Deepdan Kya Hai? | दीपदान के 11 चमत्कारी लाभ और करने की विधि
🪔 दीपदान क्या है और दीपदान के 11 अद्भुत लाभ 🪔
दीपदान के बारे में अधिकांश लोग जानते हैं, लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि दीपदान क्या है, इसे कैसे करना चाहिए और इसके लाभ क्या हैं।
दीपदान क्या है?
दीपदान का अर्थ है दीपक का दान करना। इसे जला कर उचित स्थान पर रखना या नदी, मंदिर या पवित्र स्थल में प्रवाहित करना दीपदान कहलाता है।
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यह भगवान के समक्ष निवेदन प्रकट करने का एक तरीका है।
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दीपदान से मनोकामनाओं की पूर्ति होती है और पापों का नाश होता है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार दीपदान
ज्योतिष शास्त्र में कहा गया है कि 15 तरह के दीपक हर प्रकार के कष्टों और दोषों को दूर कर सकते हैं।
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Deepdan Kya Hai? | दीपदान के 11 चमत्कारी लाभ और करने की विधि |
दीपदान कहाँ करें?
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देव मंदिर में दीपदान करना सबसे शुभ माना जाता है।
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विद्वान ब्राह्मण के घर में दीपदान भी किया जा सकता है।
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नदी के किनारे या नदी में दीपक प्रवाहित करना।
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दुर्गम स्थान या भूमि (धान के ऊपर) पर दीपदान करने से भी विशेष फल मिलता है।
दीपदान कैसे करें?
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मिट्टी के दिए में तेल डालें, उसे मंदिर में लेकर जाएं और वहां जला कर रखें।
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दीपों की संख्या और बत्तियाँ समय और मनोकामना अनुसार तय की जाती हैं।
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आटे के छोटे दीपक बनाकर उसमें तेल डालें, पतली रुई की बत्ती जलाएँ और उसे पीपल या बड़े पत्ते पर रखकर नदी में प्रवाहित करें।
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दीपक को सीधा भूमि पर नहीं रखना चाहिए। इसे सप्तधान या चावल के ऊपर रखना चाहिए, ताकि भूमि को आघात न पहुंचे।
दीपदान कब करें?
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सभी स्नान पर्व और व्रत के समय।
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नरक चतुर्दशी और यम द्वितीया के दिन।
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दीपावली, अमावस्या या पूर्णिमा के दिन।
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दुर्गम स्थान पर दीपदान करने से नरक जाने से बचाव होता है।
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पद्मपुराण के उत्तरखंड में महादेव ने कार्तिकेय को बताया कि
"कृष्णपक्ष में रमा एकादशी से दीपावली तक 5 दिन बड़े पवित्र हैं। उनमें जो भी दान किया जाता है, वह अक्षय और संपूर्ण कामनाओं को पूर्ण करने वाला होता है।"
दीपदान करने के 11 प्रमुख लाभ
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अकाल मृत्यु से रक्षा – दीपदान करने से जीवन सुरक्षित रहता है।
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मृतकों की सद्गति – अपने पूर्वजों और मृतकों की आत्मा को शांति मिलती है।
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लक्ष्मी और विष्णु की कृपा – धन और समृद्धि के लिए दीपदान।
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यम, शनि, राहु और केतु के बुरे प्रभाव से सुरक्षा।
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सभी संकटों और गृहकलह से बचाव।
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अंधकार मिटाना और जीवन में उजाला लाना।
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मोक्ष प्राप्ति – आत्मा की मुक्ति के लिए दीपदान।
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पूजा और मांगलिक कार्यों में सफलता।
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घर में धन और समृद्धि।
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कार्तिक माह में विशेष फल – भगवान विष्णु या उनके अवतारों के समक्ष दीपदान करने से समस्त यज्ञों, तीर्थों और दानों का फल प्राप्त होता है।
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संपूर्ण पुण्य का अर्जन – दीपदान अक्षय फल देता है और जीवन में स्थायी खुशहाली लाता है।
सारांश
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दीपदान केवल दीप जलाने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह भक्ति, सेवा और आस्था का प्रतीक है।
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इसे मंदिर, नदी या पवित्र स्थान पर करना चाहिए।
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दीपदान से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा, धन, स्वास्थ्य और मोक्ष प्राप्त होता है।
🔹 दीपदान पर FAQs (SEO Friendly)
Q1. दीपदान क्या है? (What is Deepdan in Hindi)
👉 दीपदान का अर्थ है दीपक का दान करना। इसे मंदिर, नदी, पवित्र स्थल या किसी भी शुभ स्थान पर जलाकर रखा जाता है।
Q2. दीपदान कब करना चाहिए? (When to do Deepdan)
👉 दीपदान दीपावली, अमावस्या, पूर्णिमा, कार्तिक मास, नरक चतुर्दशी, यम द्वितीया और व्रत-त्योहार के समय करना शुभ माना जाता है।
Q3. दीपदान कहाँ करें? (Where to do Deepdan)
👉 मंदिर, नदी के किनारे, पवित्र स्थल, विद्वान ब्राह्मण के घर या दुर्गम स्थान पर दीपदान करना श्रेष्ठ होता है।
Q4. दीपदान कैसे करें? (How to do Deepdan)
👉 मिट्टी के दीये में तेल और रुई की बत्ती डालें, मंदिर या नदी किनारे जलाकर रखें या प्रवाहित करें। ध्यान रहे दीपक को सीधे भूमि पर न रखें।
Q5. दीपदान करने से क्या लाभ होते हैं? (Benefits of Deepdan)
👉 दीपदान से अकाल मृत्यु से रक्षा, पापों का नाश, मृतकों की शांति, धन-समृद्धि, गृहकलह से मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
Q6. कार्तिक मास में दीपदान क्यों विशेष है?
👉 पद्मपुराण के अनुसार कार्तिक मास में दीपदान करने से सभी यज्ञों, दानों और तीर्थों का फल मिलता है और यह अक्षय पुण्यदायी होता है।