जब ठगे गए भगवान गणेश | Story of Lord Ganesha and Old Woman in Hindi
भगवान गणेश विघ्नहर्ता, मंगलकर्ता और शीघ्र प्रसन्न होने वाले देवता हैं। उनके चरणों में सच्चे मन से की गई प्रार्थना कभी व्यर्थ नहीं जाती। जहाँ गणेश जी का वास होता है, वहीं उनकी सहधर्मिणी ऋद्धि और सिद्धि भी विद्यमान रहती हैं। साथ ही उनके पुत्र शुभ और लाभ भी स्वाभाविक रूप से उपस्थित रहते हैं। इसलिए गणेश जी की भक्ति करने से केवल भक्त ही नहीं, उसके पूरे परिवार का कल्याण होता है।
लेकिन कभी-कभी भक्तों की मासूम भक्ति और सरलता स्वयं भगवान को भी असमंजस में डाल देती है। ऐसी ही एक कथा है —
👵 बुढ़िया की भक्ति
बहुत समय पहले की बात है। एक छोटे-से गाँव में एक अंधी बुढ़िया रहती थी। उसकी आँखों में भले ही प्रकाश न था, परंतु उसका हृदय गणेश जी की भक्ति-दीपशिखा से आलोकित था।
वह प्रतिदिन सुबह-शाम गणेश जी की प्रतिमा के आगे बैठकर भजन करती, स्तुति गाती और समाधि में लीन हो जाती।
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जब ठगे गए भगवान गणेश | Story of Lord Ganesha and Old Woman in Hindi |
भगवान गणेश उसकी गहन भक्ति और निष्काम प्रेम से अत्यंत प्रसन्न हुए। उन्होंने सोचा – “यह भक्तिन हमें प्रतिदिन याद करती है, किंतु कभी कुछ मांगती नहीं। अब समय आ गया है कि इसे इसका भक्ति-फल दिया जाए।”
🌸 गणेश जी का आना
एक दिन गणेश जी बुढ़िया के सामने प्रकट हुए और बोले –
“माई, हम तुम्हारी सच्ची भक्ति से प्रसन्न हैं। जो भी वरदान चाहो, माँग लो।”
बुढ़िया ने folded hands जोड़े और उत्तर दिया –
“प्रभो! मैंने तो कभी कुछ माँगने का विचार ही नहीं किया। भक्ति ही मेरा धन है।”
गणेश जी फिर बोले –
“माई, हम तो वरदान देने के लिए ही आए हैं। सोच लो, जो माँगो, वही मिलेगा।”
बुढ़िया बोली –
“प्रभो! मुझे माँगना नहीं आता। एक दिन का समय दीजिए, मैं अपने बेटे-बहू से सलाह कर लूँ।”
गणेश जी ने वचन दिया और अगले दिन फिर आने का वादा करके अंतर्धान हो गए।
🏠 सलाह-मशविरा
बुढ़िया ने यह समाचार अपने बेटे और बहू को बताया।
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बेटा बोला – “माँ! ढेर सारा धन माँग लो। हमारी गरीबी दूर हो जाएगी।”
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बहू बोली – “नहीं, एक सुंदर पोते का वरदान माँगो। वंश आगे बढ़ेगा।”
बुढ़िया इन दोनों की स्वार्थपूर्ण सलाहों से उलझ गई। उसने सोचा – “ये तो अपने-अपने मतलब की बातें कर रहे हैं। मुझे तो ऐसा कुछ माँगना चाहिए, जिससे सबका भला हो।”
फिर उसने पड़ोसन से राय ली। पड़ोसन ने कहा –
“तुम्हारा जीवन दुखों में बीता है। अब सुख पाना तुम्हारा अधिकार है। धन या पोते का तुम्हें क्या लाभ, जब आँखें ही नहीं हैं? तुम भगवान से आँखें ही माँग लो।”
🤔 बुढ़िया का दुविधा
बुढ़िया असमंजस में पड़ गई। वह दिनभर सोचती रही –
“कुछ ऐसा माँगूँ जिससे मेरा भी भला हो, बेटे-बहू का भी, और वंश भी फलता-फूलता रहे।”
परंतु उसे कोई स्पष्ट निर्णय न हो सका।
🌼 वरदान की याचना
अगले दिन गणेश जी फिर प्रकट हुए और बोले –
“माई, अब बताओ, क्या चाहती हो? जो भी वरदान माँगोगी, वह तुम्हें अवश्य मिलेगा।”
बुढ़िया folded hands जोड़कर बोली –
“हे गणराज! मैं आपसे एक ही वरदान चाहती हूँ — मैं अपने पोते को सोने के गिलास में दूध पीते हुए देखना चाहती हूँ।”
😄 गणेश जी मुस्कुरा उठे
गणेश जी बुढ़िया की सरलता और सादगी पर हँस पड़े। वे बोले –
**“माई, तुमने तो मुझे ठग लिया। मैंने तुम्हें एक वरदान माँगने का अवसर दिया था, पर तुमने उसमें ही सब कुछ समेट लिया।
👉 पोते को देखने के लिए तुम्हें लंबी उम्र चाहिए।
👉 देखने के लिए आँखें भी चाहिए।
👉 पोते को सोने के गिलास में दूध पिलाने के लिए धन भी चाहिए।
👉 और पोता भी अवश्य चाहिए।
इस प्रकार तुमने एक ही वाक्य में अपने लिए आँखें, बेटे के लिए धन और बहू के लिए पोते का वरदान माँग लिया।”**
फिर भी गणेश जी ने आशीर्वाद देते हुए कहा –
“तथास्तु! तुम्हारी इच्छा पूर्ण होगी।”
🌺 वरदान की सिद्धि
कुछ ही समय में गणेश जी की कृपा से बुढ़िया की आँखें ठीक हो गईं।
बेटे का व्यापार खूब चल निकला।
घर में पोते का जन्म हुआ।
और सचमुच बुढ़िया ने अपने पोते को सोने के गिलास में दूध पीते हुए देखा।
उस दिन से बुढ़िया अपने परिवार सहित सुख-समृद्धि से जीवन व्यतीत करने लगी।
✨ कथा का संदेश
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सच्ची भक्ति से भगवान अवश्य प्रसन्न होते हैं।
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सरलता और निश्छलता में अपार शक्ति छिपी होती है।
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गणेश जी वास्तव में विघ्नहर्ता और कल्याणकर्ता हैं, जो भक्तों की मासूम इच्छा को भी पूर्ण कर देते हैं।