त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग Trimbakeshwar Jyotirlinga – इतिहास, कथा और महत्व
🔱 त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग (Trimbakeshwar Jyotirlinga, Maharashtra) 🔱
📍स्थान और भौगोलिक स्थिति
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स्थान: त्र्यंबक नगर, नासिक ज़िला, महाराष्ट्र
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ऊँचाई: समुद्र तल से लगभग 3000 फ़ीट
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निकटतम रेलवे स्टेशन: नासिक रोड (लगभग 30 किमी)
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पर्वत श्रृंखला: मंदिर तीन पहाड़ियों – ब्रह्मगिरी, नीलगिरि और कालगिरि – के मध्य स्थित है।
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नदी: गोदावरी नदी का उद्गम यहीं से होता है, जिसे दक्षिण की गंगा भी कहा जाता है।
🕉️ मंदिर की विशेषताएँ
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यह ज्योतिर्लिंग स्वयंभू (स्वयं प्रकट) माना जाता है।
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गर्भगृह में एक छोटे से गर्त (गड्ढे) में तीन छोटे-छोटे शिवलिंग स्थापित हैं, जिन्हें त्रिदेव – ब्रह्मा, विष्णु और महेश का प्रतीक माना जाता है।
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प्राचीन मंदिर का जीर्णोद्धार नाना साहेब पेशवा ने सन् 1755 में करवाया था।
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यह स्थान महर्षि गौतम और उनकी पत्नी अहिल्या की तपोभूमि है।
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त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग Trimbakeshwar Jyotirlinga – इतिहास, कथा और महत्व |
📖 पौराणिक कथा (शिवपुराण के अनुसार)
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गौतम ऋषि का तपोवन:
गौतम ऋषि अपनी पत्नी अहिल्या के साथ ब्रह्मगिरी पर्वत पर तपस्या करते थे। उनके आश्रम में बहुत ब्राह्मण निवास करते थे। -
ब्राह्मण-पत्नियों का द्वेष:
एक प्रसंगवश ब्राह्मण-पत्नियाँ अहिल्या से नाराज़ हो गईं और अपने पतियों को उकसाकर गौतम ऋषि का अपकार करवाना चाहा। -
गणेशजी की लीला:
ब्राह्मणों ने गणेशजी की आराधना की और उनसे वर माँगा कि गौतम ऋषि को आश्रम से बाहर निकाल दिया जाए। गणेशजी ने उनकी जिद के आगे विवश होकर दुर्बल गाय का रूप धारण किया और गौतम ऋषि के खेत में फसल चरने लगे।जब ऋषि ने तृण से धीरे-धीरे गाय को हटाना चाहा तो गाय भूमि पर गिरकर मृत हो गई। -
झूठा आरोप:
ब्राह्मणों ने उन्हें गोहत्यारा कहकर बहिष्कृत कर दिया। ऋषि दुखी होकर अपनी पत्नी सहित अन्यत्र चले गए और ब्राह्मणों से प्रायश्चित का उपाय पूछा। -
प्रायश्चित का निर्देश:
ब्राह्मणों ने कहा—-
पूरी पृथ्वी की 3 बार परिक्रमा करो,
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ब्रह्मगिरि पर्वत की 101 परिक्रमा करो,
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एक महीने तक व्रत रखो,
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गंगाजी को यहाँ लाकर स्नान करो,
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एक करोड़ पार्थिव शिवलिंगों की पूजा कर सौ घड़ों से अभिषेक करो।
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गंगाजी का आविर्भाव:
गौतम ऋषि ने कठोर तपस्या करके भगवान शिव से गंगाजी को पृथ्वी पर लाने की प्रार्थना की। भगवान शिव प्रसन्न हुए और गंगाजी को ब्रह्मगिरि से प्रवाहित किया। यह धारा ही आगे गोदावरी नदी कहलायी। -
शिवजी का प्राकट्य और ज्योतिर्लिंग की स्थापना:
गौतम ऋषि की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव प्रकट हुए और उन्हें निर्दोष बताया। देवताओं और ऋषियों की प्रार्थना पर भगवान शिव ने वहीं सदा निवास करने का वचन दिया। इस प्रकार यहाँ त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग की स्थापना हुई।
✨ आध्यात्मिक महत्त्व
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त्र्यंबकेश्वर को मुक्ति प्रदान करने वाला और सर्व पापों का नाश करने वाला कहा गया है।
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यहाँ किया गया श्राद्ध, पिंडदान और तर्पण विशेष रूप से फलदायी माना जाता है।
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गोदावरी के उद्गम स्थल होने से इसका महत्व और बढ़ जाता है।
🌸 संक्षेप में
त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग न केवल बारह ज्योतिर्लिंगों में एक है, बल्कि यह स्थान तपस्या, गंगोदय और शिव-सान्निध्य का अद्भुत संगम है। यहाँ आकर भक्त अपने जीवन के पापों से मुक्त होकर मोक्ष की ओर अग्रसर होते हैं।
✅ FAQ (Trimbakeshwar Jyotirlinga)
Q1. त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग कहाँ स्थित है?
👉 त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के नासिक ज़िले के त्र्यंबक नगर में, समुद्र तल से लगभग 3000 फ़ीट की ऊँचाई पर स्थित है।
Q2. त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग का महत्व क्या है?
👉 यह 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यहाँ भगवान शिव के साथ ब्रह्मा और विष्णु का प्रतीक भी तीन छोटे लिंगों के रूप में विराजमान है। यह स्थान गोदावरी नदी के उद्गम स्थल और गौतम ऋषि की तपोभूमि के कारण अत्यंत पवित्र माना जाता है।
Q3. त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग तक कैसे पहुँचा जा सकता है?
👉 निकटतम रेलवे स्टेशन नासिक रोड है, जो लगभग 30 किमी दूर है। सड़क मार्ग और बस सेवा भी आसानी से उपलब्ध है।
Q4. त्र्यंबकेश्वर मंदिर का जीर्णोद्धार किसने करवाया था?
👉 त्र्यंबकेश्वर मंदिर का जीर्णोद्धार नाना साहेब पेशवा ने सन् 1755 में करवाया था।
Q5. त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग से जुड़ी पौराणिक कथा क्या है?
👉 शिवपुराण के अनुसार, गौतम ऋषि पर ब्राह्मणों ने झूठा गोहत्या का आरोप लगाया। गौतम ऋषि ने तपस्या की, जिससे प्रसन्न होकर भगवान शिव प्रकट हुए और वहीं ज्योतिर्लिंग रूप में स्थापित हुए। इसी स्थल से गोदावरी नदी भी प्रकट हुई।
Q6. त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग पर कौन-से धार्मिक कार्य विशेष माने जाते हैं?
👉 यहाँ किया गया श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान अत्यंत फलदायी माना जाता है। गोदावरी स्नान और शिवपूजन से पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।