जीवन छोटा, कार्य अनन्त | Sanskrit Shloka on Time Management and Meaningful Work

Sooraj Krishna Shastri
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यह संस्कृत श्लोक — “अनन्तकार्यं लघुजीवनञ्च...” — हमें जीवन की वास्तविक प्राथमिकताओं की याद दिलाता है। मानव जीवन अत्यंत अल्प है, परंतु कार्य अनंत हैं, शांति सीमित है और इच्छाएँ असंख्य। इस स्थिति में बुद्धिमान वही है जो मूल्यहीन, व्यर्थ और निरर्थक कार्यों को त्याग देता है, जैसे किसान अपने खेत से सूखी घास को निकाल फेंकता है। यह श्लोक आधुनिक जीवन में “Time Management” और “Prioritization” का गहन संदेश देता है — हमें यह समझना चाहिए कि हर कार्य का समान मूल्य नहीं होता। यदि हम अपना समय और ऊर्जा तुच्छ कार्यों में व्यर्थ करते हैं, तो जीवन का वास्तविक उद्देश्य खो जाता है। इसलिए आवश्यक है कि हम अर्थपूर्ण, मूल्यवान और आत्मविकासकारी कार्यों को प्राथमिकता दें। यही जीवन का संतुलित, सफल और संतोषप्रद मार्ग है।

जीवन छोटा, कार्य अनन्त | Sanskrit Shloka on Time Management and Meaningful Work


🕉️ श्लोक (Sanskrit Verse)

अनन्तकार्यं लघुजीवनञ्च
अल्पा च शान्तिर्बहुलाश्च कामाः।
त्यजेद्धि कार्यं खलु मूल्यहीनं
क्षेत्रस्य वै शुष्कतृणं यथैव॥


🔤 Transliteration (English)

Anantakāryaṃ laghujīvanañca
Alpā ca śāntir bahulāśca kāmāḥ।
Tyajed dhi kāryaṃ khalu mūlyahīnaṃ
Kṣetrasya vai śuṣkatṛṇaṃ yathaiva॥


🌺 शब्दार्थ (Word-by-Word Meaning)

संस्कृत शब्द अर्थ
अनन्तकार्यं अनगिनत कार्य, endless duties
लघुजीवनं छोटा जीवन, short lifespan
अल्पा च शान्तिः कम शान्ति, little peace
बहुलाः च कामाः बहुत सी इच्छाएँ
त्यजेत् त्याग करना चाहिए
कार्यं कार्य (काम)
खलु निश्चय ही
मूल्यहीनं निरर्थक, मूल्यहीन
क्षेत्रस्य खेत का
शुष्कतृणं सूखी घास
यथा जैसे
एव ही

📘 हिन्दी अनुवाद (Meaning in Hindi)

मानव जीवन छोटा है, जबकि करने के लिए कार्य अनन्त हैं। जीवन में शान्ति बहुत कम है और इच्छाएँ असंख्य हैं। अतः हमें उन कार्यों का त्याग कर देना चाहिए जो मूल्यहीन हैं, जैसे खेत से सूखी और निरुपयोगी घास निकाल दी जाती है।

जीवन छोटा, कार्य अनन्त | Sanskrit Shloka on Time Management and Meaningful Work
जीवन छोटा, कार्य अनन्त | Sanskrit Shloka on Time Management and Meaningful Work

📖 English Translation

Life is short, yet the tasks before us are endless. We have little peace and countless desires. Therefore, one should abandon worthless pursuits, just as a farmer removes the dry, useless grass from his field.


🧩 व्याकरणात्मक विश्लेषण (Grammatical Analysis)

  • अनन्तकार्यं — नपुंसकलिंग, एकवचन, कर्मपद (Accusative), समास: बहुव्रीहि (अनन्तानि कार्याणि यस्य तत्)।
  • लघुजीवनं — नपुंसकलिंग, एकवचन, कर्मपद, समास: तत्पुरुष।
  • अल्पा च शान्तिः — स्त्रीलिंग, प्रथमा एकवचन।
  • बहुलाः च कामाः — पुंलिंग, प्रथमा बहुवचन।
  • त्यजेत् — लोट् लकार, प्रथमपुरुष एकवचन (should abandon)।
  • शुष्कतृणं यथैव — उपमा अलंकार का प्रयोग।

🧠 भावार्थ (Philosophical Meaning)

यह श्लोक हमें जीवन का यथार्थ बताता है —
हमारे पास सीमित समय है, पर इच्छाएँ और कार्य अनन्त हैं। मनुष्य अक्सर तुच्छ और मूल्यहीन कार्यों में इतना उलझ जाता है कि उसके जीवन के मूल उद्देश्य — शान्ति, आत्म-विकास और परोपकार — पीछे छूट जाते हैं। इसलिए विवेकपूर्वक यह पहचानना कि कौन-सा कार्य सार्थक है और कौन व्यर्थ, यही सच्ची बुद्धिमत्ता है।


🕰️ आधुनिक सन्दर्भ (Modern Context)

आज की व्यस्त दिनचर्या में हम कई ऐसे कार्यों में समय गँवा देते हैं जो न तो आत्म-विकास में सहायक हैं, न समाज के लिए लाभकारी।
यह श्लोक “Minimalism and Time Management” की शिक्षा देता है —
👉 प्राथमिकता तय करें।
👉 अनावश्यक कार्यों को त्यागें।
👉 शान्ति और सार्थकता पर ध्यान दें।


🎭 संवादात्मक नीति कथा (Dialogic Moral Story)

शिष्य: गुरुदेव! मुझे लगता है कि जीवन में कार्यों की कोई सीमा नहीं, हर दिशा में कुछ करने को है।

गुरु: पुत्र, खेत में भी बहुत कुछ उगता है — पर क्या किसान हर तृण को रखता है?

शिष्य: नहीं गुरुदेव, वह केवल उपयोगी फसल रखता है।

गुरु: ठीक कहा। वैसे ही, जीवन भी एक खेत है। यदि तू तुच्छ कार्यों (शुष्कतृण) में उलझा रहा, तो तेरा समय और ऊर्जा व्यर्थ जाएगी। सच्चा विवेक यह है कि तू मूल्यहीन कार्यों का त्याग कर सार्थक कर्म में लग जा।


🌿 निष्कर्ष (Conclusion)

यह श्लोक सिखाता है कि –

“जीवन अल्प है, कार्य अनन्त हैं; अतः हर क्षण को सार्थक बनाओ।”

समय अमूल्य है। अनावश्यक इच्छाओं और व्यर्थ कर्मों को त्यागकर यदि मनुष्य केवल सार्थक कार्यों में ध्यान लगाए, तो उसका अल्प जीवन भी अनन्त फल दे सकता है।



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