी बहन हिडिम्बा से विवाह किया। हिडिम्बा ने बाद में एक पुत्र को जन्म दिया, जिसका नाम था घटोत्कच्छ। घटोत्कच्छ और उनके पुत्र बर्बरीक की कहानी महाभारत में विस्तार से दी गई है।
30. द्वारका
माना जाता है कि गुजरात के पश्चिमी तट पर स्थित यह स्थान कालान्तर में समुन्दर में समा गया। कथाओं के मुताबिक, जरासंध के बार-बार के हमलों से यदुवंशियों को बचाने के लिए कृष्ण मथुरा से अपनी राजधानी स्थानांतरित कर द्वारका ले गए।
31. प्रभास
गुजरात के पश्चिमी तट पर स्थित इस स्थान के बारे में कहा जाता है कि यह स्थान भगवान श्रीकृष्ण का निवास-स्थान रहा है। महाभारत कथा के मुताबिक, यहां भगवान श्रीकृष्ण पैर के अंगूठे में तीर लगने की वजह से घायल हो गए थे। उनके गोलोकवासी होने के बाद द्वारका नगरी समुन्दर में डूब गई। विशेषज्ञ मानते हैं कि समुन्दर के सतह पर द्वारका नगरी के अवेशष मिले हैं।
32. अवन्तिका
मध्यप्रदेश के उज्जैन का उल्लेख महाभारत में अवन्तिका के रूप में मिलता है। यहां ऋषि सांदपनी का आश्रम था। अवन्तिका को देश के सात प्रमुख पवित्र नगरों में एक माना जाता है। यहां भगवान शिव के 12 ज्योर्तिलिंगों में एक महाकाल लिंग स्थापित है।
33. चेदी
वर्तमान में ग्वालियर क्षेत्र को महाभारत काल में चेदी देश के रूप में जाना जाता था। गंगा व नर्मदा के मध्य स्थित चेदी महाभारत काल के संपन्न नगरों में एक था। इस राज्य पर श्रीकृष्ण के फुफेरे भाई शिशुपाल का राज था। शिशुपाल रुक्मिणी से विवाह करना चाहता था, लेकिन श्रीकृष्ण ने रुक्मिणी का अपहरण कर उनसे विवाह रचा लिया।
इस घटना की वजह से शिशुपाल और श्रीकृष्ण के बीच संबंध खराब हो गए। युधिष्ठिर के राजसूय यज्ञ के समय चेदी नरेश शिशुपाल को भी आमंत्रित किया गया था। शिशुपाल ने यहां कृष्ण को बुरा-भला कहा, तो कृष्ण ने सुदर्शन चक्र से उसका गला काट दिया। महाभरत की कथा के मुताबिक, दुश्मनी की बात सामने आने पर श्रीकृष्ण की बुआ उनसे शिशुपाल को अभयदान देने की गुजारिश की थी। इस पर श्रीकृष्ण ने बुआ से कहा था कि वह शिशुपाल के 100 अपराधों को माफ कर दें, लेकिन 101वीं गलती पर माफ नहीं करेंगे।
34. सोणितपुर
मध्यप्रदेश के इटारसी को महाभारत काल में सोणितपुर के नाम से जाना जाता था। सोणितपुर पर वाणासुर का राज था। वाणासुर की पुत्री उषा का विवाह भगवान श्रीकृष्ण के पौत्र अनिरुद्ध के साथ सम्पन्न हुआ था। यह स्थान हिन्दुओं के लिए एक पवित्र तीर्थ है।
35. विदर्भ
महाभारतकाल में विदर्भ क्षेत्र पर जरासंध के मित्र राजा भीष्मक का शासन था। रुक्मिणी भीष्मक की पुत्री थीं। भगवान श्रीकृष्ण ने रुक्मिणी का अपहरण कर उनसे विवाह रचाया था। यही वजह थी कि भीष्मक उन्हें अपना शत्रु मानने लगे। जब पांडवों ने अश्वमेध यज्ञ किया था, तब भीष्मक ने उनका घोड़ा रोक लिया था। सहदेव ने भीष्मक को युद्ध में हरा दिया।
📜 महाभारत के ३५ नगर-प्रदेश : संक्षिप्त सारणी
क्रम | महाभारतकालीन नाम | वर्तमान स्थान | प्रमुख घटना / महत्व |
---|---|---|---|
1 | गांधार | कंधार (अफगानिस्तान–पाकिस्तान) | गांधारी व शकुनि का राज्य |
2 | तक्षशिला | रावलपिंडी (पाकिस्तान) | शिक्षा का केंद्र, विश्वविख्यात विश्वविद्यालय |
3 | केकय | जम्मू-कश्मीर | कृष्ण के पिता वसुदेव की पत्नी का मायका |
4 | मद्र | जम्मू क्षेत्र | राजा शल्य, नकुल-सहदेव के मामा |
5 | उज्जनक | नैनीताल (उत्तराखंड) | द्रोणाचार्य का शिक्षा-स्थान |
6 | शिवि | दक्षिण पंजाब | युधिष्ठिर की पत्नी देविका का मायका |
7 | वाणगंगा | कुरुक्षेत्र (हरियाणा) | भीष्म की शरशय्या, अर्जुन द्वारा जलदान |
8 | कुरुक्षेत्र | हरियाणा | महाभारत युद्धभूमि, गीता उपदेश |
9 | हस्तिनापुर | मेरठ (उत्तर प्रदेश) | कुरुवंश की राजधानी |
10 | वर्णावत | मेरठ (उत्तर प्रदेश) | लाक्षागृह (लाक्षागृह-दहन प्रकरण) |
11 | पांचाल | बदायूँ-कानपुर-बरेली क्षेत्र | द्रुपद व द्रौपदी का राज्य |
12 | इन्द्रप्रस्थ | दिल्ली | पांडवों द्वारा बसाई राजधानी |
13 | वृन्दावन | मथुरा (उ.प्र.) | कृष्ण की बाल-लीलाएँ |
14 | गोकुल | मथुरा (उ.प्र.) | कृष्ण का पालन-पोषण |
15 | बरसाना | मथुरा (उ.प्र.) | राधारानी का जन्मस्थान |
16 | मथुरा | उत्तर प्रदेश | कृष्ण का जन्म व कंसवध |
17 | अंग | भागलपुर (बिहार) | कर्ण का राज्य |
18 | कौशाम्बी | प्रयागराज (उ.प्र.) | वत्स देश की राजधानी |
19 | काशी | वाराणसी | शिक्षा केंद्र, भीष्म द्वारा कन्याओं का हरण |
20 | एकचक्रा | आरा (बिहार) | भीम ने बकासुर का वध किया |
21 | मगध | गया-पटना (बिहार) | जरासंध का राज्य |
22 | पुन्ड्र | बंगाल-बिहार क्षेत्र | पौण्ड्रक वासुदेव का राज्य |
23 | प्रागज्योतिषपुर | गुवाहाटी (असम) | नरकासुर का राज्य |
24 | कामख्या | गुवाहाटी (असम) | शक्तिपीठ, सती का अंग |
25 | मणिपुर | मणिपुर राज्य | अर्जुन-चित्रांगदा विवाह, बभ्रुवाहन |
26 | सिन्धु | सिन्ध (पाकिस्तान) | जयद्रथ का राज्य |
27 | मत्स्य | अलवर-जयपुर (राजस्थान) | राजा विराट, पांडवों का अज्ञातवास |
28 | मुचकुन्द | धौलपुर (राजस्थान) | कालयावन वध, कलियुग आरंभ |
29 | पाटन | गुजरात | भीम-हिडिम्बा विवाह, घटोत्कच्छ का जन्म |
30 | द्वारका | गुजरात | कृष्ण की राजधानी, समुद्र में डूबी नगरी |
31 | प्रभास क्षेत्र | गुजरात | श्रीकृष्ण का स्वर्गारोहण स्थल |
32 | अवन्तिका | उज्जैन (मध्यप्रदेश) | कृष्ण-बलराम की शिक्षा, महाकालेश्वर |
33 | चेदी | ग्वालियर (म.प्र.) | शिशुपाल का राज्य |
34 | सोणितपुर | असम/म.प्र. संदर्भ | बाणासुर का राज्य, उषा-अनिरुद्ध विवाह |
35 | विदर्भ | नागपुर (महाराष्ट्र) | रुक्मिणी का मायका, विवाह कृष्ण से |
🏹 महाभारत के 35 नगर – Mahabharata Ancient Cities with Modern Locations Map
🗺️ महाभारत के नगर और उनके आधुनिक स्थान
🔹 अफगानिस्तान और पाकिस्तान के नगर
- गांधार (Kandahar, Afghanistan) – राजा शकुनि का राज्य।
- तक्षशिला (Taxila, Pakistan) – प्राचीन शिक्षा का प्रसिद्ध केंद्र।
- सिंधु (Sindh, Pakistan) – सिंधु नदी के किनारे का प्रदेश।
🔹 उत्तर भारत (Delhi, Haryana, Uttar Pradesh, Bihar)
- इन्द्रप्रस्थ (Delhi) – पांडवों की राजधानी।
- कुरुक्षेत्र (Haryana) – महाभारत युद्ध का स्थल।
- हस्तिनापुर (Uttar Pradesh) – कौरवों की राजधानी।
- मथुरा, वृन्दावन, गोवर्धन, गोकुल, बरसाना (UP) – श्रीकृष्ण का क्षेत्र।
- कौशाम्बी (UP) – प्राचीन नगर, पांडवों से जुड़ा।
- कशी / वाराणसी (UP) – भगवान शिव की नगरी।
- अंग (Bhagalpur, Bihar) – कर्ण का राज्य।
- मगध (Patna/Gaya, Bihar) – जरासंध का साम्राज्य।
- एकचक्रा (Ara, Bihar) – भीम और बकासुर की कथा।
🔹 पश्चिम भारत (Rajasthan, Gujarat, Madhya Pradesh, Maharashtra)
- मत्स्य (Alwar, Rajasthan) – राजा विराट का राज्य, जहाँ पांडव अज्ञातवास में रहे।
- द्वारका (Gujarat) – भगवान श्रीकृष्ण की नगरी।
- प्रभास क्षेत्र (Somnath, Gujarat) – श्रीकृष्ण का देहांत यहीं हुआ।
- पाटण (Gujarat) – प्राचीन समय में महत्वपूर्ण नगर।
- अवंती (Ujjain, MP) – शिक्षा और संस्कृति का केंद्र।
- चेदि (Gwalior region, MP) – राजा शिशुपाल का राज्य।
- विदर्भ (Nagpur, Maharashtra) – सत्यभामा और रुक्मिणी का राज्य।
🔹 पूर्वोत्तर भारत (Assam, Manipur)
- प्रागज्योतिषपुर (Guwahati, Assam) – नरकासुर का राज्य।
- कामाख्या (Assam) – शक्ति पीठ।
- सोणितपुर (Assam) – बाणासुर का राज्य।
- मणिपुर (Manipur) – जहाँ अर्जुन ने चित्रांगदा से विवाह किया।
🗺️ महाभारत का नक्शा (Mahabharata Map)
👉 जब इन सभी नगरों को आधुनिक नक्शे पर चिन्हित किया जाता है, तो यह स्पष्ट होता है कि महाभारत की कथा केवल उत्तर भारत तक सीमित नहीं थी। इसका विस्तार अफगानिस्तान से लेकर मणिपुर और असम तक तथा कश्मीर से लेकर महाराष्ट्र तक फैला हुआ था।
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महाभारत का नक्शा (Mahabharata Map) |
📜ऐतिहासिक महत्व (Historical Significance)
- महाभारत ने प्राचीन भारत की राजनीतिक भूगोल को एक साथ प्रस्तुत किया।
- ये नगर केवल धार्मिक कथाओं का हिस्सा नहीं बल्कि सांस्कृतिक और ऐतिहासिक केंद्र भी थे।
- शिक्षा (तक्षशिला, अवंती), धर्म (काशी, कामाख्या), राजनीति (हस्तिनापुर, इन्द्रप्रस्थ) और युद्ध (कुरुक्षेत्र, मत्स्य) – सभी पहलू इन नगरों से जुड़े हैं।
- आज भी इनमें से कई नगर धार्मिक और पर्यटन स्थल के रूप में प्रसिद्ध हैं।
✅ निष्कर्ष (Conclusion)
महाभारत में वर्णित ये 35 नगर आज भी आधुनिक भारत और उपमहाद्वीप में मौजूद हैं। यह दर्शाता है कि महाभारत केवल एक पौराणिक कथा नहीं बल्कि प्राचीन भारत का एक वास्तविक ऐतिहासिक दस्तावेज है। इन नगरों के माध्यम से हम न केवल धर्म और संस्कृति को समझते हैं बल्कि भारत के प्राचीन भूगोल की झलक भी पाते हैं।