चरित्र और ज्ञान में बड़ा कौन? | Knowledge vs Character Hindi Kahani with Moral

Sooraj Krishna Shastri
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चरित्र और ज्ञान में बड़ा कौन? | Knowledge vs Character Hindi Kahani with Moral

"Charitra aur Gyaan mein bada kaun? जानिए इस प्रेरक हिंदी कहानी के माध्यम से कि ज्ञान हमें ऊँचा उठाता है, परंतु चरित्र ही हमें आदर और विश्वास दिलाता है। पढ़ें पूरी Hindi story with moral."

🌹 चरित्र और ज्ञान में बड़ा कौन? 🌹

✦ प्रारंभिक संबोधन

प्रिय बच्चों / साथियों,
मनुष्य के जीवन में दो चीजें बहुत महत्वपूर्ण हैं—ज्ञान और चरित्र
ज्ञान हमें बुद्धिमान बनाता है, परंतु चरित्र ही हमें आदरणीय और विश्वसनीय बनाता है।
आज मैं आपको एक ऐसी घटना सुनाऊँगा जिससे यह स्पष्ट हो जाएगा कि ज्ञान से बड़ा चरित्र है।


✦ कथा का प्रारंभ

बहुत समय पहले एक राज्य में एक महान राजपुरोहित रहते थे।

  • वे विद्वान थे, अनेक शास्त्रों के ज्ञाता थे।

  • राजा और प्रजा सभी उनका सम्मान करते थे।

  • बड़े-बड़े विद्वान भी उनके आगे झुकते थे।
    परंतु उनमें अहंकार नहीं था, वे अत्यंत विनम्र और चरित्रवान थे।


✦ राजपुरोहित की जिज्ञासा

एक दिन उनके मन में प्रश्न उठा—
👉 “मुझे जो सम्मान मिलता है, वह मेरे ज्ञान के कारण है या मेरे चरित्र के कारण?”
इसका उत्तर पाने के लिए उन्होंने एक योजना बनाई।

चरित्र और ज्ञान में बड़ा कौन? | Knowledge vs Character Hindi Kahani with Moral
चरित्र और ज्ञान में बड़ा कौन? | Knowledge vs Character Hindi Kahani with Moral



✦ परीक्षा की योजना

  • वे राजा के खजाने में गए और पाँच मोती उठा लिए।

  • दूसरे दिन फिर पाँच मोती, तीसरे दिन भी पाँच मोती।

  • खजांची ने यह सब देखा और राजा को बताया।

  • राजा को विश्वास ही नहीं हुआ कि उनके पूज्य राजपुरोहित ऐसा कर सकते हैं।

  • लेकिन जब बात बार-बार दोहराई गई तो राजा का विश्वास डगमगा गया।


✦ राजा की नाराज़गी

अगले दिन राजसभा में जब राजपुरोहित आए,
तो राजा ने पहले की तरह उनका स्वागत नहीं किया।
राजपुरोहित समझ गए—“अब मेरी योजना सफल हो रही है।”

सभा समाप्त होने के बाद राजा ने उनसे पूछा—
👉 “क्या आपने खजाने से मोती उठाए हैं?”
राजपुरोहित ने शांत स्वर में कहा—“हाँ।”
और अपनी जेब से पुड़िया निकाल दी जिसमें १५ मोती थे।


✦ रहस्य का खुलासा

राजा क्रोधित होकर बोले—
👉 “आप जैसे विद्वान ने इतना नीच कार्य क्यों किया?
क्या आपको शर्म नहीं आई? आपने अपनी प्रतिष्ठा नष्ट कर दी!”

तब राजपुरोहित मुस्कराकर बोले—
👉 “राजन्! मैंने यह कार्य केवल इसलिए किया कि देख सकूँ—
मुझे आदर मेरे ज्ञान के कारण है या मेरे चरित्र के कारण।
अब मैं निश्चिंत हूँ—
आप और प्रजा मुझे मेरे ज्ञान से नहीं,
बल्कि मेरे चरित्र के कारण मानते थे।”


✦ शिक्षा

बच्चों / साथियों,
👉 धन चला जाए तो फिर भी मनुष्य जी सकता है।
👉 स्वास्थ्य चला जाए तो कठिनाई होती है, पर जीवन चलता है।
👉 लेकिन यदि चरित्र चला जाए तो सब कुछ नष्ट हो जाता है।

इसलिए कहा गया है—
“धन गया, कुछ नहीं गया।
स्वास्थ्य गया, कुछ गया।
चरित्र गया, तो सब कुछ गया।”


✦ प्रेरक निष्कर्ष

ज्ञान हमें ऊँचा उठाता है,
परंतु चरित्र हमें सम्मानित करता है।
👉 ज्ञान बिना चरित्र अधूरा है, और चरित्र बिना ज्ञान भी अधूरा है,
लेकिन दोनों में बड़ा—चरित्र है।


🌸 यही शिक्षा हमें जीवन में अपनानी चाहिए—
हम कितने ज्ञानी हैं, यह लोग भूल सकते हैं,
लेकिन हमारा चरित्र ही है जो जीवनभर सबको याद रहता है।

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