ग्रहण के समय खुले रहने वाले प्राचीन शिव मंदिर | Ancient Shiva Temples Open During Eclipse
जानिए कौन से प्राचीन शिव मंदिर सूर्य और चंद्र ग्रहण के समय भी खुले रहते हैं। चिदंबरम, काशी विश्वनाथ, महाकालेश्वर सहित 8 मंदिरों का विवरण।
🌑 सूर्य-चंद्र ग्रहण और मंदिरों का नियम
सामान्यतः ग्रहण काल को हिंदू धर्म में अशुभ और दूषित समय माना गया है। इसी कारण देश भर के मंदिरों में ग्रहण के समय नियमित पूजन, दर्शन और द्वार बंद कर दिए जाते हैं। परंतु शास्त्रीय आगम पद्धति और प्राचीन परंपराओं के अनुसार कुछ विशेष शिव मंदिर ग्रहण के समय भी खुले रहते हैं और वहाँ विशेष पूजा-अर्चना होती है।
✨ ग्रहण के समय खुले रहने वाले प्रमुख प्राचीन शिव मंदिर
1. चिदंबरम नटराज मंदिर (तमिलनाडु)
- यह पंचभूत स्तलों में "आकाश लिंग" का स्थान है।
- सिद्धांत शैव आगम के अनुसार थिल्लई नटराज (शिव) स्वयं परम तत्त्व हैं, अतः उन पर ग्रहण का कोई प्रभाव नहीं पड़ता।
- ग्रहण के समय यहाँ अरंगच्ची पूजा की जाती है और मंदिर खुला रहता है।
2. तिरुवरूर त्यागराज मंदिर (तमिलनाडु)
- सप्तविथंगा स्थलों में प्रमुख स्थान।
- यहाँ के देवता त्यागराज स्वामी को "ग्रहण दोष रहित" माना गया है।
- ग्रहण के समय मंदिर बंद नहीं होता, बल्कि विशेष पूजा की जाती है।
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ग्रहण के समय खुले रहने वाले प्राचीन शिव मंदिर | Ancient Shiva Temples Open During Eclipse |
3. तिरुवोत्तियुर वदिवुदयाम्मन-त्यागराज मंदिर (तमिलनाडु)
- सप्तविथंगा स्थलों में से एक।
- यहाँ भगवान त्यागराज की पूजा ग्रहण काल में भी जारी रहती है।
- मंदिर खुला रहता है और भक्त विशेष अनुष्ठान कर सकते हैं।
4. तिरुवन्नामलाई अरुणाचलेश्वर मंदिर (तमिलनाडु)
- पंचभूत लिंगों में अग्नि लिंग का स्थान।
- यह मंदिर ग्रहण के दौरान कभी बंद नहीं होता।
- अरुणाचल पर्वत स्वयं शिव का स्वरूप है, अतः यहाँ ग्रहण का कोई प्रभाव नहीं माना जाता।
5. कांचीपुरम एकम्बरनाथर मंदिर (तमिलनाडु)
- पंचभूत लिंगों में पृथ्वी लिंग का स्थान।
- यहाँ पूजा-पाठ बिना रोके ग्रहण काल में भी चलता रहता है।
- प्राचीन आगम विधान के अनुसार यहाँ द्वार बंद नहीं किए जाते।
6. श्री कालहस्ती मंदिर (आंध्र प्रदेश)
- यह मंदिर वायु लिंग का स्थान है।
- विशेष रूप से ग्रह दोष निवारण के लिए प्रसिद्ध।
- यहाँ भगवान शिव का वायु लिंग ग्रहण के समय भी खुले मंदिर में पूजित होता है।
7. काशी विश्वनाथ मंदिर (वाराणसी, उत्तर प्रदेश)
- विश्व का सबसे प्राचीन और शक्तिपीठ-संयुक्त ज्योतिर्लिंग।
- यहाँ गंगा और शिव का अद्वैत स्वरूप माना गया है।
- इसी कारण ग्रहण के समय भी यह मंदिर बंद नहीं होता।
8. महाकालेश्वर मंदिर (उज्जैन, मध्य प्रदेश)
- बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक, जिसे काल भैरव की पंचायत कहा जाता है।
- महाकालेश्वर पर ग्रहण का कोई प्रभाव नहीं पड़ता।
- ग्रहण काल में भी यह मंदिर खुला रहता है और विशेष पूजा की जाती है।
🌟 सारांश
- सामान्यतः ग्रहण के समय मंदिर बंद रहते हैं।
- लेकिन शैव आगम परंपरा, पंचभूत लिंग स्थलों, सप्तविथंगा स्थलों और प्रमुख ज्योतिर्लिंगों पर ग्रहण का प्रभाव नहीं माना जाता।
- इन स्थानों पर ग्रहण के समय भी विशेष पूजा-अर्चना और दर्शन की परंपरा बनी रहती है।