तत्पुरुष समास (Tatpurusha Samas): परिभाषा, प्रकार, सूत्र और उदाहरण सहित सम्पूर्ण व्याख्या

Sooraj Krishna Shastri
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तत्पुरुष समास (Tatpurusha Samas) की परिभाषा, प्रकार, सूत्र, उदाहरण और उपभेदों की विस्तृत व्याख्या। संस्कृत व्याकरण के विद्यार्थियों हेतु सम्पूर्ण मार्गदर्शिका।

तत्पुरुष समास (Tatpurusha Samas): परिभाषा, प्रकार, सूत्र और उदाहरण सहित सम्पूर्ण व्याख्या


🌿 तत्पुरुष समास (Tatpurusha Samas)


१. परिभाषा एवं स्वरूप (Definition and Nature)

परिभाषा:
जिस समास में उत्तरपद (दूसरा पद) का अर्थ प्रधान होता है, उसे तत्पुरुष समास कहते हैं।

📘 सूत्र:

“प्रायेणोत्तरपदार्थप्रधानः तत्पुरुषः।”
(जहाँ प्रायः उत्तर पद का अर्थ प्रधान होता है।)

नाम की उत्पत्ति:
‘तत्पुरुष’ शब्द का विग्रह —

तस्य पुरुषः → तत्पुरुषः
अर्थात् ‘उसका पुरुष’ — यह इस समास का आदर्श उदाहरण है।


२. मुख्य भेद (Main Types)

तत्पुरुष समास दो प्रमुख वर्गों में विभाजित है —

(क) व्यधिकरण तत्पुरुष (Vyadhikarana Tatpurusha)

इस समास में पूर्वपद और उत्तरपद की विभक्तियाँ भिन्न होती हैं।
यह कारक (vibhakti) के आधार पर छह प्रकार का होता है।

तत्पुरुष समास (Tatpurusha Samas): परिभाषा, प्रकार, सूत्र और उदाहरण सहित सम्पूर्ण व्याख्या
तत्पुरुष समास (Tatpurusha Samas): परिभाषा, प्रकार, सूत्र और उदाहरण सहित सम्पूर्ण व्याख्या


कारक (Case) सूत्र (Sutra) अर्थ (Meaning) विग्रह (Vigraha) समस्त पद (Samasta Pad)
द्वितीया द्वितीया श्रितातीत-पतित-गतात्यस्त-प्राप्तापन्नैः (2.1.24) द्वितीयान्त पद का ‘श्रित’, ‘अतीत’, ‘गत’ आदि शब्दों के साथ समास। ग्रामं गतः ग्रामगतः
तृतीया तृतीया तत्कृतार्थेन गुणवचनेन (2.1.30) तृतीयान्त पद का ‘तत्कृत’ या ‘गुणवाचक’ शब्दों के साथ समास। नखैः भिन्नः नखभिन्नः
चतुर्थी चतुर्थी तदर्थार्थ-बलि-हित-सुख-रक्षितैः (2.1.36) चतुर्थ्यन्त पद का ‘तदर्थ’, ‘हित’, ‘सुख’, ‘रक्षित’ आदि शब्दों के साथ समास। भूताय बलिः भूतबलिः
पञ्चमी पञ्चमी भयेन (2.1.37) पञ्चम्यन्त पद का ‘भय’ शब्द के साथ समास। चोरात् भयम् चौरभयम्
षष्ठी षष्ठी (2.2.8) षष्ठ्यन्त पद का अन्य सुबन्त के साथ समास (अत्यन्त प्रचलित)। राज्ञः पुरुषः राजपुरुषः
सप्तमी सप्तमी शौण्डैः (2.1.40) सप्तम्यन्त पद का ‘शौण्ड’, ‘धूर्त’ आदि शब्दों के साथ समास। अक्षेषु शौण्डः अक्षशौण्डः

(ख) समानाधिकरण तत्पुरुष (Samanadhikarana Tatpurusha)

इसमें पूर्वपद और उत्तरपद समान विभक्ति (अधिकतर प्रथमा) में होते हैं।
इसे दो रूपों में देखा जाता है —

१. कर्मधारय (Karmadharaya)

पूर्वपद विशेषण और उत्तरपद विशेष्य होता है।

📘 सूत्र:

विशेषणं विशेष्येण बहुलम् (2.1.57)

📗 उदाहरण:

  • नीलं कमलम् → नीलकमलम्
  • महान् देवः → महादेवः

२. द्विगु (Dvigu)

जब कर्मधारय समास का पूर्वपद संख्यावाची हो और समाहार का अर्थ दे, तो वह द्विगु समास कहलाता है।

📘 सूत्र:

संख्यापूर्वो द्विगुः (2.1.52)

📗 उदाहरण:

  • त्रयाणां लोकानां समाहारः → त्रिलोकी
  • पञ्चानां पात्राणां समूहः → पञ्चपात्रम्

३. अन्य उपभेद (Other Sub-Types)

उपभेद (Sub-Type) सूत्र (Sutra) विशेषता (Feature) उदाहरण (Example)
नञ् तत्पुरुष नञ् (2.2.6) ‘न’ (निषेधवाचक) शब्द पूर्वपद होता है। न ब्राह्मणः → अब्राह्मणः, न अश्वः → अनश्वः
उपपद तत्पुरुष गति-कारक-उपपदात् कृत् (6.2.139) क्रियापद (कृदन्त) से पहले कारकपद जुड़ता है। कुम्भं करोति → कुम्भकारः
प्रादि तत्पुरुष कु-गति-प्रादयः (2.2.18) ‘प्र’, ‘परा’, ‘अप’, ‘सम्’ आदि उपसर्गों के साथ। प्रगतः आचार्यः → प्राचार्यः
अलुक् तत्पुरुष अलुगुत्तरपदे (6.3.1) समास में विभक्ति का लोप न होकर विद्यमान रहती है। आत्मने पदम् → आत्मनेपदम्

४. संक्षेप (Summary)

प्रकार प्रमुख आधार उदाहरण
व्यधिकरण तत्पुरुष भिन्न विभक्तियाँ (कारकाधारित) राजपुरुषः, ग्रामगतः
समानाधिकरण तत्पुरुष समान विभक्ति (विशेषण-विशेष्य) नीलकमलम्, महादेवः
द्विगु तत्पुरुष संख्या + समूह अर्थ त्रिलोकी, पञ्चपात्रम्
नञ् तत्पुरुष निषेध सूचक ‘न’ अब्राह्मणः
उपपद तत्पुरुष कारक पद + कृदन्त कुम्भकारः
प्रादि तत्पुरुष उपसर्ग + संज्ञा प्राचार्यः
अलुक् तत्पुरुष विभक्ति लोप न होना आत्मनेपदम्

५. शिक्षण हेतु सारांश (Teaching Summary)

🔹 तत्पुरुष = उत्तरपदप्रधान समास
🔹 ६ कारकाधारित + ३ समानाधिकरण + ४ विशेष उपभेद = विस्तृत रूप
🔹 मुख्य लक्षण:

“पूर्वपद-निर्भरता + उत्तरपद-प्रधानता = तत्पुरुष”


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