Saptarshi (सप्तऋषि) in Vedas and Puranas – सप्तर्षियों का परिचय, नामावली और महत्व
✨ भूमिका
वेद भारतीय संस्कृति और ज्ञान-परंपरा का प्राचीनतम स्रोत हैं। ऋग्वेद में लगभग एक हजार सूक्त और दस हज़ार मंत्र हैं। यदि चारों वेदों को मिलाकर देखें तो लगभग बीस हज़ार से अधिक मंत्र मिलते हैं। इन मंत्रों के द्रष्टा ऋषि कहे जाते हैं।
ऋग्वेद के दूसरे से सातवें मंडल तक विशेष रूप से वंशमंडल कहे जाते हैं, क्योंकि इनमें कुछ प्रमुख ऋषिकुलों के मंत्र संग्रहित हैं। इन्हीं में से सात ऋषिकुलों का महत्व इतना महान रहा कि भारतीय परंपरा ने उन्हें सप्तर्षि के रूप में अमर कर दिया।
आकाश में उत्तर दिशा में स्थित सात तारों के समूह (Ursa Major / Great Bear) को भी सप्तर्षि मंडल कहा गया है। इन तारों के नाम इन्हीं ऋषियों पर आधारित हैं।
🌳 वैवस्वत मन्वंतर के सप्तर्षि
प्रत्येक मन्वंतर में सप्तर्षि भिन्न-भिन्न होते हैं। वर्तमान वैवस्वत मन्वंतर में सप्तर्षियों की परंपरा इस प्रकार मानी जाती है—
- ऋषि वशिष्ठ – कामधेनु गाय के स्वामी, दशरथ के कुलगुरु।
- ऋषि विश्वामित्र – मंत्रशक्ति के ज्ञाता, गायत्री मंत्र के द्रष्टा।
- ऋषि कण्व – सोमयज्ञ के व्यवस्थापक, शकुंतला-भरत की कथा से जुड़े।
- ऋषि भारद्वाज – विज्ञान और यांत्रिकी के प्रणेता, ‘विमानशास्त्र’ के रचयिता।
- ऋषि अत्रि – अनुसूया के पति, दत्तात्रेय, चंद्र और दुर्वासा के पिता।
- ऋषि वामदेव – सामगान और शास्त्रीय संगीत के प्रणेता।
- ऋषि शौनक – दस हज़ार शिष्यों वाले कुलपति, आरण्यक ग्रंथों के प्रवर्तक।
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Saptarshi (सप्तऋषि) in Vedas and Puranas – सप्तर्षियों का परिचय, नामावली और महत्व |
🌟 सप्तर्षियों का संक्षिप्त परिचय
1. ऋषि वशिष्ठ
- दशरथ और राम के गुरु।
- कामधेनु गाय के स्वामी।
- मंत्र दृष्टा और राज्यशासन में मर्यादा और संतुलन के प्रवर्तक।
- ऋग्वेद के सप्तम मंडल के द्रष्टा।
2. ऋषि विश्वामित्र
- पूर्व में क्षत्रिय राजा।
- कठोर तपस्या के बल से ब्रह्मर्षि का पद प्राप्त किया।
- गायत्री मंत्र के द्रष्टा।
- त्रिशंकु को सशरीर स्वर्ग पहुँचाने और नया स्वर्ग बनाने की कथा प्रसिद्ध।
3. ऋषि कण्व
- ऋग्वेद के अष्टम मंडल के प्रमुख द्रष्टा।
- शकुंतला और भरत की कथा इन्हीं के आश्रम से जुड़ी।
- सोमयज्ञ के प्रवर्तक।
- अनिष्ट निवारण और विज्ञान संबंधी मंत्रों के रचयिता।
4. ऋषि भारद्वाज
- ऋग्वेद के षष्ठम मंडल के द्रष्टा।
- ‘भारद्वाज संहिता’, ‘यंत्र-सर्वस्व’, और ‘विमान शास्त्र’ के प्रणेता।
- विज्ञान, तकनीक, विमान, धातुशास्त्र पर गहन ग्रंथ रचे।
- रामायण में भी उनका उल्लेख है; श्रीराम ने उनके आश्रम का दर्शन किया।
5. ऋषि अत्रि
- ब्रह्मा के मानसपुत्र।
- माता अनुसूया के पति।
- दत्तात्रेय, चंद्र और दुर्वासा के पिता।
- पंचम मंडल के द्रष्टा।
- कृषि और समाज विकास में विशेष योगदान।
6. ऋषि वामदेव
- ऋग्वेद के चतुर्थ मंडल के द्रष्टा।
- शास्त्रीय संगीत और सामगान के प्रवर्तक।
- जन्म के पूर्व ही ज्ञान प्राप्त करने वाले महर्षि।
- सामवेद से प्रेरित नाट्यशास्त्र का आधार भी इन्हीं की परंपरा है।
7. ऋषि शौनक
- दस हज़ार शिष्यों के साथ गुरुकुल के कुलपति।
- वैदिक आरण्यक ग्रंथों के रचयिता।
- ‘शौनक संहिता’ और ‘बृहद्देवता’ के प्रवर्तक।
- ऋषि कुल की परंपरा को सुव्यवस्थित करने वाले।
📖 पुराणों में सप्तर्षि की नामावलियाँ
विष्णु पुराण (सप्तम मन्वंतर)
वशिष्ठ, कश्यप, अत्रि, जमदग्नि, गौतम, विश्वामित्र, भारद्वाज।
महाभारत में
- कश्यप, अत्रि, भारद्वाज, विश्वामित्र, गौतम, जमदग्नि, वशिष्ठ।
- दूसरी सूची में – मरीचि, अंगिरस, पुलस्त्य, पुलह, क्रतु, कश्यप, वशिष्ठ।
अन्य पुराणों में
- केतु, पुलह, पुलस्त्य, अत्रि, अंगिरा, वशिष्ठ, मारीचि।
- कहीं कश्यप और मरीचि को समान माना गया है।
- कहीं कश्यप और कण्व को पर्यायवाची माना गया है।
🌌 सप्तर्षि और तारामंडल
- सप्तर्षि मंडल (Ursa Major) आकाश में ध्रुवतारे के निकट स्थित है।
- भारत में यह सदा दृश्य रहता है (Circumpolar constellation)।
- भारतीय ज्योतिष, पंचांग और खगोल विज्ञान में इसकी महत्ता अत्यधिक है।
- सात तारे = सात ऋषि, इनके नाम भारतीय संस्कृति ने अमर कर दिए।
📊 सप्तर्षि – परिचय सारणी
क्रम | ऋषि का नाम | वेद/मंडल | विशेष योगदान | प्रमुख ग्रंथ/कथाएँ |
---|---|---|---|---|
1. | वशिष्ठ | ऋग्वेद – सप्तम मंडल | कामधेनु के स्वामी, दशरथ और राम के गुरु, शासन में मर्यादा का प्रतिपादन | दशरथ-राम कथा, वशिष्ठ-संहिता, कामधेनु प्रसंग |
2. | विश्वामित्र | ऋग्वेद – तृतीय मंडल | पूर्व में राजा, कठोर तपस्या से ब्रह्मर्षि पद; गायत्री मंत्र के द्रष्टा; त्रिशंकु स्वर्ग के निर्माता | मेनका-तपस्या कथा, त्रिशंकु प्रसंग, शांतिकुंज-हरिद्वार की तपस्थली |
3. | कण्व | ऋग्वेद – अष्टम मंडल | सोमयज्ञ के व्यवस्थापक; शकुंतला और भरत का पालन-पोषण; अनिष्ट निवारण और विज्ञान संबंधी सूक्त | शकुंतला-दुष्यंत कथा, कण्व आश्रम (कंडाकोट, सोनभद्र) |
4. | भारद्वाज | ऋग्वेद – षष्ठम मंडल (765 मंत्र) | यांत्रिकी और विज्ञान के प्रवर्तक; ‘विमानशास्त्र’ और धातु विज्ञान में अग्रणी | भारद्वाज संहिता, यंत्र-सर्वस्व, रामायण में राम-भेट |
5. | अत्रि | ऋग्वेद – पंचम मंडल | ब्रह्मा के पुत्र; अनुसूया के पति; दत्तात्रेय, चंद्र, दुर्वासा के पिता; कृषि-विकास में योगदान | अनसूया-सतित्व कथा, दत्तात्रेय जन्मकथा, दुर्वासा प्रसंग |
6. | वामदेव | ऋग्वेद – चतुर्थ मंडल | सामगान और शास्त्रीय संगीत के प्रवर्तक; गर्भ से ही ज्ञानी; योगशक्ति से जन्म | सामवेद परंपरा, नाट्यशास्त्र की प्रेरणा |
7. | शौनक | आरण्यक ग्रंथों के प्रवर्तक | दस हज़ार शिष्यों के कुलपति; गुरुकुल परंपरा को संगठित किया | शौनक संहिता, बृहद्देवता, आरण्यक ग्रंथ |
⚡ इसके अलावा पुराणों और महाभारत में सप्तर्षियों की कई वैकल्पिक नामावलियाँ मिलती हैं, जैसे –
- विष्णु पुराण: वशिष्ठ, कश्यप, अत्रि, जमदग्नि, गौतम, विश्वामित्र, भारद्वाज।
- महाभारत (प्रथम सूची): कश्यप, अत्रि, भारद्वाज, विश्वामित्र, गौतम, जमदग्नि, वशिष्ठ।
- अन्य पुराण: मरीचि, अंगिरा, पुलस्त्य, पुलह, क्रतु, कश्यप, वशिष्ठ।
✨ निष्कर्ष
सप्तर्षि केवल प्राचीन कवि या तपस्वी नहीं थे, बल्कि वेद, उपनिषद, पुराण, इतिहास, विज्ञान, खगोल और समाज-व्यवस्था—सभी के आधारस्तंभ थे। उन्होंने—
- धर्म को आधार दिया,
- समाज को मार्गदर्शन दिया,
- विज्ञान और तकनीक का बीजारोपण किया,
- और संस्कृति को अमरत्व प्रदान किया।
इसलिए जब हम आकाश में सप्तर्षि मंडल देखते हैं, तो वह केवल तारों का समूह नहीं, बल्कि हमारी अमिट सांस्कृतिक स्मृति है, जो हमें अपने ऋषियों की महान परंपरा का बोध कराती है।