Rama Ekadashi (Rambha Ekadashi) Vrat Katha 2025 | रमा/रम्भा एकादशी व्रत कथा, महत्व और पूजन विधि

Sooraj Krishna Shastri
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Rama Ekadashi (Rambha Ekadashi) Vrat Katha 2025 | रमा/रम्भा एकादशी व्रत कथा, महत्व और पूजन विधि

"Rama Ekadashi 2025 जिसे Rambha Ekadashi भी कहा जाता है, कार्तिक कृष्ण पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है। यह दीपावली से पहले आने वाली पवित्र एकादशी है, जिसका वर्णन पद्म पुराण में मिलता है। धार्मिक मान्यता है कि Rama या Rambha Ekadashi व्रत करने से वाजपेय यज्ञ के बराबर फल प्राप्त होता है और भगवान श्री विष्णु के साथ माता लक्ष्मी का विशेष आशीर्वाद मिलता है। इस व्रत की कथा राजा मुचकुंद की पुत्री चंद्रभागा और उसके पति शोभन से जुड़ी है, जो इसके महत्व और दिव्य फल को दर्शाती है। Rama Ekadashi (Rambha Ekadashi) का उपवास पापों का नाश कर जीवन में सुख, शांति, समृद्धि और अंत में वैकुंठ धाम की प्राप्ति कराता है। यहाँ पढ़ें रमा/रम्भा एकादशी की पूजा विधि, महत्व और पौराणिक कथा।"


🪔 रमा एकादशी पूजन, महत्व एवं पौराणिक कथा 🪔


✦ रमा एकादशी क्या है?

रमा एकादशी, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है। यह दीपावली से ठीक चार दिन पहले आती है और इसलिए इसका महत्व और भी अधिक हो जाता है।

👉 इसे रमा एकादशी, रम्भा एकादशी और कभी-कभी पुण्यदायिनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है।
👉 इस दिन भगवान श्रीहरि विष्णु एवं उनकी पत्नी माता लक्ष्मी (जिन्हें “रमा” कहा जाता है) का संयुक्त पूजन होता है।
👉 पद्म पुराण सहित विभिन्न धर्मग्रंथों में इसका विशेष महत्व वर्णित है।

Rama Ekadashi (Rambha Ekadashi) Vrat Katha 2025 | रमा/रम्भा एकादशी व्रत कथा, महत्व और पूजन विधि
Rama Ekadashi (Rambha Ekadashi) Vrat Katha 2025 | रमा/रम्भा एकादशी व्रत कथा, महत्व और पूजन विधि



✦ रमा एकादशी व्रत का महत्व

  1. यह एकादशी भगवान विष्णु को सबसे प्रिय है।
  2. इस दिन उपवास और पूजन करने से वाजपेय यज्ञ के समान फल प्राप्त होता है।
  3. इस व्रत से समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं और भक्त को वैकुंठ धाम की प्राप्ति होती है।
  4. इस दिन दान-पुण्य, दीपदान और भक्ति करने का विशेष महत्व है।
  5. पति-पत्नी यदि साथ मिलकर व्रत करें तो जीवन में सुख, सौभाग्य और समृद्धि बढ़ती है।

✦ रमा एकादशी पूजन विधि

  1. व्रत की शुरुआत दशमी तिथि से ही हो जाती है। इस दिन सात्त्विक भोजन लेकर रात्रि में ब्रह्मचर्य का पालन करें।
  2. एकादशी के दिन प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  3. घर अथवा मंदिर में भगवान विष्णु व माता लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करें।
  4. पीले फूल, तुलसीदल, धूप, दीप, फल, पंचामृत से पूजा करें।
  5. दिनभर उपवास रखें और रात्रि में भगवान के भजन-कीर्तन करें।
  6. द्वादशी तिथि को प्रातः दान-दक्षिणा देकर, ब्राह्मण भोजन कराकर व्रत का पारण करें।

✦ रमा एकादशी व्रत की पौराणिक कथा

🏵️ राजा मुचकुंद और शोभन की कथा

प्राचीन काल में मुचकुंद नामक राजा था, जो बड़ा धर्मात्मा और विष्णुभक्त था। उसके अनेक देवता-मित्र थे – इंद्र, यम, कुबेर, वरुण और विभीषण।

👉 राजा की एक कन्या थी चंद्रभागा, जिसका विवाह चंद्रसेन के पुत्र शोभन से हुआ था।

🌙 शोभन का संकट

एक समय शोभन ससुराल आया। उसी दौरान रमा एकादशी का दिन निकट था। राजा ने घोषणा की कि –

“राज्य में कोई भी व्यक्ति, पशु, पक्षी, यहाँ तक कि हाथी-घोड़े भी एकादशी को अन्न-जल ग्रहण नहीं करेंगे।”

शोभन दुर्बल था और भूख-प्यास सहन नहीं कर सकता था। उसने पत्नी से कहा –

“प्रिये! मैं यह व्रत नहीं कर पाऊँगा, अन्यथा मेरे प्राण चले जाएँगे।”

चंद्रभागा बोली –

“स्वामी! मेरे पिता के राज्य में आज्ञा का उल्लंघन असंभव है। यहाँ सबको व्रत करना ही होगा।”

शोभन विवश होकर बोला –

“मैं व्रत करूँगा, भाग्य में जो होगा वही देखा जाएगा।”

🌅 शोभन का देहांत

शोभन ने व्रत तो किया, किंतु भूख-प्यास से व्याकुल होकर प्रातःकाल ही उसके प्राण निकल गए। राजा ने उसका दाह संस्कार करवा दिया, परंतु चंद्रभागा ने अपने शरीर का दाह नहीं करवाया और पिता के घर रहने लगी।

✨ व्रत का प्रभाव

रमा एकादशी व्रत के प्रभाव से शोभन को मंदराचल पर्वत पर दिव्य नगर प्राप्त हुआ। वहाँ रत्न-जटित भवन, स्वर्ण-स्तंभ, गंधर्व-अप्सराएँ और अपार वैभव था।

🙏 ब्राह्मण से संवाद

एक बार सोम शर्मा नामक ब्राह्मण वहाँ पहुँचा और शोभन से मिला। शोभन ने कहा –

“यह नगर मुझे रमा एकादशी व्रत से मिला है, पर यह स्थिर नहीं है क्योंकि मैंने श्रद्धा रहित होकर व्रत किया था। यदि चंद्रभागा इसका पुण्य मुझे प्रदान करे, तो यह स्थिर हो सकता है।”

ब्राह्मण यह संदेश लेकर चंद्रभागा के पास आया।

👩‍🦰 चंद्रभागा का दिव्य रूप

चंद्रभागा ने वामदेव ऋषि के आश्रम जाकर तप, स्नान और मंत्र-अभिषेक से दिव्य रूप धारण किया। अपने किए हुए व्रतों के पुण्य से उसने शोभन के नगर को स्थिर बना दिया।

🏵️ सुखद मिलन

पति-पत्नी पुनः मिलकर आनंदपूर्वक दिव्य लोक में रहने लगे।


✦ रमा एकादशी से प्राप्त शिक्षाएँ

  1. श्रद्धा और निष्ठा से किया गया व्रत ही स्थायी फल देता है।
  2. पति-पत्नी का संयुक्त व्रत सौभाग्य, प्रेम और समृद्धि लाता है।
  3. रमा एकादशी का व्रत मोक्षदायी है – यह पापों का नाश करके विष्णुलोक की प्राप्ति कराता है।
  4. यह व्रत दीपावली से पहले आने के कारण अत्यंत शुभ और मंगलकारी है।

✦ निष्कर्ष

रमा एकादशी का व्रत भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने का सरल उपाय है।

  • यह व्रत मनुष्य को समस्त दुखों से मुक्त कर सदैव सुख और मोक्ष की ओर ले जाता है।
  • इस दिन यदि सच्चे मन से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का पूजन किया जाए तो भक्त के जीवन में धन, वैभव, सौभाग्य और शांति स्थायी रूप से रहती है।

🌹🙏 यही कारण है कि रमा एकादशी को वर्ष की सबसे महत्वपूर्ण एकादशी माना गया है। 🙏🌹


❓ FAQs on Rama Ekadashi (Rambha Ekadashi)

Q1. रमा एकादशी (Rambha Ekadashi) कब मनाई जाती है?

👉 रमा एकादशी कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है। यह दीपावली से चार दिन पहले आती है।

Q2. रमा एकादशी को रम्भा एकादशी क्यों कहा जाता है?

👉 धार्मिक ग्रंथों में इसे रमा एकादशी और रम्भा एकादशी दोनों नामों से जाना गया है। “रमा” माता लक्ष्मी का नाम है, जबकि “रम्भा” का अर्थ आनंद और समृद्धि से है।

Q3. रमा/रम्भा एकादशी व्रत का महत्व क्या है?

👉 यह व्रत करने से वाजपेय यज्ञ के समान फल मिलता है, पापों का नाश होता है और भक्त को भगवान विष्णु तथा माता लक्ष्मी का विशेष आशीर्वाद मिलता है।

Q4. रमा एकादशी व्रत की पौराणिक कथा क्या है?

👉 इस व्रत की कथा राजा मुचकुंद की पुत्री चंद्रभागा और उसके पति शोभन से जुड़ी है। शोभन ने श्रद्धा रहित व्रत किया, पर पत्नी चंद्रभागा के पुण्य से उसे दिव्य लोक और स्थायी सुख प्राप्त हुआ।

Q5. रमा एकादशी का व्रत कैसे करना चाहिए?

👉 दशमी से सात्त्विक भोजन कर, एकादशी को उपवास रखकर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए। रात्रि में जागरण और भजन-कीर्तन करें तथा द्वादशी को ब्राह्मण भोजन और दान देकर व्रत का पारण करें।

Q6. रमा (Rambha) एकादशी व्रत से क्या फल मिलता है?

👉 इस व्रत से वैकुंठ धाम की प्राप्ति होती है, पाप नष्ट होते हैं और जीवन में सुख, सौभाग्य व समृद्धि बढ़ती है।



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