संस्कृत व्याकरण: कारक (Kāraka) – Definition, Types और Examples

Sooraj Krishna Shastri
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संस्कृत व्याकरण में कारक (Kāraka) की संपूर्ण जानकारी – कर्ता, कर्म, करण, सम्प्रदान, अपादान और अधिकरण सहित विभक्ति और उदाहरणों के साथ। Learn Kāraka in Sanskrit Grammar with examples.”

संस्कृत व्याकरण: कारक (Kāraka) – Definition, Types और Examples


संस्कृत व्याकरण में कारक (Kāraka)

1. कारक की परिभाषा (Definition)

क्रिया-जनकत्वं कारकत्वम्।
अर्थात् वाक्य में वह तत्संबंधी पद जो क्रिया की पूर्णता में सहायक होता है, वह कारक कहलाता है।
सरल शब्दों में, क्रिया के साथ जिसका सीधा संबंध है, वही कारक है।


2. कारकों की संख्या (Number of Kārakas)

संस्कृत व्याकरण में कुल षट् (6) मुख्य कारक माने गए हैं, क्योंकि केवल इन्हीं का क्रिया से प्रत्यक्ष संबंध होता है।

क्र. कारक का नाम कारक चिह्न / पहचान प्रयुक्त विभक्ति
1 कर्ता (Kartā) ने प्रथमा (Prathamā)
2 कर्म (Karma) को द्वितीया (Dvitīyā)
3 करण (Karaṇa) से, के द्वारा तृतीया (Tṛtīyā)
4 सम्प्रदान (Sampradāna) को, के लिए चतुर्थी (Caturthī)
5 अपादान (Apādāna) से (अलग होना) पंचमी (Pañcamī)
6 अधिकरण (Adhikaraṇa) में, पर सप्तमी (Saptamī)

नोट:
षष्ठी विभक्ति (संबंध) और संबोधन को कारक नहीं माना जाता, क्योंकि इनका क्रिया से प्रत्यक्ष संबंध नहीं होता।

संस्कृत व्याकरण: कारक (Kāraka) – Definition, Types और Examples
संस्कृत व्याकरण: कारक (Kāraka) – Definition, Types और Examples


3. छः कारकों का संक्षिप्त परिचय

(i) कर्ता कारक (स्वतन्त्रः कर्ता)

  • परिभाषा: क्रिया को करने में जो स्वतंत्र होता है।
  • विभक्ति: प्रथमा
  • उदाहरण:
    • रामः पुस्तकं पठति। (राम पढ़ता है।)

(ii) कर्म कारक (कर्तुरीप्सिततमं कर्म)

  • परिभाषा: कर्ता अपनी क्रिया द्वारा जिसे अधिकतम प्राप्त करना चाहता है।
  • विभक्ति: द्वितीया
  • उदाहरण:
    • रामः विद्यालयं गच्छति। (राम विद्यालय को जाता है।)

(iii) करण कारक (साधकतमं करणम्)

  • परिभाषा: क्रिया की सिद्धि में सबसे अधिक सहायक साधन।
  • विभक्ति: तृतीया
  • उदाहरण:
    • सः हस्तेन खादति। (वह हाथ से खाता है।)

(iv) सम्प्रदान कारक (कर्मणा यमभिप्रेति स सम्प्रदानम्)

  • परिभाषा: दान या देने की क्रिया में कर्ता जिसे संतुष्ट करना चाहता है।
  • विभक्ति: चतुर्थी
  • उदाहरण:
    • नृपः विप्राय धनं ददाति। (राजा ब्राह्मण को धन देता है।)

(v) अपादान कारक (ध्रुवमपायेऽपादानम्)

  • परिभाषा: जहाँ से कोई वस्तु अलग होती है, वह स्थिर वस्तु अपादान कारक होती है।
  • विभक्ति: पंचमी
  • उदाहरण:
    • पर्वतात् नदी निर्गच्छति। (पर्वत से नदी निकलती है।)

(vi) अधिकरण कारक (आधारोऽधिकरणम्)

  • परिभाषा: क्रिया का आधार (स्थान या समय) जहाँ क्रिया होती है।
  • विभक्ति: सप्तमी
  • उदाहरण:
    • वानराः वृक्षे तिष्ठन्ति। (बंदर वृक्ष पर ठहरते हैं।)

4. विभक्ति (Vibhakti) और कारक सम्बन्ध

कारक प्रयुक्त विभक्ति
कर्ता प्रथमा (ने)
कर्म द्वितीया (को)
करण तृतीया (से / के द्वारा)
सम्प्रदान चतुर्थी (को / के लिए)
अपादान पंचमी (से)
अधिकरण सप्तमी (में / पर)
संबंध (षष्ठी) – (अकारक, केवल सम्बन्ध सूचित)

संस्कृत व्याकरण में कारक (Kāraka) – पाणिनीय दृष्टिकोण

1. कर्ता कारक (Agent) – प्रथमा विभक्ति

कर्त्ता वह है जो क्रिया का प्रमुख करने वाला होता है।

सूत्र (Sūtra) अर्थ (Meaning) उदाहरण (Example)
स्वतन्त्रः कर्ता (1.4.54) क्रिया में जो स्वतंत्र (मुख्य) होता है, वह कर्ता कहलाता है। रामः पठति। (राम पढ़ता है)
प्रातिपदिकार्थलिंगपरिमाणवचनमात्रे प्रथमा (2.3.46) केवल लिंग, परिमाण और वचन अभिव्यक्ति के लिए प्रथमा। (वास्तविक कारक नहीं) कृष्णः, ज्ञानम्
उक्ते कर्तरि प्रथमा जब कर्ता स्पष्ट रूप से क्रिया में प्रधान होता है, प्रथमा विभक्ति। बालकः जलं पिबति।

2. कर्म कारक (Object) – द्वितीया विभक्ति

कर्म वह है जिस पर क्रिया की परिणति होती है।

सूत्र (Sūtra) अर्थ (Meaning) उदाहरण (Example)
कर्तुरीप्सिततमं कर्म (1.4.49) कर्ता जिस वस्तु को प्राप्त करना चाहता है, वह कर्म। रामः ग्रामं गच्छति।
कर्मणि द्वितीया (2.3.2) कर्म कारक में द्वितीया विभक्ति होती है। सः वेदं पठति।
तथा युक्तं चानीप्सितम् (1.4.50) अनीप्सित होने पर भी क्रिया से जुड़ा होने पर कर्म। सः विषं भक्षयति।
अकथितं च (1.4.51) विशेष धातुओं (दुह्, याच्, पच् आदि) में, अपादान से नहीं जुड़ा होने पर भी कर्म। सः गां दुग्धं दोग्धि।

3. करण कारक (Instrument) – तृतीया विभक्ति

करण वह साधन है जिससे क्रिया होती है।

सूत्र (Sūtra) अर्थ (Meaning) उदाहरण (Example)
साधकतमं करणम् (1.4.42) क्रिया की सिद्धि में जो मुख्य साधन हो। सः कलमेन लिखति।
कर्तृकरणयोस्तृतीया (2.3.18) कर्ता और करण में तृतीया विभक्ति। रामेण बाणेन हतः वानरः।
येनाङ्गविकारः (2.3.20) जिस अंग में दोष/विकार हो, तृतीया। सः अक्षिणा काणः।
सहयुक्तेऽप्रधाने (2.3.19) ‘सह’ के साथ अप्रधान में तृतीया। पिता पुत्रेण सह गच्छति।

4. सम्प्रदान कारक (Recipient) – चतुर्थी विभक्ति

सम्प्रदान वह है जिसे लाभ या दान दिया जाता है।

सूत्र (Sūtra) अर्थ (Meaning) उदाहरण (Example)
कर्मणा यमभिप्रैति स सम्प्रदानम् (1.4.32) कर्ता जिसे संतुष्ट करना चाहता है। राजा विप्राय धनं ददाति।
चतुर्थी सम्प्रदाने (2.3.13) सम्प्रदान कारक में चतुर्थी विभक्ति। बालकः पठनाय विद्यालयं गच्छति।
रुच्यर्थानां प्रीयमाणः (1.4.33) ‘रुच्’ अर्थ वाली क्रियाओं में। मह्यं मोदकः रोचते।
क्रुधद्रुहेर्ष्यासूयार्थानां यं प्रति कोपः (1.4.37) क्रोध, ईर्ष्या आदि हेतु। स्वामी भृत्याय क्रुध्यति।

5. अपादान कारक (Ablative) – पंचमी विभक्ति

अपादान वह है जिससे अलग होना या उत्पत्ति होती है।

सूत्र (Sūtra) अर्थ (Meaning) उदाहरण (Example)
ध्रुवमपायेऽपादानम् (1.4.24) अपाय होने पर स्थिर वस्तु। वृक्षात् पत्रं पतति।
अपादाने पंचमी (2.3.28) अपादान कारक में पंचमी। ग्रामात् आगच्छति।
भीत्रार्थानां भयहेतुः (1.4.25) भय का कारण। बालकः सिंहात् बिभेति।
आख्यातोपयोगे (1.4.29) विद्या ग्रहण हेतु। सः आचार्यात् व्याकरणं पठति।

6. अधिकरण कारक (Locative) – सप्तमी विभक्ति

अधिकरण वह स्थान या आश्रय जहाँ क्रिया होती है।

सूत्र (Sūtra) अर्थ (Meaning) उदाहरण (Example)
आधारोऽधिकरणम् (1.4.45) क्रिया का आधार/स्थान। कटे आस्ते।
सप्तम्यधिकरणे च (2.3.36) अधिकरण कारक में सप्तमी। बालकाः कक्षायां पठन्ति।
यस्य च भावेन भावलक्षणम् (2.3.37) क्रिया के माध्यम से दूसरे क्रिया का काल। सूर्ये उदिते कमलानि विकसन्ति।

7. सम्बन्ध/षष्ठी विभक्ति (Genitive / Relation)

अकारक, केवल सम्बन्ध सूचित करता है।

सूत्र (Sūtra) अर्थ (Meaning) उदाहरण (Example)
षष्ठी शेषे (2.3.50) अन्य कारकों में न आने वाली वस्तु। रामस्य पुत्रः गच्छति।

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